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अमर सिंह बोले- प्रियंका गांधी की साफगोई का मैं प्रबल समर्थक

एक चर्चा के दौरान जब अमर सिंह से पूछा गया कि क्या कांग्रेस वोटकटवा की भूमिका निभा रही है तो उन्होंने कहा, 'राजनीति में यह पहली बार नही हो रहा है, पहले भी उत्तर प्रदेश में एक बार समाजवादी पार्टी सबसे बड़े दल के रूप में उभरी थी. तब उसको रोकने के लिए भाजपा ने सबसे छोटी पार्टी की मायावती को मुख्यमंत्री पद से नवाजा था.

पूर्व समाजवादी पार्टी नेता अमर सिंह (इंडिया टुडे आर्काइव) पूर्व समाजवादी पार्टी नेता अमर सिंह (इंडिया टुडे आर्काइव)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 01 मई 2019,
  • अपडेटेड 8:18 PM IST

यूपी में क्या महागठबंधन में न होकर भी कांग्रेस महागठबंधन का साथ दे रही है. ये सवाल आज इसलिए उठ गया क्योंकि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने दावा किया है कि उनकी पार्टी ने ऐसे उम्मीदवार ही खड़े किए हैं, जो या तो जीत रहे हैं या फिर बीजेपी को हरा रहे हैं. प्रियंका गांधी के इस बयान के बाद बीजेपी ने कांग्रेस को वोटकटवा पार्टी करार दे दिया.

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प्रियंका गांधी के इस बयान के बाद और भी कई लोगों के बयान आए. पूर्व समाजवादी पार्टी के नेता अमर सिंह ने कहा कि 'कांग्रेस की नेता (प्रियंका) कह रही हैं कि हम उनकी (गठबंधन) मदद कर रहे हैं. इसका मतलब है बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना. अमर सिंह ने यह भी कहा कि 'प्रियंका जी का मैं काफी सम्मान करता हूं. मैंने उनके कई भाषण सुने हैं. वे राजनीतिक विरोध करती हैं और उन्होंने खुलकर कहा है कि कांग्रेस बीजेपी का वोट काटने के लिए चुनाव लड़ रही है. वे खुले तौर पर मान चुकी हैं कि ये चुनाव कांग्रेस जीतने के लिए नहीं बल्कि किसी एक दल को हराने के लिए लड़ रही है. ये सकारात्मक राजनीति नहीं है लेकिन मैं उनकी स्पष्टवादिता का प्रबल समर्थक हूं.

आजतक पर एक चर्चा के दौरान जब अमर सिंह से पूछा गया कि क्या कांग्रेस वोटकटवा की भूमिका निभा रही है तो उन्होंने कहा, 'राजनीति में यह पहली बार नहीं हो रहा है, पहले भी उत्तर प्रदेश में एक बार समाजवादी पार्टी सबसे बड़े दल के रूप में उभरी थी. तब उसको रोकने के लिए भाजपा ने सबसे छोटी पार्टी की मायावती को मुख्यमंत्री पद से नवाजा था. उसका नतीजा ये हुआ कि आज मायावती जी उभर कर के बीजेपी को ही नुकसान पहुंचा रही हैं.'

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अमर सिंह ने कहा, 'नकारात्मक राजनीति कोई भी करे चाहे अतीत में भाजपा ने किया हो या वर्तमान में कांग्रेस कर रही हो, उसके नतीजे अच्छे नहीं होते. मतलब ये है कि बोया पेड़ बबूल का आम कहां से होय. रामपुर में नूरबानो की जगह हिंदू प्रत्याशी इसलिए दिया गया ताकि हिंदू मतों का विभाजन हो जिससे भाजपा को नुकसान पहुंचे लेकिन भाजपा को कोई नुकसान नहीं हुआ. क्योंकि चलती हुई धारा के प्रतिकूल गिरने वाले नदी नालों का कोई प्रभाव नहीं पड़ता. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ये चुनाव जीतने के लिए नहीं बल्कि किसी खास पार्टी को हराने के लिए लड़ रही है.

गौरतलब है कि इंडिया टुडे ग्रुप की एनालिसिस में भी साफ हुआ था कि 52 में 44 सीटें ऐसी हैं जिन पर कांग्रेस और महागठबंधन की रणनीति से बीजेपी को नुकसान हो सकता है. ऐसे में प्रियंका गांधी का बयान काफी अहम है जिसमें उन्होंने कहा कि जहां हम मजबूत हैं वहां हम जीतेंगे लेकिन जहां हम कमजोर हैं वहां बीजेपी को हराने के लिए केवल बीजेपी के वोट काटने के लिए उम्मीदवार खड़े किए हैं.

इंडिया टुडे ग्रुप के डेटा इंटेलिजेंस यूनिट यानी DiU ने पहले ही अपनी एनालिसिस में खुलासा किया था कि वाकई कांग्रेस यूपी में एसपी-बीएसपी गठबंधन को मदद कर रही है. यूपी की 80 में से 52 लोकसभा सीटों पर DiU ने एनालिसिस की. 8 सीटों पर एकदूसरे के दिग्गजों के खिलाफ कांग्रेस और यूपी के महागठबंधन ने उम्मीदवार नहीं खड़े किए हैं. ये सीटें हैं-

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मुजफ्फरनगर, बागपत, मैनपुरी, फिरोजाबाद, आजमगढ़, कन्नौज, रायबरेली और अमेठी. 52 में से बाकी 44 सीटों पर DiU की एनालिसिस में सामने आया है कि  कांग्रेस ने 34 उम्मीदवार ऐसी जातियों के खड़े किए हैं जो बीजेपी के परंपरागत वोटर रहे हैं.

इनमें से 17 कांग्रेस के उम्मीदवार ब्राह्मण, राजपूत, वैश्य, जाट या अन्य सवर्ण जातियों के हैं. 2014 में इन जातियों में से 70 फीसदी से ज्यादा वोटरों ने बीजेपी को वोट दिया था. DIU ने अपनी एनालिसिस में पाया है कि कांग्रेस के 28 उम्मीदवार बीजेपी के लिए मुश्किल खड़ी कर रहे हैं. जबकि 16 कांग्रेस के उम्मीदवार महागठबंधन के उम्मीदवारों की चुनौती बन रहे हैं. कुल मिलाकर 52 में से ही 36 सीटें ऐसी हैं जहां कांग्रेस और महागठबंधन की रणनीति बीजेपी के खिलाफ काम कर रही है. हालांकि चुनाव प्रचार के दौरान बीएसपी अध्यक्ष मायावती और एसपी अध्यक्ष अखिलेश ने कांग्रेस पर भी जोरदार हमला बोला है.

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