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अरुणाचल प्रदेश के एक गांव में पहली बार हुई वोटिंग, पहले कभी नहीं बना था पोलिंग बूथ

अरुणाचल प्रदेश के कुरुंग कुमे जिले के एक गांव में आजादी के बाद पहली बार पोलिंग बूथ बनाया गया. यहां पहली बार लोगों ने अपने गांव में ही अपने मताधिकार का प्रयोग किया. पहले चरण के तहत हुए मतदान में यहां 346 लोगों ने मतदान किया.

आईटीबीपी की टीम पोलिंग पार्टी को गांव तक ले गई थी आईटीबीपी की टीम पोलिंग पार्टी को गांव तक ले गई थी
मंजीत नेगी
  • नई दिल्ली,
  • 17 अप्रैल 2019,
  • अपडेटेड 5:22 PM IST

11 अप्रैल को लोकसभा चुनाव-2019 के पहले चरण का मतदान हो चुका है. इस चरण में अरुणाचल प्रदेश के कुरुंग कुमे जिले के एक गांव में ऐसा पोलिंग बूथ बनाया गया था, जहां पोलिंग पार्टियां आईटीबीपी के जवानों के साथ 45 किलोमीटर का पैदल रास्ता तय करके पहुंची थीं.  यहां पहली बार पोलिंग बूथ बनाया गया था. आजादी के बाद अब तक हुए इलेक्शन में यहां कभी पोलिंग बूथ नहीं बनाया गया था. इस गांव के लोगों ने पहली बार अपने ही गांव में अपने मताधिकार को प्रयोग किया. पहले चरण के तहत इस पोलिंग बूथ पर 346 वोटर्स ने मतदान किया था.

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45 किलोमीटर पैदल चलकर पहुंची पोलिंग पार्टी

पहले चरण के तहत अरुणाचल प्रदेश के कुरुंग कुमे जिले के ज्ञापिन पोलिंग बूथ पर गांव वालों ने पहली बार अपने गांव में स्थापित मतदान केंद्र पर वोट किया. 11 अप्रैल को पहले चरण के मतदान के दौरान यहां पहली बार मतदान केंद्र स्थापित किया गया, जिसके लिए चुनाव दल आईटीबीपी के जवानों के साथ 45 किलोमीटर का पैदल रास्ता तय करके इस केंद्र तक पहुंचा था.

346 मतदाताओं ने किया मतदान

इस गांव से 45 किलोमीटर दूर पारसी पालो जगह से ही सड़क की उपलब्धता है, जिसके बाद आगे का रास्ता बहुत ही मुश्किल है. यहां आगे रास्ते में पहाड़ी नदियां, वर्षा, वन और घनी झाड़ियां हैं. इसमें 25 किलोमीटर का रास्ता चढ़ाई और 10 किलोमीटर का रास्ता ढलान वाला है. यहां पैदल चलना भी दूभर हो जाता है, लेकिन इन सबके बावजूद पोलिंग पार्टी और आईटीबीपी के जवानों ने साथ मिलकर यह रास्ता तय किया और 11 मई को पहले चरण की वोटिंग के दौरान यहां 346 ग्रामीणों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया.

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90 किलोमीटर तय करने में लग जाते हैं 6 दिन

 इस गांव के अधिकतर परिवार इटानगर में रहते हैं और गांव में इन लोगों का आना जाना लगा रहता है. स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार यहां मतदान केंद्र स्थापित किया गया था. कुल 90 किलोमीटर का आने जाने का रास्ता 6 दिन में पूरा किया गया. आईटीबीपी भारत चीन सीमा पर अरुणाचल प्रदेश में सीमा सुरक्षा और प्रबंधन के लिए साल 2004 से तैनात है.

बक्सा फोर्ट का पोलिंग बूथ भी चर्चाओं में था

पहले चरण के तहत पश्चिम बंगाल के अलीपुरद्वार के बक्सा फोर्ट पर बनाया गया पोलिंग बूथ खूब चर्चाओं में  था. ये बूथ 3000 फीट की ऊंचाई पर था. पोलिंग पार्टी को इस बूथ तक पहुंचने के लिए पैदल ही चढ़ाई करनी पड़ी. बक्सा फोर्ट अलीपुरद्वार से लगभग 30 किमी. और राजाभातखावा से करीब 18 किमी. की दूरी पर स्थित है. बक्सा फोर्ट पश्चिम बंगाल के अलीपुरद्वार डिस्ट्रिक्ट के बक्सा टाइगर रिजर्व में स्थित है. करीब 3 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित यह यह फोर्ट बंगाल के ऐतिहासिक धरोहरों में एक गिना जाता है.

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