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अरुणाचल और मिजोरम में कांग्रेस को मिले नए गठबंधन साथी

अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम में कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव से पहले गठबंधन का ऐलान किया. सभी का एक ही सिद्धांत है, राज्यहित में भाजपा को रोका जाए.

मिजोरम की इकलौती सीट से लड़ेगी गठबंधन टीम (फाइल फोटो) मिजोरम की इकलौती सीट से लड़ेगी गठबंधन टीम (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 14 मार्च 2019,
  • अपडेटेड 11:22 AM IST

लोकसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस ने अरुणाचल प्रदेश में क्षेत्रीय पार्टी पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल (पीपीए) के साथ गठबंधन करने का निर्णय कर लिया है. कांग्रेस स्टेट यूनिट ने बताया कि पार्टी बाकी दलों के साथ भी गठबंधन के विकल्प पर काम कर रही है.

कांग्रेस स्टेट यूनिट के अध्यक्ष तकाम संजय ने बुधवार को बताया कि कांग्रेस और पीपीए के साथ गठबंधन लोकसभा चुनाव से पहले ही हो जाएगा. साथ ही उनका मानना है कि कांग्रेस पार्टी हमेशा से ही समान विचारधारा वाली पार्टियों के साथ काम करने को तैयार रहती है. उन्होंने बताया कि जनता दल (सेकुलर) के साथ भी गठबंधन के लिए बातचीत जारी है. संजय ने कहा कि हम समान विचारधारा वाली पार्टियों को कुछ सीटें देने के लिए तैयार हैं, ताकि राज्यहित में भाजपा को रोका जा सके.

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पिछले साल पीपीए के विधायक भाजपा की सहयोगी पार्टी में हुए थे शामिल

आपको बता दें कि पिछले साल पीपीए (पीपल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल) के सात विधायक भाजपा की सहयोगी पार्टी एनपीपी ( नेशनल पीपल्स पार्टी) से जुड़ गए थे. पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल (पीपीए) की स्थापना सितंबर 1977 में हुई थी.   

प्रदेश में 11 अप्रैल को होगा लोकसभा और विधानसभा चुनाव

इस साल अरुणाचल प्रदेश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ 11 अप्रैल को होंगे. चुनाव प्राधिकारियों ने सभी राजनीतिक पार्टियों के लिए आचार संहिता लागू होने के बाद क्या करें और क्या न करें की सूची जारी कर दी है. साथ ही सभी सरकारी तंत्र को इसका कड़ाई से पालन करने की अपील की है.

मिजोरम में भी कांग्रेस ने गाया गठबंधन राग

इस बीच बता दें कि कांग्रेस ने मिजोरम में जोराम पीपुल्स मूवमेंट (जेडपीएम) के साथ मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ने की योजना बना ली है. कांग्रेस मिजोरम की इकलौती सीट से लड़ेगी और जेडपीएम उसे समर्थन देगी. हालांकि मिजोरम में पिछ्ले साल हुए विधानसभा चुनाव के नतीजे कांग्रेस के पक्ष में नहीं थे. यहां पर 10 सालों से सत्ता पर काबिज कांग्रेस को जनता ने बाहर का रास्ता दिखा दिया था और इसके साथ ही राज्य में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा था.

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