
असम की धुबरी संसदीय सीट पर इस समय एआईयूडीएफ से बदरुद्दीन अजमल सांसद हैं. इस सीट पर कभी कांग्रेस का प्रभुत्व हुआ करता था, लेकिन बाद में आपसी मतभेदों के चलते यहां एआईयूडीएफ मजबूत होती चली गई. धुबरी की 10 सीटों में से 4 पर एआईयूडीएफ, 4 पर कांग्रेस और दो पर बीजेपी काबिज है. यहां से सांसद बदरुद्दीन अजमल कोलकाता में ममता बनर्जी की महागठबंधन रैली में मुख्य चेहरों में से एक थे. धुबरी जिला ब्रह्मपुत्र और गदाधर नदी के किनारे बसा है. यह जिला तीन ओर नदियों से घिरा हुआ है, इसलिए इसे नदियों का शहर भी कहते हैं. मौजूदा सांसद बदरुद्दीन अजमल पर फर्जी आईकार्ड बनवाकर बांग्लादेशियों की घुसपैठ कराने के आरोप लगते रहे हैं.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
असम की धुबरी लोकसभा सीट पर कांग्रेस ने सबसे ज्यादा बार जीत दर्ज की. यहां 1951 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के प्रत्याशी अमजद अली ने जीत दर्ज की. 1957 में हुए चुनाव में भी अमजद ही जीते, लेकिन इस बार उन्होंने कांग्रेस के टिकट से जीत दर्ज की. 1962 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी गयासुद्दीन अहमद जीते. 1967 के चुनाव में एक बार फिर प्रजा सोशलिस्ट पार्टी ने इस सीट पर कब्जा किया. इसके बाद 1971 से 2004 तक 9 बार हुए चुनावों में कांग्रेस प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की. 2004 में अनवर हुसैन ने असम गण परिषद के प्रत्याशी अफजालुर रहमान को 1 लाख 16 हजार 622 मतों से जीत दर्ज की थी. 2009 में हुए 15वें लोकसभा चुनाव में असम यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के प्रत्याशी बदरुद्दीन अजमल ने कांग्रेस प्रत्याशी को 1लाख 84 हजार 419 मतों के बड़े अंतर से जीत दर्ज की. 2014 के चुनाव में फिर से बदरुद्दीन ने जीत दर्ज की.
धुबरी संसदीय सीट में कुल 10 विधानसभाएं हैं. इनमें मानकाचर पर कांग्रेस, सलमारा साउथ पर कांग्रेस, धुबरी पर एआईयूडीएफ, गौरीपुर पर एआईयूडीएफ, गोलकगंज पर बीजेपी, बिलासीपारा पश्चिमी में एआईयूडीएफ, बिलासीपारा पूर्वी में बीजेपी, गोलपारा पूर्वी पर कांग्रेस, गोलपारा पश्चिमी पर कांग्रेस और जलेश्वर सीट एआईयूडीएफ के पास हैं.
सामाजिक तानाबाना
धुबरी संसदीय सीट में 2011 की जनगणना के अनुसार यहां 27 लाख 71 हजार 883 जनसंख्या है. इसमें 89.1 फीसदी आबादी ग्रामीण जबकि 10.9 प्रतिशत आबादी शहरी है. इस सीट पर 3.54 फीसदी एससी और 5.78 फीसदी एसटी हैं. धुबरी में कुल मतदाताओं की संख्या 15 लाख 50 हजार 166 है. इसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 7 लाख 97 हजार 235 है, जबकि महिलाओं की संख्या 7 लाख 52 हजार 931 है.
2014 का जनादेश
2014 के चुनाव में बदरुद्दीन अजमल ने एआईयूडीएफ के टिकट से कांग्रेस प्रत्याशी वाजिद अली चौधरी को 2 लाख 29 हजार 730 मतों के बड़े अंतर से हराया. उन्हें कुल 43.27 फीसदी वोट हासिल हुए. बदरुद्दीन को 5 लाख 92 हजार 569 मत मिले, वहीं दूसरे नंबर पर रहे वाजिद अली चौधरी को 3 लाख 62 हजार 839 वोट मिले थे. यहां तीसरे नंबर पर बीजेपी प्रत्याशी देबोमय सन्याल ने 2 लाख 98 हजार 985 मत हासिल किए थे. इस सीट पर 5811 लोगों ने किसी भी प्रत्याशी को नहीं चुना. यानि उन्होंने नोटा का बटन दबाया. इस सीट पर 88.36 फीसदी मतदान हुआ था.
सांसद का रिपोर्ट कार्ड
धुबरी संसदीय सीट से सांसद बदरुद्दीन अजमल लगातार दूसरी बार संसद पहुंचे हैं. हाल ही में वे एक पत्रकार से बदसुलूकी करने के चलते सुर्खियों में रहे थे. धुबरी से सांसद बदरुद्दीन अजमल के पास चल संपत्ति 7 करोड़ 10 लाख 56 हजार 114 रुपये और अचल संपत्ति अचल संपत्ति 36 करोड़ 16 लाख 92 हजार 20 रुपये है.
69 वर्षीय सांसद की संसद में 59.19 फीसदी यानि कुल 190 दिन उपस्थिति रही है. उन्होंने संसद में 400 सवाल लिए हैं जबकि 65 बहसों में हिस्सा लिया है. उन्होंने अपनी सांसद निधि में से सिर्फ 52.84 फीसदी यानि 13.21 करोड़ रुपये ही खर्च किए हैं. बदरुद्दीन के 6 बेटे और एक बेटी है. बदरुद्दीन मास्टर इन इस्लामिक हैं. उन्होंने यूपी के दारुल उलूम देवबंद में तालीम हासिल की है. बदरुद्दीन इंडस्ट्रलिस्ट हैं. पढ़ाने के साथ-साथ ये सामाजिक कार्यों में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं. अजमल फाउंडेशन के तहत इन्होंने कई सामाजिक कार्य किए हैं. असम में चार अस्पताल इन्होंने बनवाए हैं. अपने इलाके में पिछड़े बच्चों को कंप्यूटर की शिक्षा दिलाने में भी इन्होंने अहम भूमिका अदा की है. अनाथ बच्चों के लिए भी उन्होंने कई काम किए हैं. दुनिया के अधिकतर देशों में वे घूम चुके हैं.
इत्र बनाना और बेचना बदरुद्दीन अजमल का खानदानी व्यवसाय है. पिछले 60 साल से उनका परिवार ये काम कर रहा है. 12 फरवरी 1950 को मुंबई के एक मध्यम परिवार में बदरुद्दीन अजमल पैदा हुए. मूलत: वो असम के रहने वाले हैं. यूपी में पढ़ाई की और असम को अपनी सियासत की जमीन बनाया. उनका कारोबार असम से लेकर मुंबई और दुनिया के तमाम देशों तक फैला है.