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बहुचर्चित रामजन्मभूमि-बाबरी मस्ज़िद का विवाद एक बार फिर मध्यस्थता की ओर बढ़ चला है. सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को तीन मध्यस्थों के नाम का ऐलान किया, जिन्हें अगले 8 हफ्ते में अपनी रिपोर्ट सौंपनी होंगी. यानी इससे साफ है कि अप्रैल-मई में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले अयोध्या मसले पर किसी तरह का फैसला आने की उम्मीद नहीं है.
लोकसभा चुनाव से पहले लगातार मंदिर निर्माण को लेकर आवाज़ें उठ रही थीं. विश्व हिंदू परिषद, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, साधु-संतों के अलावा कई हिंदूवादी संगठनों की ओर से केंद्र सरकार पर अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर दबाव बनाया जा रहा था. बीते दिनों साधु-संतों और विश्व हिंदू परिषद की धर्म संसद में भी राम मंदिर को लेकर प्रस्ताव पास किया गया था और अपील की गई थी कि मोदी सरकार को तुरंत अध्यादेश लाकर राम मंदिर निर्माण शुरू करना चाहिए.
हालांकि, मध्यस्थता के लिए 8 हफ्ते का समय मिलने के साथ ही उन आवाजों को भी झटका लगा है जो लगातार कह रहे थे कि 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले मंदिर निर्माण होना चाहिए.
भारतीय जनता पार्टी की ओर से भी पार्टी अध्यक्ष अमित शाह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कह चुके हैं कि बीजेपी राम मंदिर निर्माण के लिए तैयार है, हालांकि हर बार यही कहा गया है कि पार्टी संवैधानिक रूप से ही मंदिर निर्माण के पक्ष में है. जिसके बाद विपक्ष की ओर से भी इस बात का आरोप लगाया गया था कि बीजेपी चुनाव से पहले इस मुद्दे को गर्मा रही है.
कब तक सुनवाई, कब होंगे चुनाव?
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थों के पैनल को 8 हफ्ते में अपनी रिपोर्ट देने का समय दिया है, इसके अलावा उन्हें छूट भी दी गई है कि अगर उन्हें अधिक समय चाहिए तो वह सुप्रीम कोर्ट से अधिक समय मांग सकते हैं. यानी 8 मार्च से लेकर 8 मई तक ये मसला मध्यस्थों के पास ही रहेगा. गौर करने वाली बात ये भी है कि मई-जून में गर्मियों की छुट्टियों के कारण सर्वोच्च अदालत बंद रहती है.
इस बीच उम्मीद जताई जा रही है कि लोकसभा चुनाव अप्रैल-मई के महीने में ही होंगे, चूंकि मौजूदा सरकार का कार्यकाल 16 मई को खत्म हो रहा है और 26 मई तक नई सरकार का गठन होना है. चुनाव आयोग भी आज-कल चुनाव की तारीखों का ऐलान कर सकता है.