
जम्मू और कश्मीर की छह लोकसभा सीटों में से बारामूला सीट नेशनल कॉन्फ्रेंस का गढ़ रही है, लेकिन पिछले चुनाव में पीडीपी ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के इस गढ़ में सेंधमारी कर दी थी. 2014 के चुनाव में पीडीपी पहली बार इस सीट पर जीतने में कामयाब हुई. उसके टिकट पर मुजफ्फर हुसैन बेग चुनाव जीते थे. उन्होंने नेशनल कॉन्फ्रेंस के शरीफुद्दीन शारिक को हराया था. मुजफ्फर बेग जम्मू और कश्मीर के डिप्टी मुख्यमंत्री रहे हैं.
इस सीट से नेशनल कॉन्फ्रेंस के वरिष्ठ नेता सैफुद्दीन सोज भी चार बार सांसद रहे थे. 1999 में नेशनल कॉन्फ्रेंस ने अटल बिहारी सरकार को समर्थन दिया था. इससे नाराज होकर सोज ने नेशनल कॉन्फ्रेंस से इस्तीफा दे दिया और अटल बिहारी सरकार के खिलाफ में वोट किया था. इस कारण 13 महीने की अटल बिहारी सरकार गिर गई थी. 2003 में सोज ने कांग्रेस पार्टी ज्वॉइन किया और वह 2006 में राज्यसभा भेजे गए.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
1967 के बाद हुए चुनाव में इस सीट पर सबसे ज्यादा बार नेशनल कॉन्फ्रेंस ने जीत दर्ज की है. 1967 और 1971 में इस सीट पर कांग्रेस के प्रत्याशी सैयद अहमद आगा जीते थे. इसके बाद इस सीट पर नेशनल कॉन्फ्रेंस लगातार पांच चुनाव जीती. 1977 में उसके प्रत्याशी अब्दुल अहमद वकील, 1980 में ख्वाजा मुबारक शाह जीते. 1983 (उपचुनाव), 1984 और 1989 का चुनाव सैफुद्दीन सोज नेशनल कॉन्फ्रेंस के टिकट पर जीते. इसके बाद 1996 में हुए चुनाव में कांग्रेस के गुलाम रसूल कर जीतने में कामयाब हुए. इसके बाद 1998 में सैफुद्दीन सोज नेशनल कॉन्फ्रेंस के टिकट पर जीतकर चौथीं बार सांसद बने. एक साल बाद 1999 में इस सीट पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के ही अब्दुल रशीद शाहीन जीते. वह 2004 में दोबारा चुने गए. 2009 के चुनाव में इस सीट से नेशनल कॉन्फ्रेंस के ही शरीफुद्दीन शारिक जीते, लेकिन 2014 का चुनाव शारिक हार गए. उन्हें पीडीपी के मुजफ्फर हुसैन बेग ने चुनाव हराया था. इस जीत के साथ ही इस सीट पर पहली बार पीडीपी का खाता खुला.
सामाजिक तानाबाना
बारामूला लोकसभा सीट के अन्तर्गत 15 विधानसभा सीट (करनाह, कुपवाड़ा, लोलाब, हंदवाड़ा, लंगेट, उरी, राफियाबाद, सोपोर, गुरेज, बांदीपोरा, सोनावारी, संग्राम, बारामूला, गुलमर्ग, पट्टन) आते हैं. इनमें से 2014 के विधानसभा चुनाव में पीडीपी ने 7 सीटों (करनाह, लोलाब, राफियाबाद, संग्राम, बारामूला, गुलमर्ग, पत्तन), नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 3 सीटों (उरी, गुरेज, सोनावारी), कांग्रेस ने दो सीटों (सोपोर, बांदीपोरा), पीपुल्स कॉन्फ्रेंस ने दो सीटों (कुपवाड़ा और हंदवाड़ा) और निर्दलीय प्रत्याशी ने एक सीट (लंगेट) पर जीत दर्ज की थी. भारत निर्वाचन आयोग की 2009 की रिपोर्टे के मुताबिक, इस लोकसभा क्षेत्र में 10.54 लाख वोटर हैं, जिनमें 5.50 लाख पुरुष और 5.04 लाख महिलाएं हैं.
2014 का जनादेश
एक समय बारामूला लोकसभा सीट का मतलब नेशनल कॉन्फ्रेंस होता था, लेकिन 2014 के चुनाव में पीडीपी ने इस सीट को नेशनल कॉन्फ्रेंस से छीन लिया. पीडीपी के मुज्जफर हुसैन बेग ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रत्याशी शरीफुद्दीन शारिक को करीब 29 हजार वोटों से शिकस्त दी. मुजफ्फर हुसैन को 1.75 लाख और शरीफुद्दीन शारिक को 1.46 लाख वोट मिले थे. तीसरे नंबर पर सज्जाद लोन की पार्टी पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के प्रत्याशी सलामुद्दीन बजाद करीब 71 हजार वोट पाकर रहे. श्रीनगर और अनंतनाग सीट की तरह इस सीट पर बीजेपी प्रत्याशी अपना जमानत नहीं बचा पाया. बीजेपी के गुलाम मोहम्मद मीर को सिर्फ 6558 वोट मिले थे.
पाकिस्तान सीमा से सटा यह लोकसभा सीट सुरक्षा के लिहाज से काफी अहम है. 2014 के चुनाव में इस सीट पर करीब 39 फीसदी मतदान हुआ था. श्रीनगर और अनंतनाग की तुलना में यहां अधिक संख्या में वोटर पोलिंग बूथ तक पहुंचे थे और वोटिंग में हिस्सा लिया था. 2004 में यहां 35 फीसदी मतदान हुआ था.
सांसद का रिपोर्ट कार्ड
जनवरी, 2019 तक mplads.gov.in पर मौजूद आंकड़ों के अनुसार, पीडीपी के सांसद मुज्जफर हुसैन बेग ने अभी तक अपने सांसद निधि से क्षेत्र के विकास के लिए 11.42 करोड़ रुपए खर्च किए हैं. उन्हें सांसद निधि से अभी तक 12.75 करोड़ मिले हैं. इनमें से 1.33 करोड़ रुपए अभी खर्च नहीं किए गए हैं. उन्होंने 89 फीसदी अपने निधि को खर्च किया है.
2014 के हलफनामे के अनुसार मुज्जफर हुसैन बेग ने अपनी 20 करोड़ रुपए की संपत्ति बताई थी. उनके पास 3.61 करोड़ की चल और 16.41 करोड़ की अचल संपत्ति है. उनके ऊपर 1.14 करोड़ की देनदारी है. मुज्जफर हुसैन बेग ने कैंब्रिज की हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई की थी.
ये हैं इस सीट पर जीतने वाली महत्वपूर्ण शख्सियत
सैफुद्दीन सोज- जम्मू और कश्मीर के बड़े नेताओं में से सैफुद्दीन सोज एक थे. वह चार बार नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रत्याशी के तौर पर बारामूला सीट से जीते और सांसद बने. 1990 में वह केंद्रीय पर्यावरण और वन मंत्री थे. अटल बिहारी की 13 महीने की सरकार को गिराने का श्रेय सोज को ही जाता है. इसके बाद उन्होंने कांग्रेस ज्वॉइन कर लिया था. 2006 में कांग्रेस ने सोज को राज्य सभा भेजा और मनमोहन सरकार में जल संसाधन मंत्रालय का जिम्मा दे दिया था. इसके साथ ही 2008 में उन्हें जम्मू और कश्मीर कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष भी बना दिया गया था.
ख्वाजा मुबारक शाह- शाह की गिनती नेशनल कॉन्फ्रेंस के बड़े नेताओं में होती थी. वह 1952 में शेख अब्दुल्ला की सरकार में उप-मंत्री भी रहे थे. 1980 में वह पहली बार बारामूला सीट से सांसद चुने गए थे.