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बठिंडा में वोटिंग से चंद घंटे पहले अकाली और कांग्रेस में भिड़ंत, बूथ एजेंट पर हमले का आरोप

पंजाब की सबसे प्रतिष्ठित सीट मानी जा रही बठिंडा लोकसभा क्षेत्र में शनिवार रात को ही मतदान से चंद घंटों पहले अकाली दल और कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच में झड़प हो गई. अकाली दल ने अपने कार्यकर्ता और गांव गुरुसर सेहना वाला के मतदान बूथ एजेंट निर्मल पर जानलेवा हमला करने का आरोप लगााया है.

हरसिमरत कौर बादल (PTI) हरसिमरत कौर बादल (PTI)
सतेंदर चौहान
  • चंडीगढ़,
  • 18 मई 2019,
  • अपडेटेड 6:11 AM IST

पंजाब की सबसे प्रतिष्ठित सीट मानी जा रही बठिंडा लोकसभा क्षेत्र में शनिवार रात को ही मतदान से चंद घंटों पहले अकाली दल और कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच में झड़प हो गई. अकाली दल ने अपने कार्यकर्ता और गांव गुरुसर सेहना वाला के मतदान बूथ एजेंट निर्मल पर जानलेवा हमला करने का आरोप लगााया है.

बठिंडा देहाती क्षेत्र में आने वाले इस गांव में अकाली दल के कार्यकर्ता निर्मल सिंह के साथ कांग्रेसी कार्यकर्ताओं का किसी बात को लेकर विवाद हुआ. इसके बाद आरोप है कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं द्वारा निर्मल सिंह पर जानलेवा हमला कर दिया गया. फिलहाल निर्मल सिंह को अस्पताल में दाखिल कराया गया है.

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बहरहाल, हरसिमरत कौर बादल लोकसभा चुनाव 2019 में बठिंडा से अकाली दल की उम्मीदवार हैं और उनके खिलाफ कांग्रेस के अमरिंदर सिंह राजा वडिंग मैदान में हैं. हरसिमरत बादल 2009 से इस संसदीय क्षेत्र से वो लगातार सांसद हैं. भारत की प्रसिद्ध महिला राजनीतिज्ञों में से एक हरसिमरत मोदी सरकार में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री भी रह चुकी हैं.

25 जुलाई, 1966 को दिल्ली के एक सिख परिवार में जन्मी हरसिमरत कौर गुड़गांव ट्राइडेंट होटल में निजी ज्वैलरी कारोबार चलाने के साथ ही एक फैशन डिजाइनर भी हैं. उन्होंने दिल्ली के लारेटो कॉन्वेंट स्कूल से पढ़ाई की. साथ ही मैट्रिक्यूलेट और ड्रेस डिजाइन में डिप्लोमा भी किया है. 21 नवंबर 1991 को सुखबीर सिंह बादल के साथ हरसिमरत की शादी हो गई. वहीं इनके दो बेटियां और एक बेटा भी है.

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पंजाब की राजनीति में सुखबीर सिंह बादल एक बड़ा नाम हैं. हालांकि हरसिमरत की राजनीति की शुरुआत साल 2009 में हुई. साल 2009 में हुए लोकसभा चुनाव में शिरोमणि अकाली दल ने हरसिमरत को बठिंडा से कांग्रेस के उम्मीदवार राहींदर सिंह के खिलाफ चुनावी मैदान में उतारा. इस चुनावी जंग में हरसिमरत को फतह हासिल हुई और उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार को 120960 वोटों से मात दी.

अपने पहले भाषण में ही हरसिमरत ने 1984 के सिख विरोधी दंगों के पीड़ितों और उनके परिवारों के बारे में बात की थी. साल 2014 में एक बार फिर हरसिमरत को इसी सीट से चुनावी मैदान में उतारा गया. इस बार उनके सामने कांग्रेस के मनप्रीत सिंह बादल चुनावी मुकाबले में थे. हालांकि दोनों के बीच कांटे का मुकाबले देखा गया लेकिन बाजी हरसिमरत के हाथ लगी और हरसिमरत ने एक बार फिर से जीत हासिल की. इसके साथ ही उन्हें मोदी सरकार में मंत्री पद भी दिया गया.

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