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क्या नॉर्थ ईस्ट में चल गया एनआरसी, सिटिजनशिप बिल का जादू

एनआरसी मुद्दे पर कभी प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि जिस तरह से मोदी ने नक्सलियों और आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई की है, उसी तरह से मोदी घुसपैठियों को छोड़ने नहीं जा रहे हैं.

असम में घुसपैठियों का विरोध (फोटो-इंडिया टुडे आर्काइव) असम में घुसपैठियों का विरोध (फोटो-इंडिया टुडे आर्काइव)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 23 मई 2019,
  • अपडेटेड 7:41 PM IST

अब तक प्राप्त रूझानों में देश के उत्तर-पूर्व राज्यों में भी बीजेपी की आंधी चल रही है. यहां कुल 14 लोकसभा सीटों पर बीजेपी शुरुआत से बढ़त बनाए हुए है. पूरे देश की बात करें तो बीजेपी नीत एनडीए 340 सीटों पर आगे है तो यूपीए मात्र 96 सीटों पर है. यूपीए से अच्छा अन्य दल कर रहे हैं जिनके खाते में 106 सीटें जाती दिख रही हैं.

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उत्तर पूर्व के राज्यों में बीजेपी का प्रदर्शन अगर अच्छा रहा है तो इसके पीछे नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस (एनआरसी) और सिटिजंस बिल को जिम्मेदार माना जा सकता है. चुनाव से पहले इस मुद्दे को लेकर न सिर्फ उत्तर पूर्वी राज्यों में भारी विरोध हुआ बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी विरोध का सामना करना पड़ा. मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया और विपक्षी दलों ने एक साथ कई मोर्चों पर बीजेपी को घेरा. हो-हंगामे के बावजूद बीजेपी अपने मिशन में टस से मस नहीं हुई और इसे लागू कराने के लिए दृढ़ प्रतिज्ञा जाहिर की.

गौरतलब है कि असम सरकार ने दिसंबर 2013 में एनआरसी को अपडेट करने की प्रक्रिया शुरू की थी. राज्य के सभी लोगों को अपने दस्तावेजों को पेश करने के लिए कहा गया था, ताकि यह साबित हो सके कि उनके परिवार 24 मार्च, 1971 से पहले भारत में रह रहे हैं. बाद में इसका मसौदा जारी हुआ जिसमें 3.29 करोड़ आवेदकों में 40 लाख से ज्यादा लोग घुसपैठिए पाए गए. बीजेपी ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि बाहरी लोगों को किसी भी सूरत में असम के संसाधनों पर कब्जा करने नहीं दिया जाएगा. बीजेपी ने बाहरी लोगों को उनके देश भेजने की भी प्रक्रिया शुरू की जिसमें कुछ रोहिंग्या मुसलमान म्यांमार भेजे गए. कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस जैसे दलों ने इसका घोर विरोध किया लेकिन बीजेपी अपने एजेंडे में कामयाब रही. कह सकते हैं कि असम में शुरू हुआ यह अभियान उत्तर पूर्व के अन्य राज्यों में भी अच्छा असर छोड़ा और यह मुद्दा वोट बनाने में कामयाब रहा.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद इस मुद्दे पर असम में प्रचार करते दिखे और कहा कि "जिस तरह से मोदी ने नक्सलियों और आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई की है, उसी तरह से मोदी घुसपैठियों को छोड़ने नहीं जा रहे हैं. दूसरी तरफ यह चौकीदार शरणार्थियों से न्याय करेगा, जो कांग्रेस की ऐतिहासिक चूक के पीड़ित हैं." मोदी का यह बयान असम में अचूक निशाना साबित हुआ दिखता है क्योंकि यहां की कुल 14 सीटों पर बीजेपी 9 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है.

उत्तर पूर्वी राज्यों में सिटिजनशिप बिल का मुद्दा भी काफी सुर्खियों में रहा जिसे बीजेपी लेकर आई थी. विपक्षी दलों ने इसका भी भारी विरोध किया और एक समय ऐसा कहा जा रहा था कि बीजेपी को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है. हालांकि मतगणना के रूझान बता रहे हैं कि उत्तर पूर्व में बीजेपी जिस तरह से बढ़त बनाए हुए है, उसे देखकर नहीं कहा जा सकता कि सिटिजनशिप बिल का मुद्दा बीजेपी को धोखा दे गया.

यह मुद्दा तब और सुर्खियों में आया जब संसद में इसे लेकर भारी हंगामा हुआ. हालांकि तृणमूल कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों के विरोध के बावजूद नागरिकता संशोधन विधेयक पारित हो गया. यह विधेयक बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के छह गैर मुस्लिम अल्पसंख्यक समूह के लोगों को भारतीय नागरिकता हासिल करने में आ रही बाधाओं को दूर करने का प्रबंध करता है. यह मामला इतना बढ़ा कि पूर्वोत्तर की 11 राजनीतिक पार्टियां नागरिकता विधेयक के खिलाफ एकजुट हुईं और केंद्र सरकार से इसे रद्द करने की अपील की गई. दूसरी ओर सरकार अपने इरादे पर अटल रही लेकिन उत्तर पूर्व के लोगों को भरोसा जरूर दिलाया कि उनके हितों का कोई नुकसान नहीं हुआ.

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