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आरएसएस चुनाव में नोटा के खिलाफ, 100% मतदान के लिए चलाएगा अभियान

एक तरफ बीजेपी 100 प्रतिशत मतदान के लिए सोशल मीडिया पर जागरूकता अभियान चलाकर पार्टी का वोट शेयर बढ़ाने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है. वहीं दूसरी तरफ आरएसएस भी अपने स्वयंसेवकों के जरिये घर घर में जाकर 100 प्रतिशत मतदान के लिए और नोटा के खिलाफ प्रचार सामग्री बांटकर जागरूकता अभियान चलाएगा.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
हिमांशु मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 04 अप्रैल 2019,
  • अपडेटेड 1:00 PM IST

लोकसभा चुनाव की जंग में सभी पार्टियां पूरे दमखम से उतर चुकी हैं. उसी क्रम में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मतदान प्रक्रिया में लोगों की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए जागरूकता अभियान चलाएंगे. लोकसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान 11 अप्रैल को होना है. ऐसे में अगले दो से तीन दिनों में बीजेपी सोशल मीडिया पर अब 100 प्रतिशत मतदान के लिए जागरूकता अभियान चलाएगी.

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अचार संहिता लागू होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अलग अलग क्षेत्रों से जुड़ी बड़ी हस्तियों से मतदान करने के लिए अपील की थी, ताकि लोकतंत्र को मजबूत बनाया जा सके. अब पार्टी बड़े स्तर पर 100 प्रतिशत मतदान के लिए जागरूकता अभियान चलाकर अपनी पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने के साथ अपनी पार्टी का वोट शेयर बढ़ाने के लिए मुहिम चलाएगी.

एक तरफ बीजेपी 100 प्रतिशत मतदान को लेकर सोशल मीडिया पर जागरूकता अभियान चलाकर पार्टी का वोट शेयर बढ़ाने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है. वहीं दूसरी तरफ आरएसएस भी अपने स्वयंसेवकों के जरिये घर घर में जाकर 100 प्रतिशत मतदान के लिए और नोटा के खिलाफ प्रचार सामग्री बांटकर जागरूकता अभियान चलाएगा.

वैसे भी पिछले साल दिल्ली में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत तीन दिवसीय 'भविष्य के भारत संघ का दृष्टिकोण' कार्यक्रम में कहा था कि संघ चुनाव में 100 प्रतिशत मतदान का पक्षधर है. संघ मतदान में नोटा के प्रावधान के ख़िलाफ़ है. संघ का मानना है कि चुनाव में नोटा को खत्म करना चाहिए और जितने भी उम्मीदवार हों, उनमें से बेहतर व्यक्ति को चुनना चाहिए. मोहन भागवत ने ये भी कहा था नोटा से व्यक्ति अपने मत अधिकार का गलत प्रयोग करता है.

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बीजेपी और संघ ने 100 प्रतिशत मतदान के लिए जिस तरह सोशल मीडिया पर और घर घर जाकर जागरूकता अभियान चालने जा रही हैं. इसका मतलब साफ़ है कि 2019 का चुनाव जीतने के लिए पार्टी और संघ ऐड़ी चोटी का ज़ोर लगाकर एक बार फिर से सत्ता पर क़ाबिज़ होना चाहते हैं. क्योंकि अभी विचारधारा से जुड़े हुए मुद्दों पर सरकारी मुहर लगा कर उन्हें लागू कराना बाक़ी है.

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