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कांग्रेस के घोषणा पत्र में AFSPA खत्म, उमर और महबूबा ने किया स्वागत

उमर अब्दुल्ला ने कहा, कांग्रेस ने अगर इसका जिक्र किया है तो मैं इसका स्वागत करता हूं. अगर 2014 से पहले इसे किया जाता तो प्रदेश के कुछ हिस्सों में अफस्पा अब तक हट गया होता.

पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुुल्ला (फोटो-टि्वटर) पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुुल्ला (फोटो-टि्वटर)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 02 अप्रैल 2019,
  • अपडेटेड 8:56 PM IST

जम्मू और कश्मीर के 2 बड़े नेताओं ने कांग्रेस के घोषणा पत्र का स्वागत किया है. ये दोनों नेता प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला हैं. कांग्रेस ने मंगलवार को लोकसभा चुनाव का घोषणा पत्र जारी किया जिसमें कश्मीर में सैन्य बल (विशेष बल) अधिनियम (AFSPA) हटाए जाने पर विचार करने का वादा किया गया है. दोनों नेताओं ने कांग्रेस के इस प्रस्ताव का खुलकर समर्थन किया है.

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घोषणा पत्र जारी होने के ठीक बाद महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट किया और लिखा कि 'कांग्रेस ने उन मुद्दों को उठाकर बड़ा साहसिक कार्य किया है जिसकी चर्चा हमने बीजेपी के साथ गठबंधन सरकार के एजेंडे में की थी. इन मुद्दों में अफस्पा हटाया जाना, जम्मू कश्मीर के सांविधानिक प्रावधानों के साथ कोई छेड़छाड़ न करना और बिना शर्त बातचीच शुरू करना शामिल है. जम्मू कश्मीर में अमन चैन के लिए पीडीपी का रोडमैप यही है.'

कांग्रेस के घोषणापत्र के मुताबिक, पार्टी जम्मू कश्मीर में स्थिति बेहतर करेगी और अफस्पा और जम्मू कश्मीर में अशांत क्षेत्र अधिनियम की समीक्षा भी करेगी. घोषणापत्र में जम्मू कश्मीर के छात्रों, व्यापारियों और अन्य को सुरक्षा और पढ़ाई के अधिकार के साथ-साथ देश में कहीं भी व्यापार करने की सुविधा देने का वादा किया गया. घोषणापत्र में कहा गया कि पार्टी 'यहां के लोगों से भेदभाव और उत्पीड़न के मामलों में गहराई से चिंतित है.' जम्मू कश्मीर के बारे में घोषणापत्र में यह भी कहा गया है, "हम दो-तरफा दृष्टिकोण अपनाएंगे-पहला, सीमा पर बिना किसी किंतु-परंतु के साथ पूरी मजबूती और घुसपैठ को खत्म करेंगे और दूसरा, जनता की मांगों को पूरा करने में निष्पक्षता दिखाते हुए उनका दिल और दिमाग जीतेंगे."

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पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कांग्रेस के घोषणा पत्र को 'न से देर भली' करार देते हुए कहा कि कांग्रेस में उनके कुछ मित्रों ने अफस्पा हटाए जाने के खिलाफ साजिश रची और अपने मुख्यमंत्री काल में इसे हटाने की लगातार मांग करते रहे लेकिन किसी ने नहीं सुनी. अब्दुल्ला ने न्यूज एजेंसी एएनआई से कहा, 'मुझे लगता है कि उन्हें यह मुद्दा (अफस्पा हटाना) तब उठाना चाहिए था जब मैं मुख्यमंत्री था. उस वक्त जब मैंने अफस्पा हटाने की मांग की तो कुछ कांग्रेसी मित्रों ने इसके खिलाफ साजिश रची. मैं उनका नाम नहीं लेना चाहता लेकिन मुझे सिर्फ पी. चिदंबरम से समर्थन मिला.'

उमर अब्दुल्ला ने आगे कहा, 'कांग्रेस ने अगर इसका जिक्र किया है तो मैं इसका स्वागत करता हूं. अगर 2014 से पहले इसे कर दिए होते तो प्रदेश के कुछ हिस्सों में अफस्पा अब तक हट गया होता.' गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर में काफी पहले से अफस्पा हटाए जाने की मांग हो रही है. खासकर बीजेपी के विपक्षी दलों ने अपनी मांग शुरू से तेज रखी है. उनका कहना है कि यह कानून मानवाधिकारों का उल्लंघन है और जनभावनाओं के खिलाफ है.

जम्मू और कश्मीर के अलावा नगालैंड और मणिपुर में अफस्पा लागू है. उत्तर पूर्व के कुछ अन्य इलाकों में भी यह कानून लगाया गया है. इस कानून के तहत सेना को कुछ विशेष अधिकार मिले हैं. सेना किसी की गिरफ्तारी कर सकती है और हिंसा की स्थिति में फायरिंग भी कर सकती है. मगर कई साल से जम्मू कश्मीर के लोगों और कुछ दलों के आरोप हैं कि इस कानून की आड़ में सेना मानव अधिकारों का हनन करती है.

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गौरतलब है कि आगामी लोकसभा चुनावों के लिए कांग्रेस ने मंगलवार को अपना 53 पन्नों का घोषणापत्र जारी किया जिसमें सुशासन, किसानों को ऋण से मुक्ति, मौजूदा रोजगार को बचाते हुए नए रोजगारों का सृजन और बिना किसी भेदभाव के भ्रष्टाचार-रोधी कानूनों को लागू करने का वादा किया गया है. घोषणापत्र को 'काम'-रोजगार और वृद्धि, 'दाम'-अर्थव्यवस्था जो सभी के लिए काम करे, 'शान'-भारत की हार्ड और सॉफ्ट पावर में गर्व, 'सुशासन', 'स्वाभिमान'-वंचितों के लिए आत्मसम्मान और 'सम्मान'-सभी के लिए गरिमापूर्ण जीवन में बांटा गया है. घोषणापत्र को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में जारी किया.

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