
एयर स्ट्राइक को जहां दिल्ली बीजेपी अपने पक्ष में बता कर इसे अपने सियासी जीत के लिए भूनाने की कोशिश कर रही है. वहीं इस समीकरण को देखते हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत पाने वाली आम आदमी पार्टी(AAP) अकेले चुनाव लड़ने से कतरा रही है. सभी 7 लोकसभा सीटों पर AAP दिल्ली में कांग्रेस के साथ लड़ना चाहती है. गठबंधन की बात को लेकर बीजेपी भी काफी सतर्क हो गई है और इसे देखते हुए चुनावी रणनीति तैयार कर रही है.
दिल्ली बीजेपी के नेताओं को लगता है कि अगर गठबंधन नहीं हुआ तो बीजेपी दिल्ली की सातों सीटों पर जीत सकती है लेकिन अगर गठबंधन हुआ तो फिर जिस मिशन 51 पर बीजेपी काम कर रही है शायद वो हासिल करना मुश्किल हो जाए.
दिल्ली की सात सीटों के लिए बीजेपी ने अभी तक अपने उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है. माना जा रहा है कि पार्टी नेतृत्व गठबंधन का इंतजार कर रहा है. जिसके बाद गठबंधन के अनुसार पार्टी अपने प्रत्याशियों की घोषणा करना चाहती है.
बताया जा रहा है कि अगर आम आदमी पार्टी और कांग्रेस साथ मिलकर चुनाव मैदान में उतरते हैं तो बीजेपी के लिए लड़ाई जरूर कठिन हो जाएगी. पिछले लोकसभा चुनाव में मिले मतों के आंकड़े को देखें तो AAP को 33.1 फीसदी और कांग्रेस को 15.2 फीसदी मत मिले थे वहीं बीजेपी को 46.39 फीसदी मत मिले थे.
दिल्ली की इन सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबले में बीजेपी की राह आसान हो सकती है. इसी चुनावी गणित को ध्यान में रखते हुए दिल्ली बीजेपी 51 फीसदी वोट हासिल करना चाहती है. जिसके लिए दिल्ली बीजेपी ने मिशन 51 के तहत काम करना शुरू कर दिया है. अगर बीजेपी 51 फीसदी वोट हासिल करती है तो गठबंधन होने से भी कोई फर्क नहीं पड़ेगा.
गठबंधन के बाद भी बीजेपी अपने दम पर विजय पताका फहरा सके इसके लिए बीजेपी ने बूथ स्तर पर काम करना शुरू कर दिया है. प्रत्याशियों की घोषणा में हो रही देरी से चुनाव प्रचार अभियान प्रभावित न हो इसके लिए लोकसभा प्रभारियों को इसकी विशेष जिम्मेदारी दी गई है.
दिल्ली बीजेपी ने 2 लाख 80 हजार के करीब गठनायक की टीम तैयार की है जिनको अलग-अलग जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं. बूथ लेवल पर भी हर बूथ पर 25 कार्यकर्ताओं की टीम बनाई गई है, वहीं हर 10 घर पर एक कार्यकर्ता को नियुक्त किया गया है. पार्टी चाहती है की सैलून वालों से लेकर पान वाले तक, झुग्गी झोपड़ी और अनाधिकृत कॉलोनियों में रहने वाले लोगों तक पहुंच बनाया जा सके.
वर्ष 2014 में यहां त्रिकोणीय मुकाबला हुआ, इसमें भाजपा 46.39 फीसद मत लेकर सभी सातों सीटें जीतने में सफल रही थी. लेकिन, 2015 में स्थिति पलट गई और विधानसभा चुनाव में आप ने 70 में से 67 विधानसभा क्षेत्रों में जीत हासिल की थी.
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