
कृषि संकट और किसानों की बदहाली के मुद्दे पर लगातार विपक्ष के हमले झेल रही केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने चुनावी साल में अपने आखिरी और अंतरिम बजट में किसानों के लिए बड़ा ऐलान किया है. सरकार ने इस बजट में देश के लघु एवं सीमांत किसानों को 6000 रुपये प्रतिवर्ष देने का वायदा किया है. सरकार का यह दांव कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की घोषणा के बाद हिंदी पट्टी के तीन राज्यों में नवगठित कांग्रेस सरकारों द्वारा किसानों की कर्ज माफी के जवाब के तौर पर देखा जा रहा है.
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अपनी रैलियों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर अक्सर यह आरोप लगाते रहे हैं कि सरकार चंद उद्योगपतियों का कर्ज तो माफ करती है, लेकिन जब बात किसानों की कर्जमाफी की आती है तो कहती है यह हमारी पॉलिसी नहीं है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में एक समाचार एजेंसी को दिए अपने इंटरव्यू में किसानों की कर्जमाफी के मुद्दे पर कहा था कि अगर कोई राज्य अपने संसाधनों द्वारा कर्ज माफी करती है तो कर सकती है. लेकिन सरकार का मानना है कि किसानों की समस्या का हल कर्ज माफ करने से नहीं बल्कि उन्हें मजबूत करने से होगा, उनकी क्षमता बढ़ाने से होगा.
देश में किसानों की कुल आबादी का 85 फीसदी लघु एवं सीमांत किसान हैं. ये वो किसान हैं जिनकी जोत अपेक्षाकृत कम है. ऐसे में सरकार ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि का ऐलान किया है, जिसके लिए 75,000 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई है. वहीं, इस वित्तीय वर्ष के लिए 20,000 करोड़ रुपया आवंटित किया गया है. मोदी सरकार की इस घोषणा के तहत देश के 2 हेक्टेयर तक की जोत वाले किसानों को प्रतिवर्ष 6000 रुपये केंद्र सरकार की तरफ से सीधे उनके बैंक खाते में दिया जाएगा. यह राशि फसली चक्र को देखते हुए तीन किश्तों में किसानों के खाते में ट्रांसफर की जाएगी. मोदी सरकार की इस योजना का लाभ देश के 12 करोड़ किसानों को मिलेगा. यह योजना 1 दिसंबर, 2018 से लागू हो जाएगी, जिसकी पहली किश्त जल्द ही किसानों के खाते में होगी.
बता दें कि इस तरह की स्कीम देश के कुछ राज्यों में पहले से चल रही है. तेलंगाना की के. चंद्रशेखर राव सरकार रायतु बंधू योजना के तहत कृषि में निवेश-खाद, बीज, कीटनाशक इत्यादि के समर्थन के लिए किसानों को 4000 रुपये प्रति एकड़ प्रति सीजन देती है. इसके अलावा झारखंड और ओडिशा में भी इससे मिलती जुलती योजनाएं चल रही हैं. ओडिशा सरकार ने कालिया योजना शुरू की है जिसके तहत लघु एवं सीमांत किसानों को 10,000 रुपये मिलते हैं. तो वहीं झारखंड सरकार ने इस वित्त वर्ष से राज्य के 23 लाख मध्यम और सीमांत किसानों को प्रतिमाह 5000 रुपये प्रति एकड़ देने जा रही है.
वहीं, पश्चिम बंगाल ने राज्य में खेतिहर मजदूरों और किसानों के लिए दो योजनाओं की घोषणा की है जिसमें किसानों को दो किस्तों में 5000 रुपये प्रति एकड़ भुगतान की बात कही गई है. केंद्र सरकार ने इस योजना के जरिए एक तीर से दो निशाना लगाने की भी कोशिश की है. गौरतलब है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने छत्तीसगढ़ में किसान आभार रैली को संबोधित करते हुए ऐलान किया कि केंद्र में कांग्रेस सरकार आने पर देश के गरीबों को न्यूनतम आमदनी सुनिश्चित करने के लिए योजना लाई जाएगी. राहुल ने कहा था कि यह अपने तरह की दुनिया में पहली ऐसी योजना होगी. अब मोदी सरकार ने किसानों की बहुत बड़ी आबादी को एक निश्चित राशि देने का वायदा करते हुए कृषि संकट पर बन रहे माहौल और यूनिवर्सल बेसिक इनकम- दोनों पहलुओं को छूने का प्रयास करती दिख रही है.