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फर्रुखाबाद सीट: आलू के शहर में क्या फिर खिलेगा कमल?

उत्तर प्रदेश की महत्वपूर्ण लोकसभा सीटों में से फर्रुखाबाद संसदीय सीट भी काफी अहम है. ये इलाका सूबे के आलू उत्पादन में अव्वल है. इसलिए फर्रुखाबाद शहर को पोटैटो सिटी - आलू का शहर के नाम से जाना जाता है. फर्रुखाबाद सूबे के कानपुर मंडल का हिस्सा है. यहां की संसदीय सीट पर मौजूदा समय में बीजेपी का कब्जा है.

बीजेपी प्रतीकात्मक फोटो बीजेपी प्रतीकात्मक फोटो
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली,
  • 23 मार्च 2019,
  • अपडेटेड 9:42 AM IST

उत्तर प्रदेश की महत्वपूर्ण लोकसभा सीटों में से फर्रुखाबाद संसदीय सीट भी काफी अहम है. ये इलाका सूबे के आलू उत्पादन में अव्वल है. इसीलिए फर्रुखाबाद शहर को पोटैटो सिटी (आलू का शहर) के नाम से जाना जाता है. फर्रुखाबाद सूबे के कानपुर मंडल का हिस्सा है. यहां की संसदीय सीट पर मौजूदा समय में बीजेपी का कब्जा है. जबकि इससे पहले कांग्रेस की मनमोहन सरकार में विदेश मंत्री रहे सलमान खुर्शीद इसी सीट से चुनकर संसद पहुंचे थे. ये ऐसी सीट है जहां से समाजवादी नेता राममनोहर लोहिया भी जीत हासिल कर चुके हैं.

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राजनीतिक पृष्ठभूमि

आजादी के बाद से ही फर्रुखाबाद लोकसभा सीट पर अभी तक करीब 15 बार लोकसभा सभा चुनाव हुए हैं. इनमें से 7 बार कांग्रेस ने जीत हासिल की है. जबकि तीन बार बीजेपी, दो बार सपा, दो बार जनता पार्टी और एक-एक बार जनता दल और संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी को जीत मिली है. आजादी के बाद 1952 में हुए लोकसभा चुनाव में फर्रुखाबाद का इलाका कानपुर संसदीय सीट के तहत आता था.

फर्रुखाबाद लोकसभा सीट पर पहली बार 1957 में चुनाव हुआ और कांग्रेस के मूलचंद दूबे यहां से जीतकर सांसद पहुंचे. इसके बाद 1962 में भी मूलचंद जीतने में सफल रहे, लेकिन 1962 में ही चुनाव में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के राममनोहर लोहिया ने जीत हासिल की है. हालांकि 1967 में कांग्रेस ने एक बार फिर वापसी की और 1971 तक दबदबा कायम रहा, लेकिन 1977 में भारतीय लोकदल के दयाराम शाक्य ने कांग्रेस के अवधेश चन्द्र सिंह को हराकर कब्जा जमाया. इसके बाद कांग्रेस ने 1984 में वापसी की और खुर्शीद आलम खान सांसद बने, लेकिन पांच साल के बाद 1989 में हुए चुनाव में संतोष भारतीय जनता दल से जीतने में कामयाब रहे.

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साल 1991 में कांग्रेस ने यहां वापसी की और पूर्व केन्द्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद ने जीत दर्जकर संसद पहुंचे. साल 1996 और 1998 में बीजेपी से स्वामी सच्चिदानद हरी साक्षी महाराज सांसद चुने गए, लेकिन 1999 और 2004 में समाजवादी पार्टी से चंद्रभूषण सिंह उर्फ मुन्नू भईया जीत हासिल की. 2009 के चुनाव में कांग्रेस से सलमान खुर्शीद एक बार फिर जीतने में कामयाब रहे. लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी से मुकेश राजपूत 20 साल बाद फर्रुखाबाद सीट पर कमल खिलाने में कामयाब रहे.

सामाजिक ताना-बाना

फर्रुखाबाद लोकसभा सीट पर 2011 के जनगणना के मुताबिक, कुल जनसंख्या 2370591 है. इसमें 80.25 फीसदी ग्रामीण औैर 19.75 फीसदी शहरी आबादी है. 2017 में हुए विधानसभा चुनाव के मुताबिक इस लोकसभा सीट पर पांचों विधानसभा सीटों पर कुल 1676677  मतदाता और 1796 मतदान केंद्र हैं. अनुसूचित जाति की आबादी इस सीट पर 16.11 फीसदी है जबकि अनुसूचित जनजाति की आबादी 0.01 फीसदी है. इसके अलावा फर्रुखाबाद संसदीय सीट पर राजपूत और ओबीसी समुदाय में लोध और यादव मतदाताओं के साथ-साथ ब्राह्मण मतदाता काफी निर्णायक भूमिका में हैं. जबकि 14 फीसदी मुस्लिम वोटर हैं.

उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद लोकसभा सीट के तहत पांच विधानसभा सीटें आती हैं. इनके नाम अलीगंज ,कैमगंज, अमृतसर  भोजपुर और फर्रुखाबाद विधानसभा क्षेत्र आते हैं. मौजूदा समय में पांचों सीटों पर बीजेपी का कब्जा है.

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2014 का जनादेश

2014 के लोकसभा चुनाव में फर्रुखाबाद संसदीय सीट पर 60.15 फीसदी मतदान हुए थे. इस सीट पर बीजेपी के मुकेश राजपूत ने सपा के रमेश्वर यादव को एक लाख 50 हजार 502  वोटों से मात देकर जीत हासिल की थी.

बीजेपी मुकेश राजपूत  को 406,19 वोट मिले

सपा के रमेश्वर यादव को 255,693 वोट मिले

बसपा के जयवीर सिंह  वो 114,521 वोट मिले

कांग्रेस के सलमान खुर्शीद को 95,543 वोट मिले

सांसद का रिपोर्ट कार्ड

फर्रुखाबाद  लोकसभा सीट से 2014 में जीते मुकेश राजपूत ने लोकसभा में बेहतर प्रदर्शन रहा है. पांच साल में चले सदन के 331 दिन में वो 299 दिन उपस्थित रहे. इस दौरान उन्होंने 33 सवाल उठाए और 42 बहसों में हिस्सा लिया. इतना ही नहीं उन्होंने पांच साल में मिले 25 करोड़ सांसद निधि में से 13.02 करोड़ रुपये विकास कार्यों पर खर्च किया.

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