
EVM से छेड़छाड़ पर देश भर में छिड़े विवाद के बीच भारत के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने भोपाल में आजतक से खास बातचीत में कहा है कि EVM पूरी तरह सुरक्षित और छेड़छाड़ रहित हैं.
ओपी रावत ने कहा कि EVM से छेड़छाड़ या उसे बदलना नामुमकिन है और जो गड़बड़ी करने का सवाल उठाया जा रहा है वह पूरी तरह से निराधार है. ओपी रावत ने चुनाव आयोग पर भरोसा जताते हुए कहा कि इलेक्शन कमिशन चौकस तरीके से अपनी व्यवस्थाओं को बनाए हुए हैं इससे किसी भी तरह की गड़बड़ी की आशंका खत्म हो जाती है.
'छेड़छाड़ होने पर फैक्टरी मोड में पहुंच जाएगी EVM'
अपनी खास बातचीत में ओपी रावत ने कहा, 'वैसे तो सुरक्षा इस तरीके की होती है कि ईवीएम से छेड़छाड़ की कोई कोशिश भी नहीं कर सकता लेकिन जो ईवीएम अभी इस्तेमाल हो रही है यह थर्ड जनरेशन ईवीएम है. अगर उसे कोई जरा-सा भी छूने की कोशिश भी करेगा तो वह फैक्ट्री मोड में चली जाएगी और उसका फिर से सर्टिफिकेट रि-इश्यू करना पड़ेगा जो कि फैक्ट्री से ही हो पाएगा'.
इंटरनेट या वाई-फाई भी बेअसर
स्ट्रांग रूम के आसपास इंटरनेट या वाई-फाई डिसेबल ज़ोन की कांग्रेस की मांग पर ओपी रावत ने दावा किया कि EVM पर किसी भी तरह के इंटरनेट या वाई-फाई का असर नहीं हो सकता. पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा, 'ईवीएम मशीन में वाईफाई का भी इस्तेमाल नहीं किया जा सकता क्योंकि यह इंटरनेट रेडी नहीं है, यह वाईफाई रेडी नहीं है, इसे केबल के जरिए भी बिजली कनेक्शन से नहीं जोड़ा जा सकता'.
बेहद सुरक्षित होता है स्ट्रांग रूम- ओपी रावत
ओपी रावत ने इसके साथ ही स्ट्रांग रूम की सुरक्षा पर भी बात की. उन्होंने बताया कि 'स्ट्रांग रूम में दरवाजे या खिड़की कुछ नहीं होती है. ईंट की चिनाई करके एक कमरा बनाया जाता है जिसमें दरवाजा खिड़की नहीं होती सिवाय एक एंट्री के'. उन्होंने बताया, 'मेन एंट्रेंस पर CCTV कैमरा लगाया जाता है उसमें लॉक होता है, जिस पर सील लगी होती है उसमें उम्मीदवार और उनके प्रतिनिधियों के दस्तखत होते हैं इस गेट पर लगे सीसीटीवी के जरिए पार्टी कार्यकर्ता 24 घंटे निगरानी कर सकते हैं कि वहां पर किसी तरीके की कोई छेड़छाड़ ना हो सके.
स्ट्रांग रूम की 3 लेयर में सुरक्षा होती है पहली लेयर केंद्रीय सुरक्षा बल, दूसरी आर्म्ड फोर्स और तीसरी लोकल पुलिस. ऐसे में ईवीएम तक बिना किसी की नजर में आए पहुंचना नामुमकिन है. स्ट्रांग रूम का ताला जब खोला जाता है तो सामने उम्मीदवारों को सामने खड़ा किया जाता है. उनके सामने ही सील खोली जाती है. उस वक्त उनके दस्तखत किए जाते हैं कि सील करते वक्त जो दस्तखत उन्होंने किए थे वह सही हैं या नहीं, सील के साथ किसी तरीके की छेड़-छाड़ हुई या नहीं.'