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गोरखपुर की 'घर वापसी' कराने में जुटे योगी आदित्यनाथ, 'सियासी दुश्मन' से मिलाया हाथ

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपनी परंपरागत गोरखपुर लोकसभा सीट को सपा से छीनने की रणनीति में जुट गए हैं. इसी कड़ी में उन्होंने सपा के निषाद कार्ड के जरिए ही अखिलेश यादव को मात देने की योजना को अमलीजामा पहनाना शुरू कर दिया है.

उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (फोटो-twitter) उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (फोटो-twitter)
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली,
  • 06 मार्च 2019,
  • अपडेटेड 4:02 PM IST

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपनी परंपरागत गोरखपुर लोकसभा सीट को सपा से छीनने की रणनीति में जुट गए हैं. इसी कड़ी में उन्होंने सपा के निषाद कार्ड के जरिए ही अखिलेश यादव को मात देने की योजना को अमलीजामा पहनाना शुरू कर दिया है. बतौर सांसद योगी के लिए हमेशा से चुनौती पेश करने वाला जमुना प्रसाद निषाद का परिवार सपा को अलविदा कहने की तैयारी में है.

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माना जा रहा है कि दिवंगत जमुना निषाद की पत्नी और पूर्व विधायक राजमती निषाद और उनके बेटे अमरेंद्र निषाद बीजेपी का दामन थाम सकते हैं. ये सपा के लिए तगड़ा झटका माना जा रहा है. वहीं, गोरखपुर में एक बार फिर बीजेपी के लिए कमल खिलने की उम्मीद बनती दिख रही है.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मंगलवार को गोरखपुर में थे. इस दौरान अमरेंद्र निषाद ने सीएम योगी से शहर के सर्किट हाउस में मुलाकात की. इसी के बाद से सियासी कयास लगाए जा रहे हैं कि अमरेंद्र निषाद और उनकी माता राजमती निषाद ने सपा छोड़ने का फैसला कर लिया है. इस बात को अमरेंद्र निषाद ने खुद ही स्वीकार किया है.

हालांकि, अमरेंद्र ने बीजेपी में जाने को लेकर पत्ता नहीं खोला है. लेकिन जिस तरह से उन्होंने सीएम योगी से मुलाकात की है और नई विचाराधारा के साथ जुड़ने की बात कर रहे हैं, उससे साफ जाहिर है उनका अगला सियासी ठिकाना कहां है.

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दरअसल, सपा-बसपा गठबंधन में गोरखपुर लोकसभा सीट सपा के खाते में गई है. गोरखपुर संसदीय सीट पर बीजेपी का दबदबा रहा है. पिछले तीन दशकों तक यहां न तो बसपा की सोशल इंजीनियरिंग काम आई है और न ही सपा का समाजवाद. लेकिन 2017 के विधानसभा चुनाव के बाद जब बीजेपी ने सत्ता की कमान योगी आदित्यनाथ को सौंपी तो उन्होंने इस सीट से लोकसभा सदस्यता से इस्तीफा दे दिया.

इसके बाद 2018 में हुए उपचुनाव में सपा ने निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. संजय निषाद के बेटे प्रवीण निषाद को टिकट दिया. गोरखपुर उपचुनाव में सपा को बसपा का समर्थन मिला और प्रवीण निषाद ने बीजेपी की इस परंपरागत सीट को छीन लिया.  

2019 के लोकसभा चुनाव की सियासी बिसात बिछाई जाने लगी है. ऐसे में सपा से इस सीट पर प्रवीण निषाद का टिकट पक्का माना जा रहा है. ऐसे में जमुना प्रसाद निषाद का परिवार अपने सियासी वजूद को बचाए रखने के की कोशिशों में जुट गया. पिछले दिनों अमरेंद्र निषाद और उनकी माता राजमती निषाद ने अपने समर्थकों के साथ बैठक की और लोकसभा चुनाव लड़ने की मंशा जाहिर की.

इस बात की जैसे ही भनक योगी आदित्यनाथ को लगी तो जमुना निषाद के परिवार से अपने सियासी दुश्मनी को भुलाकर उन्हें अपने खेमे में लाने की कवायद शुरू कर दी. सूत्रों की मानें तो इसी कड़ी के तहत अमरेंद्र निषाद ने योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की है. माना जा रहा है कि उन्होंने बीजेपी में एंट्री की हरी झंडी दे दी है.

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दिलचस्प बात ये है कि गोरखपुर में योगी आदित्यनाथ को अब तक सबसे बड़ी चुनौती जमुना प्रसाद निषाद ही देते आए थे. एक बार तो योगी को उनके सामने जीतने में पसीने छूट गए थे और महज करीब 7 हजार वोट से ही जीत सके थे.

जमुना प्रसाद के निधन के बाद उनकी पत्नी राजमती निषाद पिपराइच से सपा के टिकट पर विधायक बनी थी. 2014 के लोकसभा चुनाव में सपा ने योगी आदित्यनाथ के खिलाफ राजमती निषाद प्रत्याशी बनाया था. लेकिन वो जीत नहीं सकी थीं. 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में सपा ने राजमती के बेटे अमरेंद्र निषाद को पिपराइच सीट से मैदान में उतारा था, लेकिन वो जीत नहीं सके.

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