
झारखंड के मुख्यमंत्री रहे हेमंत सोरेन राज्य के सबसे बड़े राजनीतिक परिवार से आते हैं. उनके पिता राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा के सुप्रीमो शिबू सोरेन हैं. हेमंत सोरेन सबसे कम उम्र में मुख्यमंत्री बनने वाले नेताओं में शुमार हैं. हेमंत सोरेन अपने पिता की तरह राज्य में आदिवासी समुदाय के बड़े नेता माने जाते हैं. उन्हें राजनीति विरासत में मिली है.
पूरा परिवार राजनीति में सक्रिय
हेमंत सोरेन के पिता शिबू सोरेन की चार संतानें हैं. हेमंत सोरेन के दो भाई और एक बहन सभी राजनीतिक रूप से सक्रिय हैं. हालांकि, पिता की विरासत को संभालने का जिम्मा हेमंत सोरेन को ही मिला. वह शिबू सोरेन के तीन बेटों में मंझले हैं. शिबू सोरेन के सामने जब राज्य की बागडोर सौंपने की बात आई तो उन्होंने हेमंत सोरेन पर ही भरोसा जताया. हेमंत सोरेन 2009-2010 में राज्यसभा सांसद भी रह चुके हैं.
2013 में बने राज्य के मुख्यमंत्री
हेमंत सोरेन ने 2013 में झारखंड के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. सरकार बनाने में उन्हें कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल का साथ मिला था. विपक्ष में रहते हुए हेमंत सोरेन राज्य के आंदोलनों में सक्रिय रहे हैं. 2016 में राज्य में भाजपा की सरकार सत्तारूढ़ थी. तत्कालीन सरकार ने छोटा नागपुर टीनेंसी एक्ट और संथाल परगना टीनेंसी एक्ट को बदलने की कोशिश की थी. इसमें आदिवासी भूमि को गैर कृषि कार्यों में इस्तेमाल करने का प्रावधान था. इसका राज्य में काफी विरोध हुआ और हेमंत सोरेन ने इसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया.
एससी-एसटी एक्ट में बदलाव का किया था विरोध
हेमंत सोरेन पीडीएस में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के मुखर आलोचक रहे हैं. इसके अलावा हेमंत सोरेन ने अपने पिता शिबू सोरेन के साथ एससी-एसटी एक्ट में बदलाव के विरोध में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से भी मुलाकात की थी. यही नहीं, वह बिहार की तर्ज पर झारखंड में भी शराबबंदी की वकालत लंबे समय से करते आए हैं.
2019 के लिए थर्ड फ्रंट से लेकर महागठबंधन की कोशिश
2019 लोकसभा चुनाव में हेमंत ने तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव के साथ मिलकर थर्ड फ्रंट बनाने की कोशिश भी की थी. हालांकि, हेमंत सोरेन यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी द्वारा दिल्ली में दिए गए डिनर में भी शामिल हुए थे. यह डिनर मीटिंग एनडीए के खिलाफ महागठबंधन बनाने की कोशिशों के फलस्वरूप हुई थी. हालांकि, बाद में 2019 लोकसभा चुनावों के लिए झारखंड मुक्ति मोर्चा कांग्रेस नीत महागठबंधन में शामिल हो गया. इसमें कांग्रेस, झारखंड मुक्ति मोर्चा, झारखंड विकास मोर्चा (बाबूलाल मरांडी) और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) शामिल हैं.
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