
महाराष्ट्र में कांग्रेस अगर प्रकाश आंबेडकर की पार्टी वंचित बहुजन आघाडी (वीबीए) से गठबंधन कर लेती तो कम से कम 6 सीटें यूपीए की झोली में होतीं. कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए में एनसीपी और स्वाभिमान पक्ष थे. लेकिन प्रकाश आंबेडकर के साथ उनका सीटों पर समझौता नहीं हो पाया. नतीजा वंचित बहुजन आघाडी ने असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम से राज्य की 48 सीटों पर समझौता कर लिया. हालांकि ये गठबंधन सिर्फ 1 सीट जीतने में कामयाब रहा. लेकिन इसने यूपीए को पूरे राज्य में नुकसान पहुंचाया.
राज्य की 6 ऐसी सीटें थीं, जहां वंचित बहुजन आघाडी ने यूपीए उम्मीदवारों को नुकसान पहुंचाया और उनके वोट अगर जुड़ जाते तो बीजेपी कैंडिडेट की हार होती. इस लिस्ट में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण की नांदेड़ सीट भी शामिल है, जहां वंचित बहुजन आघाडी के उम्मीदवार को 1.23 लाख वोट मिले जबकि चव्हाण लगभग 40 हजार वोटों से हारे. ऐसे ही गढ़चिरौली-चिमूर लोकसभा में भी यूपीए उम्मीदवार लगभग 77 हजार वोटों से हार गया. यहां भी प्रकाश आंबेडकर की पार्टी को 1 लाख से ज्यादा वोट मिले.
सांगली में तो वंचित बहुजन आघाडी के उम्मीदवार को करीब 25 फीसदी वोट मिले, जो यूपीए के उम्मीदवार से करीब 44 हजार वोट ही कम थे. अगर यहां उनका समझौता होता तो एनडीए उम्मीदवार को अच्छे खासे अंतर से हरा सकते थे. खास बात है कि दलितों के सबसे बड़े नेता भीमराव आंबेडकर के पौत्र और वंचित बहुजन आघाडी के अध्यक्ष प्रकाश आंबेडकर दो जगहों अकोला और सोलापुर से चुनाव लड़े.
लेकिन दोनों सीटों से उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा. हालांकि अकोला में वो दूसरे नंबर पर रहे. यूपीए का उम्मीदवार तीसरे पायदान पर आया. इन आंकड़ों को देखकर साफ है कि अगर आंबेडकर से यूपीए ने समझौता किया होता तो हालात कुछ और होते. न तो यूपीए सिर्फ 5 सीटों पर सिमटती और न ही बीजेपी शिवसेना गठबंधन 41 सीटों पर जीतता. प्रकाश आंबेडकर ने मार्च 2018 में वंचित बहुजन आघाडी का ऐलान किया था, हालांकि उन्होंने एक साल बाद लोकसभा चुनावों से पहले पार्टी का रजिस्ट्रेशन कराया.
लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी और उसकी सहयोगी पार्टियों ने जबर्दस्त प्रदर्शन किया है. बीजेपी दूसरी बार पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाने जा रही है. उसे पहली बार 303 सीटें मिली हैं. जबकि एनडीए का आंकड़ा 353 पहुंच गया. कांग्रेस नीत यूपीए के खाते में 91 सीटें आई. वहीं अन्य को 98 सीटें मिलीं.