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पश्चिम बंगाल की जलपाईगुड़ी लोकसभा सीट पर मतगणना की प्रक्रिया शुरू हो गई है. इस सीट पर दूसरे चरण के तहत 18 अप्रैल को वोट डाले गए थे.
जलपाईगुड़ी लोकसभा सीट पर कुल 86.44 फीसदी मतदान हुआ. जलपाईगुड़ी लोकसभा सीट पर मतगणना के दौरान मिलने वाले रुझान और अंतिम नतीजे जानने के लिए इस पेज पर बने रहें और इसे रिफ्रेश करते रहें.
LIVE UPDATES
- अभी तक के रुझानों में बीजेपी को बढ़त मिल रही है. बीजेपी उम्मीदवार जयंत कुमार रॉय को 302387 और टीएमसी उम्मीदवार विजय चंद्र बर्मन को 201781 वोट मिले. जबकि सीपीएम के भागीरथ चंद्र रॉय को 25271 वोट मिले.
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कौन-कौन उम्मीदवार
इस लोकसभा सीट पर तृणमूल कांग्रेस ने पिछली बार चुनाव जीत चुके विजय चंद्र बर्मन पर ही दांव लगाया है. यहां से मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने भागीरथ चंद्र रॉय, बीजेपी ने डॉ. जयंत कुमार रॉय और कांग्रेस ने मणि कुमार दरनाल को चुनाव लड़ाया है. इसके अलावा बहुजन समाज पार्टी, सोशलिस्ट यूनिटी सेंटर ऑफ इंडिया (कम्युनिस्ट), अमरा बंगाली, समाजवादी जन परिषद, कामातापुर पीपुल्स पार्टी (युनाइटेड) के उम्मीदवारों के साथ तीन निर्दलीय उम्मीदवार भी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं.
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2014 का जनादेश
इस सीट पर देश में लगे आपातकाल के बाद ज्यादातर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) का कब्जा रहा है, लेकिन 2014 के लोकसभा चुनावों में तृणमूल कांग्रेस के विजय चंद्र बर्मन यहां से जीत हासिल करने में कामयाब रहे. बर्मन ने 494,773 मतलब 38.00 फीसदी मतों के साथ जीत हासिल की थी जबकि 1980 से इस सीट पर काबिज माकपा के महेंद्र कुमार रॉय को हार का सामना करना पड़ा. रॉय को 425,167 यानी 32.65 फीसदी मत मिले थे.
सामाजिक ताना-बाना
जलपाईगुड़ी जिले की तकरीबन 80 फीसदी आबादी में दलितों और आदिवासियों की हिस्सेदारी है. यह वजह है कि जलपाईगुड़ी की सात विधानसभा सीटों में से छह अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए सुरक्षित हैं. परिसीमन आयोग की 2009 की परिसीमन रिपोर्ट में जलपाईगुड़ी लोकसभा सीट को सात विधानसभा क्षेत्रों में विभाजित किया गया. इनमें से पांच मेकलीगंज, धुपगुड़ी, मेनागुड़ी, जलपाईगुड़ी और राजगंज अनुसूचित जाति और एक विधानसभा सीट माल अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित है.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
पर्यटकों की पसंद जलपाईगुड़ी लोकसभा सीट 1962 में अस्तित्व में आई थी. पिछले चुनाव में यहां से तृणमूल कांग्रेस के विजय चंद्र बर्मन चुनाव जीते थे. इस सीट पर 1992, 1967 और 1971 में हुए आम चुनावों में कांग्रेस अपना झंडा फहराती रही. लेकिन आपातकाल के बाद देश के साथ ही जलपाईगुड़ी सीट की भी तस्वीर बदली और 1977 के चुनावों में स्वतंत्र उम्मीदवार खगेंद्र नाथ दासगुप्ता ने यहां से जीत हासिल की.
इसके बाद 1980 में इस सीट पर माकपा के सुबोध सेन जीत कर संसद पहुंचे. 1984, 1989 में माकपा के माणिक सान्याल लगातार दो बार संसदीय चुनाव जीतकर दिल्ली पहुंचे. उनके बाद माकपा के ही टिकट पर 1991 और 1996 के चुनावों में जितेंद्रनाथ दास जीतते रहे. 1998, 1999 और 2004 के चुनावों में माकपा की मिनाती सेन लगातार चुनी जाती रहीं. 2009 के आम चुनाव में माकपा ने अपना उम्मीदवार बदला और महेंद्र कुमार रॉय चुनाव जीते. जबकि 2014 के चुनाव में तृणमूल कांग्रेस के विजय चंद्र बर्मन यहां से चुनकर संसद पहुंचे.
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