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भारत को राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री दोनों देने वाले नांदयाल लोकसभा सीट पर मतदान खत्म हो गया है. नांदयाल लोकसभा सीट पर 80.44 प्रतिशत मतदान हुआ है. आंध्र प्रदेश में इन दिनों सुबह से ही तेज धूप निकलती है लिहाजा सुबह-सुबह ही बड़ी संख्या में लोग मतदान केंद्रों पर कतार में खड़े हो गए. हालांकि EVM में आई खराबी की वजह से लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा. टीडीपी ने मुख्य चुनाव आयुक्त को पत्र लिखकर 157 बूथों पर रिपोलिंग की मांग की है. टीडीपी का कहना है कि इन मतदान केंद्रों पर ईवीएम मशीनें मांग नहीं कर रही थी, इसकी वजह से कई वोटर्स बिना वोट दिए ही वापस लौट गए. चंद्रबाबू नायडू ने कहा कि जहां भी 9.30 बजे सुबह तक मतदान शुरू नहीं हो पाया है. उन मतदान केंद्रों पर फिर से वोटिंग कराने की जरूरत है.
नांदयाल सीट पर टीडीपी, वाईएसआर कांग्रेस और पवन कल्याण की जनसेना के बीच मुकाबला है. हालांकि बीजेपी भी अपनी मौजूदगी एहसास कराने की कोशिश कर रही है. इस बार यहां से YSRCP ने ब्रह्मनंद रेड्डी को मैदान में उतारा है. जबकि मौजूदा एमपी एसपीवाई रेड्डी जनसेना से चुनाव लड़ रहे हैं. टीडीपी ने मंद्रा सिवानंद रेड्डी को अपना उम्मीदवार बनाया है. इस सीट से बीजेपी के कैंडिडेट आदिनारायण हैं. कांग्रेस ने इस लोकसभा सीट पर जे लक्ष्मी नरसिम्हा यादव को मैदान में उतारा है. 2014 में इस सीट से एसपीवाई रेड्डी YSRCP के टिकट पर चुनाव जीते थे.
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बता दें कि भारत के छठे राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी इस निर्वाचन क्षेत्र से थे. रेड्डी के अलावा दूसरा बड़ा नाम आता है पी.वी. नरसिम्हा राव का. भारत के पूर्व पीएम रहे राव ने 1991 में नांदयाल लोकसभा क्षेत्र से 5.8 लाख वोटों के रिकॉर्ड अंतर से जीत दर्ज की थी.
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नांदयाल लोकसभा की राजनीतिक पृष्ठभूमि
नांदयाल लोकसभा का इतिहास बेहद दिलचस्प रहा है. 1952 में हुए पहले आम चुनाव में इस सीट से निर्दलीय उम्मीदवार शेष गिरी ने जीत दर्ज की. हालांकि, इसके बाद हुए 4 आम चुनावों में कांग्रेस नेता पेंडेकांति ने लगातार जीत का परचम लहराया. इस बीच सियासत ने करवट ली और आंध्र प्रदेश के सियासी माहौल में भूचाल लाने वाला पल आ गया.
आंध्र प्रदेश कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे नीलम संजीव रेड्डी ने पार्टी से बगावत कर दी और जनता पार्टी का दामन थाम लिया. इसके बाद 1977 के आम चुनाव में रेड्डी ने 35 हजार से ज्यादा वोटों के अंतर से पेंडेकांति को हराया. लेकिन जनता पार्टी इस जीत को सिलसिले में तबदील करने में विफल रही और रेड्डी के पद से त्याग पत्र देने के बाद तुरंत हुए उपचुनाव में इस सीट पर दोबारा पेंडेकांति ने जीत दर्ज की.
कांग्रेस नेता पेंडेकांति ने इस सीट पर सबसे ज्यादा 5 बार आम चुनाव अपने नाम किए. इस बीच 1982 में तेलुगू देशम पार्टी की स्थापना हुई. टीडीपी की स्थापना के बाद हुए आम चुनाव में तेलुगु देशम पार्टी को 4 बार, कांग्रेस को 6 बार और वाईएसआर कांग्रेस ने एक बार जीत हासिल की. वहीं, अभी तक हुए सभी आम चुनाव को देखें तो सबसे ज्यादा 12 बार कांग्रेस ने जीत हासिल की है.
मौजूदा सांसद एसपीवाई रेड्डी ने इस सीट पर लगातार तीन बार से सांसद हैं. हालांकि, 2004 और 2009 का आम चुनाव उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर लड़ा और जीते. जिसके बाद 2014 आम चुनाव से पहले उन्होंने पाला बदला और वाईएसआर कांग्रेस का दामन थाम लिया, चुनाव लड़े और लोकसभा पहुंचे. हालांकि, यहां भी ज्यादा दिन नहीं और अब वह तेलुगू देशम पार्टी में शामिल हो गए हैं.
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