
छत्तीसगढ़ की रायगढ़ लोकसभा सीट पर मंगलवार को तीसरे चरण में वोटिंग हुई. चुनाव आयोग के आंकड़े के मुताबिक रायगढ़ में 74.56 फीसदी मतदान हुआ. इस सीट पर कुल 14 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं. चुनाव आयोग ने शांतिपूर्ण वोटिंग कराने के लिए कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की थी. मतदान केंद्रों से लेकर पूरे इलाके में भारी संख्या में सुरक्षा बलों की तैनाती की गई.
इस सीट पर 23 मई को मतगणना होगी और चुनाव के परिणाम घोषित किए जाएंगे. इस सीट से बहुजन समाज पार्टी ने इनोसेंट कुजुर, भारतीय जनता पार्टी ने गोमती साई, कांग्रेस ने लालजीत सिंह राठिया, प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) ने अमृत तिरकी, भारतीय ट्राइबल पार्टी ने कृपाशंकर भगत, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने जय सिंह सिदार, किसान मजदूर संघर्ष पार्टी ने ज्योति भगत, अंबेडकराइट पार्टी ऑफ इंडिया ने रविशंकर सिदार, शिवसेना ने विजय लाकरा और बहुजन मुक्ति पार्टी ने वीर कुमार टिग्गा को टिकट दिया है.
इसके अलावा तारिक तरंगिणी, तेजराम सिदार, नवल किशोर राठिया और प्रकाश कुमार उरांव बतौर निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरे हुए हैं. इस सीट पर साल 1999 से भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर विष्णु देव साय चुनाव जीतते आ रहे हैं. हालांकि इस बार उनका टिकट काट दिया गया है और उनकी जगह गोमती साई को चुनाव मैदान में उतारा गया है.
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- रायगढ़ लोकसभा सीट पर सुबह नौ बजे तक 14.70 फीसदी मतदान दर्ज किया गया.
समझिए रायगढ़ लोकसभा सीट का पूरा सियासी गणित
साल 2014 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के विष्णु देव साय ने जीत दर्ज की थी. उन्होंने अपनी करीबी कांग्रेस प्रत्याशी आरती सिंह को हराया था. पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी के विष्णु देव साय को 6 लाख 62 हजार 478 यानी 53.16 फीसदी और कांग्रेस की आरती सिंह को 4 लाख 45 हजार 728 यानी 35.77 फीसदी वोट मिले थे.
अगर साल 2009 की बात करें, तो उस बार भी भारतीय जनता पार्टी के टिकट से विष्णु देव साय ने चुनाव जीता था. उन्होंने 4 लाख 43 हजार 948 यानी 47.44 फीसदी वोट हासिल किए थे और कांग्रेस के हृदय राम राठिया को हराया था. साल 2009 के लोकसभा चुनाव में राठिया को 1 लाख 49 हजार 111 यानी 41.47 फीसदी वोट मिले थे.
साल 2004 के लोकसभा चुनाव में भी विष्णु देव साय ने जीत दर्ज की थी और कांग्रेस के रामपुकार को हराया था. साल 2004 के चुनाव में विष्णु देव साय को 3 लाख 29 हजार 057 वोट मिले थे, जबकि उनके करीबी प्रतिद्वंदी रामपुकार को 2 लाख 54 हजार 814 वोटों से संतोष करना पड़ा था.
रायगढ़ लोकसभा सीट पर पहली बार 1952 में चुनाव हुए थे. इस सीट पर अब तक कुल 16 बार लोकसभा चुनाव हो चुके हैं, जिनमें से साल 1999, 2004, 2009 और 2014 के चुनावों में बीजेपी ने जीत हासिल की. विष्णु देव साय लगातार चार बार से बीजेपी के टिकट पर लड़ते और जीतते आ रहे हैं. हालांकि इस बार बीजेपी ने विष्णु देव साय की जगह गोमती साय को चुनाव मैदान में उतारा है. इस लोकसभा सीट से कांग्रेस की वरिष्ठ कांग्रेस नेता पुष्पा देवी भी तीन बार जीतकर संसद पहुंच चुकी हैं.
छत्तीसगढ़ की रायगढ़ लोकसभा सीट अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए आरक्षित है. रायगढ़ जिले का रायगढ़ शहर अपने कोयले के भंडरों और बिजली उत्पादन के लिए मशहूर है. यह देश का बड़ा लोहा-स्टील का उत्पादक भी है. छत्तीसगढ़ के निर्माण से पहले 1952 से 1999 तक रायगढ़ लोकसभा क्षेत्र मध्य प्रदेश के अंतर्गत आता था. मदन सिंह ने रायगढ़ राज्य की स्थापना की थी.
रायगढ़ छत्तीसगढ़ राज्य में स्थित एक शहर है. यह रायगढ़ जिले का जिला मुख्यालय है. यह अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत के कारण छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक राजधानी के तौर पर जाना जाता है. रायगढ़ पहले एक रियासत थी, जो सीधे तौर पर अंग्रेजों द्वारा शासित नहीं थी, बल्कि एक स्थानीय शासक द्वारा शासित थी. आजादी के बाद रायगढ़ भारत के संघ में शामिल होने वाला पहला राज्य और मध्य प्रदेश राज्य में एक अलग जिला बना. रायगढ़ जिला, बिलासपुर डिविजन में राज्य के पूर्वी भाग में स्थित है. रायगढ़ को 'ढोकरा कास्टिंग' या 'बेल मेटल कास्टिंग' के साथ ही रेशम के दो प्रकारों- तसर सिल्क और शहतूत सिल्क के लिए जाना जाता है.
इस लोकसभा सीट पर 2014 में पुरुष मतदाताओं की संख्या 8 लाख 7 हजार 353 थी, जिनमें से 6 लाख 30 हजार 570 ने वोट डाला था. वहीं, पंजीकृत 7 लाख 98 हजार 471 महिला वोटरों में से 6 लाख 15 हजार 616 महिला वोटरों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था.
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