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दौसा सीट पर 61.23 फीसदी मतदान, EVM में बंद 11 उम्मीदवारों की किस्मत

राजस्थान की दौसा लोकसभा सीट पर11 उम्मीदवार मैदान में हैं. बीजेपी ने यहां से महिला उम्मीदवार जसकौर मीणा को टिकट दिया है. कांग्रेस की ओर से सविता मीणा मैदान में हैं. कांग्रेस-बीजेपी के अलावा इस सीट से बहुजन समाज पार्टी, अम्बेडकराइट पार्टी ऑफ इंडिया के उम्मीदवार भी मैदान में हैं. 

प्रतीकात्मक तस्वीर (फाइल फोटो) प्रतीकात्मक तस्वीर (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 06 मई 2019,
  • अपडेटेड 8:56 AM IST

राजस्थान की दौसा लोकसभा सीट पर पांचवें चरण के तहत सोमवार को वोट डाले गए. इस सीट पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच आमने-सामने का मुकाबला है. राजस्थान के डिप्टी सीएम सचिन पायलट की कर्मभूमि दौसा में कांग्रेस मजबूत रही है. लिहाजा इस सीट को कांग्रेस हर हाल में जीतना चाहती है, लेकिन 2014 में मोदी लहर में इस सीट पर बीजेपी के टिकट से हरीशचंद्र मीणा ने चुनाव जीतकर सबको चौंका दिया था. 2019 के लोकसभा चुनाव में  दौसा सीट पर 61.23 फीसदी मतदान दर्ज किया गया. चुनाव के नतीजे 23 मई को घोषित किए जाएंगे.

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इस बार इस सीट पर 11 उम्मीदवार मैदान में हैं. बीजेपी ने यहां से महिला उम्मीदवार जसकौर मीणा को टिकट दिया है. कांग्रेस की ओर से सविता मीणा मैदान में हैं. कांग्रेस-बीजेपी के अलावा इस सीट से बहुजन समाज पार्टी, अम्बेडकराइट पार्टी ऑफ इंडिया के उम्मीदवार भी मैदान में हैं.

राजनीतिक पृष्ठभूमि

दौसा संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत विधानसभा की 8 सीटें हैं. आजादी के बाद दौसा में हुए कुल 16 लोकसभा चुनाव और 1 उपचुनाव में 11 बार कांग्रेस का कब्जा रहा, जबकि 2 बार बीजेपी, 2 बार स्वतंत्र पार्टी, 1 बार भारतीय लोकदल और 1 बार निर्दलीय उम्मीदवार का कब्जा रहा. 1957 में इस सीट से कांग्रेस को कामयाबी मिली तो 1962, 1967 में स्वतंत्र पार्टी ने अपना परचम लहराया. 1971 में कांग्रेस, 1977 में भारतीय लोकदल, 1980, 1984 में कांग्रेस ने फिर वापसी की. 1989 में बीजेपी की जीत के बाद 1991 से 2004 तक लगातार 5 बार यह सीट कांग्रेस के पास रही.

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कांग्रेस के दिवंगत नेता राजेश पायलट 1984, 1991, 1996, 1998 में यहां से सांसद रहे. राजेश पायलट के निधन के बाद साल 2000 में हुए उपचुनाव में उनकी पत्नी रमा पायलट विजयी हुईं. जबकि साल 2004 के लोकसभा चुनाव में राजेश पायलट के पुत्र सचिन पायलट विजयी हुए. 2009 के परिसीमन में यह सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हो गई, 2009 के आम चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार किरोणी लाल मीणा यहां से चुनाव जीतकर सांसद बने. जबकि 2014 में बीजेपी के टिकट पर हरीश चंद्र मीणा यहां से विजयी हुए. फिलहाल बीजेपी सांसद हरीश चंद्र मीणा कांग्रेस में हैं और टोंक की देवली-उनियारा सीट से विधायक हैं.

दौसा संसदीय सीट में आने वाली 8 विधानसभा सीटों में दौसा जिले की बांदिकुई, महुआ, सिकराय, दौसा, लालसोट विधानसभा, जयपुर जिले की बस्सी, चाकसू विधानसभा और अलवर जिले की थानागाजी विधानसभा शामिल हैं. हाल में हुए विधानसभा चुनावों में बांदिकुई, सिकराय, दौसा, लालसोट और चाकसू सीट पर कांग्रेस जीती. जबकि थानागाजी, बस्सी और महुआ सीट पर निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत का परचम लहराया. इस लिहाज से दौसा की 8 सीटों में 5 पर कांग्रेस का कब्जा है.

2014 का जनादेश

साल 2014 के लोकसभा चुनावों में दौसा सीट पर दिलचस्प मुकाबला देखने को मिला था. जब कांग्रेस के सांसद और मंत्री नमोनारायण मीणा के खिलाफ उन्हीं के भाई हरीशचंद्र मीणा भाजपा के उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतरे. वहीं इस सीट पर तीसरा कोण मीणा समुदाय के कद्दावर नेता किरोड़ी लाल मीणा थे. बीजेपी के टिकट पर हरीशचंद्र मीणा ने किरोड़ी लाल मीणा को 45,404 वोट से पराजित किया. जबकि कांग्रेस के नमोनारायण मीणा तीसरे स्थान पर रहे. इस चुनाव में हरीशचंद्र मीणा को 3,15,059, किरोणी लाल को 2,69,655, जबकि नमोनारायण मीणा को 1,81,272 वोट मिले थे.

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लेकिन आम चुनावों के बाद किरोड़ी लाल मीणा के बीजेपी में शामिल होकर राज्यसभा चले जाने से, हरीश चंद्र मीणा की पार्टी में अहमियत कम हो गई. और कांग्रेस पृष्ठभूमि से ताल्लुक रखने वाले बीजेपी सांसद हरीशचंद्र मीणा ने विधानसभा चुनावों के ठीक पहले बीजेपी का दामन छोड़ कांग्रेस में शामिल हो गए.

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