
झारखंड की राजमहल लोकसभा सीट पर आज रविवार (19 मई) को सातवें चरण में वोट डाले गए. इस चरण में राजमहल समेत 8 राज्यों की 59 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हुई. राजमहल लोकसभा सीट से कुल 14 प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं. चुनाव आयोग ने शांतिपूर्ण तरीके से मतदान संपन्न कराने के लिए सुरक्षा के पुख्ता बंदोबस्त किए हैं. राजमहल संसदीय सीट पर जोरदार वोटिंग हुई और 71.83% मतदान हुआ. वैसे झारखंड में 5 बजे तक ओवरऑल 71.16% फीसदी वोटिंग हुई.
लोकसभा चुनाव के सातवें और अंतिम चरण के तहत आज रविवार (19 मई) को 8 राज्यों (7 राज्य और 1 केंद्रशासित प्रदेश) की 59 सीटों पर मतदान कराया जा रहा है. झारखंड के राजमहल संसदीय सीट पर आज ही वोट डाले जा रहे हैं. झारखंड के 3 संसदीय सीटों पर 9 बजे तक 13.19% मतदान हो चुका है.
राजमहल लोकसभा सीट पर कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सिस्ट) ने गोपिन सोरेन, बहुजन समाज पार्टी ने बैदनाथ पहाड़िया, तृणमूल कांग्रेस ने मोनिका किस्कु, झारखंड मुक्ति मोर्चा ने विजय कुमार हंसदक, भारतीय जनता पार्टी ने हेमलाल मुर्मू, ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक ने नीरज हेंबरोम, हिंदुस्तान निर्माण दल ने महाशय टुदु और बहुजन मुक्ति पार्टी ने मैरी निशा हंसदक को चुनाव मैदान में उतारा है.
राजमहल लोकसभा सीट पर 23 मई को वोटों की गिनती होगी और फिर उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला होगा. राजमहल लोकसभा सीट साहिबगंज और पाकुड़ जिले में फैली हुई है. यह सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है. यह क्षेत्र राजमहल की पहाड़ियों और गंगा नदी से घिरा हुआ है. इस सीट से झारखंड मुक्ति मोर्चा के विजय कुमार हंसदक सांसद हैं. झारखंड में लोकसभा की कुल 14 सीटें हैं.
मध्य काल में इस क्षेत्र को उगमहल के नाम से जाना जाता था. इस क्षेत्र में अकबर मस्जिद और बंगाल के नवाब मीर कासिम का महल है. इस सीट पर बांग्लादेशी घुसपैठ सबसे अहम मुद्दा है. बताया जाता है कि राजमहल लोकसभा क्षेत्र के तहत आनेवाले साहिबगंज जिले के बड़हरवा और राधानगर थाना क्षेत्र में करीब लाखों बांग्लादेशियों ने शरण ले रखी है. इस सीट पर सातवें चरण में मतदान होगा.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
1957 में इस सीट सीट से कांग्रेस के टिकट पर पाइका मुर्मू जीते थे. इसके बाद कांग्रेस के ही टिकट पर 1962, 1967 और 1971 का चुनाव इश्वर मरांडी जीतने में कामयाब हुए. 1977 में इस सीट से जनता पार्टी के एंटन मुर्मू जीते. 1980 में कांग्रेस ने फिर वापसी की और उसके टिकट पर 1980 व 1984 का चुनाव सेठ हेमभ्रम जीतने में कामयाब हुए.
1989 में पहली बार इस सीट पर झारखंड मुक्ति मोर्चा का खाता कुला और उसके टिकट पर 1989 और 1991 का चुनाव सिमोन मरांडी जीते. 1996 में कांग्रेस के थॉमस हंसदा जीते. 1998 में पहली बार इस सीट पर कमल खिला और यहां से उसके टिकट पर सोम में मरांडी जीते. 1999 में कांग्रेस के थॉमस हंसदा जीते. 2004 के चुनाव झामुमो की हेमलाल मुर्मू जीते. 2009 का चुनाव बीजेपी के देविधान बेसरा जीतने में कामयाब हुए. 2014 का चुनाव झामुमो के विजय कुमार हंसदक जीते.
सामाजित तानाबाना
इस लोकसभा सीट के अन्तर्गत छह विधानसभा सीटें (राजमहल, बोरियो, बरहेत, लिटिपारा, पाखुड़, महेशपुर) आते हैं. इसमें बोरियो, बरहेत, लिटिपारा और महेशपुर अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है. 2014 के आम चुनाव के दौरान इस सीट पर मतदाताओं की संख्या करीब 13.53 लाख थी. इसमें 6.91 लाख पुरुष और 6.61 लाख महिला मतदाता शामिल हैं.
2014 का जनादेश
2014 के चुनाव में बीजेपी के विजय कुमार हंसदक ने झारखंड मुक्ति मोर्चा के हेमलाल मुर्मू को हराया था. विजय कुमार हंसदक को 3.79 लाख और हेमलाल मुर्मू को 3.38 लाख वोट मिले थे.
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