
लोकसभा चुनाव 2019 के आखिरी चरण का चुनाव 19 मई को खत्म हो गया. अब Exit Poll 2019 में यह पता चलेगा की हवा का रुख किस ओर है. किस पार्टी की सरकार बन रही है. हालांकि परिणाम 23 को काउंटिंग के बाद ही पता चलेगा.
कई देशों में ओपिनियन पोल का चलन 1940 के दशक से होने लगा था. ओपिनियन पोल के तहत ही Exit Poll आते हैं, लेकिन सैंपलिंग का तरीका दोनों में अलग-अलग होता है. भारत में एग्जिट पोल का खाका 1960 में खींचा गया है. इसे सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसायटीज (CSDS) ने तैयार किया था. जबकि 1980 के मध्य में उस वक्त चार्टर्ड अकाउंट से पत्रकार बने प्रणय रॉय ने मतदाताओं की नब्ज टटोलने की कोशिश की थी. यह भारत में एग्जिट पोल की शुरुआत थी. शुरुआती दौर में जो भी एक्जिट पोल होते थे वे इंडिया टुडे मैग्जीन में प्रमुखता से छापे जाते थे.
1996 हुए लोकसभा चुनाव में सीएसडीएस ने एग्जिट पोल में खंडित जनादेश के संकेत दिए थे जोकि बिलकुल सटीक थे. इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) सबसे बड़ी पार्टी बनकर तो उभरी, लेकिन बहुमत से दूर रही.
राष्ट्रपति ने अटल बिहारी वाजपेयी को सरकार बनाने को आमंत्रित किया. सरकार बनी, लेकिन महज 13 दिन में ही यह सरकार गिर गई है. इसके बाद एचडी देवेगौड़ा और इंद्र कुमार गुजराल ने मिलकर यूपीए की सरकार बनाई.
कितने खरे उतरते हैं एग्जिट पोल?
1990 के दशक में टेलीविजन का प्रसार और राजनीतिक अनिश्चितता ने चुनाव के बाद एग्जिट पोल को लोकप्रिय बना दिया. 1998 के लोकसभा चुनावों में लगभग हर प्रमुख समाचार टीवी चैनल ने एग्जिट पोल किए.
1998 के लोक सभा चुनाव में चार बड़ी चुनावी सर्वे करने वाली एजेंसियां India Today/CSDS, DRS, Outlook/AC Nielsen और Frontline/CMS ने अपने सर्वे में बीजेपी नीत एनडीए को बड़ी पार्टी बताई थी, लेकिन 272 के जादुई आंकड़े तक नहीं पहुंचाया था. एग्जिट पोल में एनडीए को 214-249 के बीच सीटें और कांग्रेस नीत यूपीए को 145-164 सीटें मिलने का अनुमान था. इस चुनाव में NDA को 252 और कांग्रेस को 166 सीटें ही मिली थीं.
ऐसे ही पोल 1999 लोक सभा चुनाव के पहले हुए थे. इसमें India Today/insight, HT-AC Nielsen, Times poll/DRS, Pioneer-RDI और Outlook/CMS जैसी एजेंसियों ने एनडीए को 300 सीटें मिलने का अनुमान लगाया. इस चुनाव में अटल बिहारी वाली एनडीए को 296 सीटें मिली थीं. जबिक यूपीए को 134 सीटें मिली थीं. जबकि सर्वे में 132-150 सीटें मिलने का गणित लगाया गया था. सर्वे एजेंसियों ने तीसरे नंबर पर आने वाली पार्टी को 34-95 तक समेट दिया था जबकि यहां अनुमान पूरी तरह से फेल हो गया था. तीसरे नंबर की पार्टी को 113 सीटें मिली थी.
जब धराशायी हो गए सारे एग्जिट पोल्स
चुनावी सर्वे एजेंसियों के लिए 2004 का लोक सभा सबसे ज्यादा निराश करने वाला था. इस चुनाव में सारी एजेंसियों के आकलन फेल हो गए थे. इसे सबसे बड़ा फेल्योर माना गया. सभी एजेंसियों ने 'इंडिया शाइनिंग' का नारा देने वाली एनडीए को दोबारा जनादेश मिलने का अनुमान लगाया था. रिजल्ट के दिन एनडीए 200 का आंकड़ा भी नहीं छू पाई थी. 1999 में कारगिल युद्ध जीतने के बाद भी एनडीए 189 सीटों तक सिमट कर रह गई थी.
इस चुनाव में 222 सीटें हासिल करने वाली यूपीए ने समाजवादी पार्टी (SP) और बहुजन समाज पार्टी (BSP) के सहयोग से सत्ता हासिल की. 2009 का लोकसभा चुनाव भी एक तरह से सर्वे एजेंसियों का फेल्योर रहा. इस चुनाव में एजेंसियों ने UPA को 199 और NDA को 197 सीटें मिलने का कयास लगाया था. जबकि यूपीए जबरदस्त बढ़त लेते हुए 262 संसदीय सीटों पर लोगों का विश्वास जीतने में कामयाब रही. एनडीए को 159 सीटों पर संतोष करना पड़ा था.
2014 में फिर खिली एग्जिट पोल एजेंसियों की बांछें
2014 का लोक सभा चुनाव में मोदी लहर का अनुमान एग्जिट पोल्स में दिखा था. ज्यादातर एग्जिट पोल्स में सभी ने भाजपा नीत एनडीए की जीत को सुनिश्चत करार दिया था. इसमें एक एजेंसी ने एकदम सही कयास लगाया था. एजेंसी ने बीजेपी को 291 और एनडीए को 340 सीटें मिलने का अनुमान लगाया था. रिजल्ट के दिन 543 सीटों में से बीजेपी को 282 और एनडीए को 336 सीटें मिलीं थीं. इसमें यूपीए 59 सीटों पर सिमट कर रह गई थी. जबकि अनुमान 97-135 सीटें मिलने का था. इसमें कांग्रेस को 44 सीटें मिली थीं.
अब आगे क्या होगा
रविवार का शाम को फिर से राजनीतिक पंडित अपना चुनावी गणित लगाएं. रविवार को 2019 लोकसभा के आखिरी चरण के चुनाव खत्म हो जाएंगे. शाम 6 बजे से तमाम टीवी चैनल्स एग्जिट पोल लेकर आएंगे. पर असल नतीजे के लिए आपको 23 मई तक इंतजार करना पड़ेगा.
क्या होता है ओपिनियन पोल?
ओपिनियन पोल (Opinion Poll) सीधे वोटर से जुड़ा होता है. इसमें जनता की राय को समझने के लिए अलग-अलग तरीके से आंकड़े एकट्ठा किया जाता है. यानी लोगों से बात करने, उनकी राय जानने के तरीके अलग-अलग अपनाए जाते हैं. प्री पोल, एग्जिट पोल और पोस्ट पोल ओपिनियन पोल की तीन शाखाएं हैं. पर ज्यादातर लोग एग्जिट पोल और पोस्ट पोल को एक ही समझ लेते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है. ये दोनों एक-दूसरे बिलकुल अलग होते हैं.
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