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Latur: 24 सालों तक कांग्रेस के शिवराज पाटील ने किया था लातूर लोकसभा सीट पर एकछत्र राज

Latur Lok sabha constituency 2019 के लोकसभा चुनाव 2019 में सबकी नजरें लगी हुई हैं. लोकसभा चुनावों के लिहाज से महाराष्ट्र की लातूर सीट क्यों है खास,  इस आर्टीकल में पढ़ें...

लातूर लोकसभा सीट के इलाके में सूखे की रहती है मार (Photo:aajtak) लातूर लोकसभा सीट के इलाके में सूखे की रहती है मार (Photo:aajtak)
श्याम सुंदर गोयल
  • नई द‍िल्ली,
  • 06 फरवरी 2019,
  • अपडेटेड 5:59 PM IST

लातूर को लोग भयानक भूकंप की वजह से याद करते हैं जहां 1993 में आए भूकंप में 10 हजार से ज्यादा खत्म हो गई थी. कभी लातूर लोकसभा सीट (लातूर लोकसभा मतदारसंघ) की पहचान, लोकसभा स्पीकर शिवराज पाटील के कारण थी जो इस सीट से 7 बार लगातार कांग्रेस की टिकट पर सांसद बने. 2004 में इन्हें हार मिली तो राज्यसभा के रास्ते संसद पहुंचे और मनमोहन सिंह सरकार में गृहमंत्री बने. बाद में वे पंजाब के राज्यपाल बनाए गए. वर्तमान में इस सीट से बीजेपी के डॉ. सुनील गायकवाड सांसद हैं. लातूर लोक सभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है.

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व‍िधानसभा सीट का म‍िजाज

लातूर लोकसभा के अंतर्गत 6 विधानसभा आती हैं. यहां की विधानसभा सीटों का मिजाज भी मिलाजुला है. विधानसभा सीट लोहा पर शिवसेना, उदगीर और निलंगा में बीजेपी, लातूर शहरी और ग्रामीण सीट में कांग्रेस और अहमदपुर सीट पर निर्दलीय काबिज हैं.

लातूर लोकसभा सीट का इत‍िहास

इस सीट पर पहली बार 1962 में चुनाव हआ जिसमें कांग्रेस के तुलसीराम कांबले सांसद निर्वाचित हुए. वे लगातार तीन चुनावों में कांग्रेस के टिकट पर इसी सीट से सांसद चुने गए. 1977 में आपातकाल खत्म होने के बाद कांग्रेस को यहां भी नुकसान झेलना पड़ा था. 1977 में पीजेंट एंड वर्कर्स पार्टी ऑफ इंडिया के मजदूर नेता उद्धवराव पाटील इस सीट से संसद पहुंचे. इसके बाद फिर से यहां कांग्रेस का दौर शुरू हुआ और उसके नायक बने पूर्व केंद्रीय मंत्री शिवराज पाटील. शिवराज पाटील इस सीट पर 1980 से 2004 तक लगातार 24 सालों तक काबिज रहे. वे यहां से 7 बार सांसद बने. शिवराज पाटील की अनवरत जीत के सिलसिले को बीजेपी की रुपाताई पाटील ने थाम दिया. 2004 के चुनावों में शिवराज पाटील को हार मिली और ये सीट बीजेपी के हाथ में चली गई. 2009 में इस सीट पर फिर कांग्रेस ने वापिसी की और जयवंत अवाले सांसद बने लेकिन 2014 में फिर पांसा पलटा और बीजेपी के डॉ. सुनील गायकवाड यहां से चुनकर संसद में पहुंचे.

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जीत का गणित

2009 के चुनावों में कांग्रेस के जयवंत अवाले 3,72,890 वोट पाकर लातूर लोक सभा सीट से निर्वाचित हुए। दूसरे स्थान पर बीजेपी के सुनील गायकवाड रहे जिन्हें 3,64,915 वोट मिले। यहां मुकाबला काफी नजदीकी रहा था। 2014 के लोक सभा चुनावों में बीजेपी के डॉ. सुनील गायकवाड 6,16,509 वोट पाकर भारी मतों से जीते। कांग्रेस के दत्तात्रेय बंसोड 3,63,114 वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे। तीसरे स्थान पर बीएसपी के दीपक अरविंद कांबले रहे जिन्हें 20,029 वोट मिले।

लातूर सांसद के बारे में

लातूर से सांसद डॉ. सुनील गायकवाड पब्लिकेशन के बिजनेस से राजनीति में आए. गायकवाड, वत्सला बलिराम प्रकाशन केंद्र के प्रोपराइटर, एडिटर और पब्लिशर हैं. इस प्रकाशन केंद्र से डेली न्यूज पेपर दैनिक लोक प्रशासन, दैनिक लोक प्रबोधन और मासिक पत्रिका अनुसाध्य निकलती है. ये दलित समुदाय की सहायता करने के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं. इन्होंने मराठी फिल्मों में एक्टिंग भी की है. 2017 में सांसद डॉ. सुनील गायकवाड को 'ग्रेट बुद्धा नेशनल अवार्ड' भी मिल चुका है. वे 2009 का चुनाव सिर्फ 7000 के करीब वोटों से हार गए थे.

संसद में वर्तमान सांसद का प्रदर्शन और संपत्त‍ि

संसद में इनकी उपस्थिति 96 फीसदी रही. वहीं, संसद में 40  डीबेट में भाग लिया और 677 प्रश्न पूछे. प्राइवेट मेंबर्स बिल लाने में इनका खाता शून्य रहा. इस सीट पर संसदीय इलाके में खर्च करने के लिए 25 करोड़ रुपये का प्रावधान है. इसमें से म‍िले फंड का  81.32 फीसदी खर्च क‍िया. पेशे से ब‍िजनेसमैन और पीएचडी धारक गायकवाड ने 2014 के लोकसभा चुनाव के हलफनामे में 1 करोड़ रुपये की संपत्त‍ि घोष‍ित की थी.

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