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आंवला लोकसभा सीट: BJP की जीत में रोड़ा बन सकता है SP-BSP गठबंधन!

Aonla Loksabha constituency 2019 का लोकसभा चुनाव अपने आप में ऐतिहासिक होने जा रहा है. लोकसभा सीटों के लिहाज से सबसे बड़ा प्रदेश उत्तर प्रदेश की आंवला लोकसभा सीट क्यों है खास, इस लेख में पढ़ें...

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मोहित ग्रोवर
  • नई दिल्ली,
  • 07 फरवरी 2019,
  • अपडेटेड 4:58 PM IST

उत्तर प्रदेश की आंवला लोकसभा सीट पर अभी भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है. अभी तक यहां हुए चुनाव में भारतीय जनता पार्टी 5 बार चुनाव जीती है. अब एक बार फिर बीजेपी के सामने 2019 में कमल खिलाने की चुनौती है. BJP के धर्मेंद्र कुमार कश्यप पिछले चुनाव में 40 फीसदी से अधिक वोट पाकर अव्वल रहे थे. रुहेलखंड का हिस्सा आंवला में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के गठबंधन के बाद मुकाबला और भी कड़ा हो गया है.

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आंवला लोकसभा सीट का इतिहास

इस सीट पर 1962 में पहली बार चुनाव हुए थे और सभी को चौंकाते हुए हिंदू महासभा ने जीत दर्ज की थी. हालांकि, उसके बाद 1967, 1971 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी बड़े अंतर के साथ यहां से विजयी रही. 1977 के चुनाव में चली सत्ता विरोधी लहर का असर यहां भी दिखा और भारतीय लोकदल ने जीत दर्ज की, 1980 में भी कांग्रेस को यहां से जीत नहीं मिल सकी और जनता पार्टी यहां से विजयी हुई. 1984 में कांग्रेस बड़े अंतर से यहां जीती.

1984 के बाद से ही यहां कांग्रेस वापसी को तरस रही है. 1989 और 1991 में भारतीय जनता पार्टी लगातार दो बार यहां से जीती. 1996 के चुनाव में बीजेपी को यहां झटका लगा और क्षेत्रीय दल समाजवादी पार्टी विजय होकर सामने आई. लेकिन दो साल बाद हुए 1998 के चुनाव में एक बार फिर बीजेपी यहां जीती. 1999 का चुनाव समाजवादी पार्टी के हक में गया, लेकिन 2004 में जनता दल (यू) के टिकट पर सर्वराज सिंह यहां से संसद पहुंचे.

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पिछले दो चुनाव में बीजेपी का इस सीट पर कब्जा है, 2009 का चुनाव मेनका गांधी ने यहां से बड़े अंतर से जीता. और 2014 में इस सीट पर बीजेपी को मोदी लहर का फायदा मिला और धर्मेंद्र कुमार कश्यप एकतरफा लड़ाई में जीते.

आंवला लोकसभा सीट का समीकरण

बरेली जिले में आने वाला आंवला लोकसभा क्षेत्र में मुस्लिम वोटरों का खासा प्रभाव है. जिले में करीब 35 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं, जबकि 65 फीसदी संख्या हिंदुओं की है. बीते काफी समय से यहां मुस्लिम-दलित वोटरों का समीकरण नतीजे तय करता आया है, इनके अलावा क्षत्रीय-कश्यप वोटरों का भी यहां खासा प्रभाव है. ऐसे में इस बार समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के गठबंधन होने से मुकाबला दिलचस्प हो गया है.

2014 के आंकड़ों के अनुसार, यहां करीब 17 लाख वोटर थे. इनमें करीब 9 लाख पुरुष और 7.5 लाख महिला मतदाता थे. आंवला लोकसभा क्षेत्र में कुल 5 विधानसभा सीटें आती हैं, जिनमें शेखपुर, दातागंज, फरीदपुर, बिथरीचैनपुर और आंवला विधानसभा सीटें आती हैं. 2017 के विधानसभा चुनाव में इनमें से यहां सभी सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज की थी.

2014 में कैसा रहा था जनादेश

पिछले चुनाव में यहां करीब 60 फीसदी मतदान हुआ था. भारतीय जनता पार्टी को मोदी लहर का फायदा मिला और बीजेपी प्रत्याशी धर्मेंद्र कुमार कश्यप ने 41 फीसदी वोट पाकर जीत दर्ज की. समाजवादी पार्टी के कुंवर सर्वराज को सिर्फ 27.3% वोट हासिल हुए थे.

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सांसद का प्रोफाइल और प्रदर्शन

स्थानीय सांसद धर्मेंद्र कुमार कश्यप काफी लंबे समय से राजनीति में एक्टिव हैं. धर्मेंद्र कश्यप ने पंचायत स्तर से अपनी राजनीति की शुरुआत की, जिसके बाद वह विधायक बने, राज्य सरकार में मंत्री बने. और 2014 में उन्हें पार्टी ने लोकसभा का चुनाव लड़वाया और वह बड़े अंतर से जीतकर सदन में पहुंचे.

16वीं लोकसभा में उन्होंने कुल 7 बहस में हिस्सा लिया है, इस दौरान उन्होंने एक सवाल पूछा. वह संसद की कई कमेटियों का हिस्सा हैं. 2014 में आई ADR की रिपोर्ट के मुताबिक, उनके पास 53 लाख रुपये से अधिक की संपत्ति है. अपनी सांसद निधि में से कुल 87 फीसदी रकम खर्च की.

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