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फतेहपुर सीकरी लोकसभा: 2014 में यहां चौथे नंबर पर रहे थे अमर सिंह

Fatehpur Sikri Loksabha constituency 2019 का लोकसभा चुनाव अपने आप में ऐतिहासिक होने जा रहा है. लोकसभा सीटों के लिहाज से सबसे बड़ा प्रदेश उत्तर प्रदेश की फतेहपुर सीकरी लोकसभा सीट क्यों है खास, इस लेख में पढ़ें...

अमर सिंह अमर सिंह
मोहित ग्रोवर
  • नई दिल्ली,
  • 05 फरवरी 2019,
  • अपडेटेड 4:28 PM IST

मथुरा से सटी हुई फतेहपुर सीकरी लोकसभा सीट 2008 में हुए परिसीमन के बाद ही वर्चस्व में आई. इस सीट पर अभी तक दो बार ही चुनाव हुआ है जिसमें एक बार बहुजन समाज पार्टी और दूसरी बार भारतीय जनता पार्टी ने बाजी मारी थी. 2014 के चुनाव में बीजेपी ने यहां से एक तरफा जीत दर्ज की थी और चौधरी बाबूलाल चुनाव जीत कर आए थे. अब एक बार फिर उनके सामने कमल खिलाने की चुनौती रहेगी.

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फतेहपुर सीकरी लोकसभा का राजनीतिक इतिहास

2008 परिसीमन के बाद वर्चस्व में आई इस सीट पर 2019 में तीसरा चुनाव होगा. 2009 में यहां पहली बार चुनाव होंगे, जिसमें बहुजन समाज पार्टी ने बाजी मारी थी. 2009 में यहां से बसपा की सीमा उपाध्याय से 30 फीसदी से अधिक वोट पाकर बड़े अंतर से विजय हासिल की थी.

तो वहीं 2014 में भारतीय जनता पार्टी को यहां मोदी लहर फायदा मिला, जाट नेता चौधरी बाबूलाल ने पिछले चुनाव में करीब 45 फीसदी वोट हासिल कर जीत दर्ज की थी. उन्होंने अपनी प्रतिद्वंदी को करीब पौने दो लाख वोटों से मात दी थी. 2014 के चुनाव में यहां से समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेता रहे अमर सिंह ने भी राष्ट्रीय लोक दल के टिकट से चुनाव लड़ा था.

फतेहपुर सीकरी लोकसभा सीट का राजनीतिक समीकरण

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2014 के आंकड़ों के अनुसार फतेहपुर सीकरी लोकसभा सीट पर करीब 16 लाख वोटर हैं, इनमें 8.7 लाख पुरुष और 7 लाख से अधिक महिला वोटर शामिल हैं. जातिगत आंकड़ों को देखें तो ये सीट भी जाट बहुल बेल्ट के अंतर्गत ही आती है, राष्ट्रीय लोकदल का भी यहां पर बड़ा प्रभाव रहा है.

इस सीट के अंतर्गत कुल 5 विधानसभा सीटें आती हैं, जिसमें आगरा ग्रामीण, फतेहपुर सीकरी, खेरागढ़, फतेहाबाद और बाह विधानसभा सीट शामिल है. 2017 में उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव यहां पांचों सीटों पर बीजेपी ने ही जीत दर्ज की थी.

2014 में कैसा रहा था जनादेश?

2014 के चुनाव में बीजेपी को इस सीट पर मोदी लहर के दम पर जीत दर्ज की. बीजेपी के बाबूलाल को यहां पर 44 फीसदी से अधिक वोट मिले थे. 2014 में यहां करीब 61 फीसदी मतदान हुआ था, इसमें से करीब 2600 वोट NOTA में पड़े थे. इस सीट पर बहुजन समाज पार्टी दूसरे और समाजवादी पार्टी तीसरे नंबर पर रही थी.

सांसद का प्रोफाइल और प्रदर्शन  

यहां से सांसद चौधरी बाबूलाल काफी पुराने नेता रहे हैं. उन्होंने 1977 में जिला पंचायत सदस्य के तौर पर शुरुआत की, जिसके बाद वह दो बार विधायक भी रहे. 2002 की यूपी सरकार में उन्होंने बतौर मंत्री भी काम किया. 2014 में वह पहली बार लोकसभा सांसद चुने गए. अभी भी वह संसद की कई कमेटियों के सदस्य हैं.

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ADR की रिपोर्ट के मुताबिक, उनके पास 7 करोड़ से अधिक की संपत्ति है. बाबूलाल पर कई मामले भी दर्ज हैं, जिनमें हत्या के प्रयास की धारा 307 के तहत भी मामला दर्ज है. बाबूलाल पर इस मामले के समेत कुल 3 केस दर्ज हैं.

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