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मुरादाबाद लोकसभा सीट: जहां मोदी लहर में पहली बार खिला था कमल

Moradabad Loksabha constituency 2019 का लोकसभा चुनाव अपने आप में ऐतिहासिक होने जा रहा है. लोकसभा सीटों के लिहाज से सबसे बड़ा प्रदेश उत्तर प्रदेश की मुरादाबाद लोकसभा सीट क्यों है खास, इस लेख में पढ़ें...

Moradabad Moradabad
मोहित ग्रोवर
  • नई दिल्ली,
  • 30 जनवरी 2019,
  • अपडेटेड 5:21 PM IST

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुस्लिम बहुल इलाकों में से एक मुरादाबाद लोकसभा सीट राजनीतिक मायनों से काफी अहम है. कभी कांग्रेस का गढ़ रही ये सीट कई बार समाजवादी पार्टी के कब्जे में भी आई, लेकिन 2014 में पहली बार यहां भारतीय जनता पार्टी का परचम लहराया और कुंवर सर्वेश कुमार यहां से सांसद चुने गए. इस सीट से भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन भी सांसद रह चुके हैं. मुरादाबाद पश्चिम की पीतल नगरी के नाम से भी मशहूर है.

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मुरादाबाद लोकसभा सीट का इतिहास

मुरादाबाद सीट पर 1952 में पहली बार लोकसभा चुनाव हुए. लगातार दो बार यहां से कांग्रेस ने जीत दर्ज की. 1967 और 1971 में ये सीट भारतीय जनसंघ के खाते में गई. इमरजेंसी के बाद 1977 में हुए लोकसभा चुनाव में यहां से चौधरी चरण सिंह की पार्टी भारतीय लोकदल ने जीत दर्ज की थी. 1980 में एक बार फिर जनता दल यहां से जीता लेकिन 1984 में देश में चली कांग्रेस की लहर में सीट फिर कांग्रेस के खाते में गई.

जिसके बाद 1989, 1991 में ये सीट जनता दल के खाते में, 1996, 1998 में समाजवादी पार्टी के खाते में गई. कांग्रेस से टूटकर बनी जगदंबिका पाल की अखिल भारतीय लोकतांत्रिक कांग्रेस ने 1999 चुनाव में इस सीट से जीत दर्ज की थी.

2004 में इस सीट पर समाजवादी पार्टी का कब्जा हुआ तो वहीं 2009 में पूर्व क्रिकेटर मोहम्मद अजहरुद्दीन यहां से सांसद चुने गए. 2014 में भारतीय जनता पार्टी पहली बार यहां से जीती थी.

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मुरादाबाद लोकसभा सीट का समीकरण  

मुरादाबाद लोकसभा सीट पर सत्ता की चाबी मुस्लिम वोटरों के हाथ में मानी जाती है. यहां पर कुल 52.14% हिन्दू और 47.12% मुस्लिम जनसंख्या है. 2014 में इस सीट पर कुल 17 लाख से अधिक वोटर थे. इनमें 961962 पुरुष और 810084 महिला वोटर थे. पिछले लोकसभा चुनाव में इस सीट पर कुल 63.7 फीसदी मतदान हुआ था, इनमें से 5207 वोट NOTA में डाले गए थे.

मुरादाबाद लोकसभा क्षेत्र में कुल पांच विधानसभा सीटें आती हैं. इनमें बढ़ापुर, कांठ, ठाकुरद्वारा, मुरादाबाद ग्रामीण और मुरादाबाद नगर शामिल हैं. इन पांच में मुरादाबाद ग्रामीण और ठाकुरद्वारा 2017 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के खाते में गई थीं जबकि बाकी तीन सीटों पर भारतीय जनता पार्टी ने कब्जा किया था.

पहली बार लहराया भाजपा का परचम

2014 में पहली बार मुरादाबाद लोकसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी की जीत हुई. उत्तर प्रदेश में बीजेपी 71 सीटें जीत कर आई थी और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में उसने क्लीन स्वीप किया था. कुंवर सर्वेश कुमार ने अपने प्रतिद्वंदी समाजवादी पार्टी के डॉ. एसटी हसन को मात दी थी. सर्वेश कुमार ने करीब 87 हजार वोटों से जीत दर्ज की थी. 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस इस सीट पर पांचवें नंबर पर रही थे.

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2014 लोकसभा चुनाव के नतीजे

कुंवर सर्वेश कुमार, भारतीय जनता पार्टी, कुल वोट मिले 485,224, 43%

डॉ. एसटी हसन, समाजवादी पार्टी, कुल वोट मिले 397,720, 35.3%

हाजी मोहम्मद याकूब, बहुजन समाज पार्टी, कुल वोट मिले 160,945, 14.3%

सांसद कुंवर सर्वेश कुमार का प्रोफाइल

पेशे से बिजनेसमैन कुंवर सर्वेश कुमार को उत्तर प्रदेश के बाहुबली नेताओं में से एक माना जाता है. सर्वेश कुमार ठाकुर जाति से आते हैं. सांसद बनने से पहले वह ठाकुरद्वारा विधानसभा सीट से पांच बार विधायक चुने जा चुके हैं. सर्वेश कुमार के बेटे कुंवर सुशांत सिंह मुरादाबाद लोकसभा में ही आने वाली बढ़ापुर विधानसभा सीट से विधायक हैं.  2014 में कांठ विधानसभा क्षेत्र में हुए लाउडस्पीकर विवाद के दौरान भी सर्वेश कुमार काफी चर्चा में रहे थे.

यहां बीजेपी नेताओं द्वारा महापंचायत की जा रही थी, लेकिन दो समुदाय में गर्माए विवाद के बाद पूरे देश में इसने सुर्खियां बटोरीं. सर्वेश कुमार पर इस घटना से जुड़े कुछ मामले भी दर्ज हैं. सर्वेश कुमार के पास कुल 7 करोड़ से अधिक की संपत्ति है, इनमें से 5 करोड़ रुपये की अचल संपत्ति भी शामिल है. उनके मुरादाबाद क्षेत्र में कई स्कूल-कॉलेज हैं, वह अपने पिता के नाम से एक ट्रस्ट भी चलाते हैं.

16वीं लोकसभा में उन्होंने संसद की सिर्फ एक ही बहस में हिस्सा लिया, हालांकि उन्होंने अपने कार्यकाल में कुल 105 सवाल पूछे. कुंवर सर्वेश कुमार संसद में एनर्जी की स्टैंडिंग कमेटी के हिस्सा हैं. सांसद निधि के तहत मिलने वाले 25 करोड़ रुपये के फंड में से उन्होंने कुल 80.24 फीसदी रकम खर्च की.

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