
साबरमती किनारे बसे गुजरात के सबसे बड़े शहर अहमदाबाद की यह लोकसभा सीट 2008 में हुए परिसीमन के बाद वजूद में आई. 2009 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर सबसे पहले भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर हरिन पाठक ने चुनाव लड़ा और वह जीत गए. हरिन पाठक ने इस चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार बाबरिया दीपकभाई रतिलाल को शिकस्त दी. 2014 में एक्टर परेश रावल ने यहां से बीजेपी के टिकट पर बाजी मारी.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
लोकसभा की यह सामान्य सीट अपने अस्तित्व में आने के बाद से दोनों बार बीजेपी के खाते में गई है. 2009 में हरिन पाठक ने यहां से चुनाव जीता था. लेकिन 1989, 1991, 1996, 1998, 1999, 2004 और 2009 में अहमदाबाद सीट से लगातार चुनाव जीतने वाले हरिन पाठक को 2014 में टिकट नहीं दिया गया. हरिन पाठक का टिकट काटकर अभिनेता परेश रावल को मौका दिया गया और उन्होंने जीत दर्ज की. हरिन पाठक बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के करीबी माने जाते हैं. यहां तक कि उन्हें आडवाणी का हनुमान भी कहा जाता है. 2009 के लोकसभा चुनाव में हरिन पाठक बीजेपी के सबसे अमीर प्रत्याशी थे.
सामाजिक ताना-बाना
2011 की जनगणना के मुताबिक, यहां की आबादी 24,43,198 है. इसमें 16.2% ग्रामीण और 83.8% शहरी आबादी है. अनुसूचित जाति (SC) 8.37% और अनुसूचित जनजाति (ST) 1.09% है.
अहमदाबाद पूर्व लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत कुल सात विधानसभा सीट आती हैं. इनमें दहेगाम, गांधीनगर दक्षिण, वाटवा, निकोल, नरोदा, ठक्करबापा नगर और बापूनगर शामिल हैं. दहेगाम से बीजेपी, गांधीनगर दक्षिण से बीजेपी, वाटवा से बीजेपी, निकोल से बीजेपी, नरोदा से बीजेपी, ठक्करबापा नगर से बीजेपी और बापूनगर से कांग्रेस को जीत मिली थी. यानी विधानसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करने के बावजूद कांग्रेस अहमदाबाद में पिछड़ गई थी.
2014 लोकसभा का जनादेश
परेश रावल, बीजेपी- 633,582 वोट (64.3%)
हिम्मत सिंह पटेल, कांग्रेस- 306,949 वोट (31.1%)
दिनेश वघेला, AAP- 11,349 वोट (1.2%)
2014 चुनाव का वोटिंग पैटर्न
कुल मतदाता- 1,601,832
पुरुष मतदाता- 8,52,765
महिला मतदाता- 7,49,067
मतदान- 9,85,525 (61.5%)
पुरुष मतदान- 65.68%
महिला मतदान- 56.80%
सांसद का रिपोर्ट कार्ड
बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता परेश रावल ने भारतीय जनता पार्टी का दामन थामकर पहली बार 2014 में अहमदाबाद पूर्व सीट से चुनाव लड़ा. इस चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के हिम्मत सिंह पटेल को शिकस्त दी. फिल्मों की दुनिया में अपना परचम लहराने वाले परेश रावल ने चुनावी राजनीति में भी अपना दमखम दिखाया और कांग्रेस उम्मीदवार से दोगुने वोट पाकर बड़ी जीत दर्ज की.
2014 से पहले सिर्फ फिल्मी दुनिया में मशगूल रहने वाले परेश रावल चुनाव जीतने के बाद राजनीतिक बयानबाजी से भी चर्चा में आए. उन्होंने कश्मीर में सेना द्वारा बोनट पर युवक को बांधने का न सिर्फ समर्थन किया, बल्कि उसका विरोध करने वाली मशहूर लेखक अरुंधति रॉय को ही बोनट पर बांधने वाला ट्वीट कर दिया. परेश रावल के इस स्टैंड पर काफी विवाद भी हुआ.
परेश रावल भले ही सांसद होने के साथ अपनी फिल्मों में व्यस्त रहते हों, लेकिन अपने निधि का पैसा खर्च करने में वह पीछे नहीं हैं. प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान करीब 20 करोड़ रूपये का खर्च किया है.
वहीं, आय की बात की जाए तो परेश रावल धनी सांसदों में शु्मार किए जाते हैं. 2014 में जीतने वाले 10 सबसे अमीर सांसदों में वह पांचवे नंबर थे. एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक, परेश रावल ने अपनी कुल संपत्ति 79 करोड़ घोषित की थी. इनमें करीब 56 करोड़ चल और 23 करोड़ की अचल संपत्ति है.
संसद में उपस्थिति और सवाल पूछने से लेकर बहस में हिस्सा लेने जैसे तमाम संसदीय क्रियाओं में अगर परेश रावल का प्रदर्शन देखा जाए तो औसत से पीछे रहे हैं. संसद में जहां गुजरात से आने वाले सांसदों की उपस्थिति की औसत दर 84 फीसदी रही, वहीं परेश रावल का औसत 66 फीसदी ही रहा. वहीं बहस में हिस्सा लेने की बात की जाए तो वह काफी पीछे रहे हैं. गुजरात के सांसदों का औसत 39.5 फीसदी रहा है, जबकि परेश रावल का महज 8 फीसदी ही है. सवाल पूछने में भी परेश रावल राष्ट्रीय और राज्यवार स्तर पर काफी पीछे रहे हैं. उन्होंने अपने कार्यकाल में महज 185 सवाल किए हैं, जबकि गुजरात से आने वाले सांसदों का सवाल पूछने का औसत 270 और देशभर के सांसदों का औसत 278 रहा है. प्राइवेट मेंबर बिल में वह उनकी परफोर्मेंस शून्य रही.
परेश रावल सोशल मीडिया पर काफी एक्टव नहीं रहते हैं, लेकिन उनकी फैन फॉलोइंग काफी अच्छी है. ट्विटर पर वेरीफाइड अकाउंट के साथ उनके फॉलोअर्स की संख्या 2.46 मिलियन है. हालांकि, वह नियमित तौर पर ट्वीट नहीं करते हैं. फेसबुक पर भी उनकी पहुंच अच्छी है, लेकिन वहां भी वो एक्टिव नहीं नजर आते हैं.