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ब्रह्मपुर लोकसभा सीट: जहां से कभी सांसद बने पूर्व PM नरसिम्हा राव

Berhampur Lok Sabha constituency लोकसभा चुनाव 2019 की बात करें तो इस बार यहां चौतरफा मुकाबले के आसार हैं. इस सीट से BJD, BJP और कांग्रेस तो मैदान में है ही TDP ने भी कह दिया है कि वो अपना कैंडिडेट इस सीट से उतारेगी. TDP का तर्क है कि इस इलाके में तेलुगु भाषा और संस्कृति का प्रभाव है लिहाजा वह भी अपना किस्मत अपनाएगी.

पूर्व प्रधानमंत्री पी वी नरसिम्हा राव पूर्व प्रधानमंत्री पी वी नरसिम्हा राव
पन्ना लाल
  • नई दिल्ली,
  • 08 फरवरी 2019,
  • अपडेटेड 5:17 PM IST

ब्रह्मपुर भारत के पूर्वी समुद्र तट पर स्थित ओडिशा का एक शहर है. ये शहर रेशम की साड़ी, मंदिर और इसकी संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है. दक्षिण भारत से सटे होने के कारण यहां की संस्कृति पर वहां जा गहरा असर है. खानपान हो या वेशभूषा यहां की जिंदगी पर आंध्र प्रदेश का प्रभाव देखने को मिलता है.

लोकसभा चुनाव 2019 की बात करें तो इस बार यहां चौतरफा मुकाबले के आसार हैं. इस सीट से BJD, BJP और कांग्रेस तो मैदान में है ही TDP ने भी कह दिया है कि वो अपना कैंडिडेट इस सीट से उतारेगी. TDP का तर्क है कि इस इलाके में तेलुगु भाषा और संस्कृति का प्रभाव है लिहाजा वह भी अपना किस्मत अपनाएगी.

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राजनितिक पृष्ठभूमि

इस सीट पर चुनाव तो 1952 से ही होते आए हैं लेकिन इस लोकसभा क्षेत्र का नाम ब्रह्मपुर 1977 में पड़ा.  1952 में यहा से उमा चरण पटनायक चुनाव जीते. तब इस सीट का नाम घुमसुर था.  1952 में ही यहां उपचुनाव की नौबत आ गई इस बार सीपीआई के बिजय चंद्र दास चुनाव जीते. 1957 में इस सीट का नाम गंजाम हो गया. इस बार चुनाव में बतौर निर्दलीय उमा चरण पटनायक विजयी रहे. 1962 में इस सीट का नाम बदलकर छतरपुर रखा गया. इस बार यहां  कांग्रेस कैंडिडेट का डंका बजा.

1971 में भी यहां पर कांग्रेस को जीत मिली. 1977, 80, 84 में यहां से कांग्रेस कैंडिडेट जगन्नाथ राव ने अपना परचम बुलंद किया. 1989 और 91 में कांग्रेस के गोपीनाथ गजपति यहां से चुने गए.

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1996 में यहां से पूर्व PM पीवी नरसिम्हा राव कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर जीते. दरअसल नरसिम्हा राव 1996 में आंध्र के नंदयाल से भी जीते थे, लेकिन उन्होंने इसी सीट से अपनी उम्मीदवारी कायम रखी. 1998 के लोकसभा इलेक्शन में भी यहां कांग्रेस का ही दबदबा रहा और जयंती पटनायक विजय रथ पर सवार हुए. 1999 में इस सीट पर बीजेपी ने अपना खाता खोला. आनंदी चरण साहू ने यहां कमल खिलाया.

2004 में कांग्रेस ने फिर वापसी की और चंद्र शेखर साहू चुनावी रेस में अग्रणी रहे. हालांकि 2009 में बीजू जनता दल ने इस सीट पर घुसपैठ कर ही ली. सिद्धांत महापात्रा इस सीट से विजयी रहे.  2014 में भी उनकी सीट का सिलसिला बरकरार रहा.

सामाजिक ताना-बाना

ब्रह्मपुर लोकसभा सीट का विस्तार ओडिशा के गजपति और गंजाम जिलों में है. 2011 की जनगणना के मुताबिक यहां की कुल आबादी 19 लाख 31 हजार 875 थी. यहां की जनसंख्या का 68.92 फीसदी हिस्सा गांव में रहती है, इसके अनुपात में 31.08 परसेंट जनता शहरों में रहकर जीवनयापन करती है. यहां पर कुल आबादी का 14.64 फीसदी हिस्सा अनुसूचित जाति है, अगर अनुसूचित जनजाति का अनुपात 18.39 फीसदी है.

ब्रह्मपुर लोकसभा सीट के तहत विधानसभा की 7 सीटें आती हैं. इनके नाम हैं छतरपुर, गोपालपुर, ब्रह्मपुर, चिकिटी, दिगपहंदी, मोहाना और परलाखेमुंडी. 2014 के विधानसभा चुनाव में परलाखेमुंडी सीट पर कांग्रेस ने जीत हासिल की थी, बाकी 6 सीटों पर बीजू जनता दल का कब्जा रहा था.

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2014 के चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक इस सीट पर पुरुष मतदाताओं की संख्या 6 लाख 80 हजार 89 थी, जबकि महिला वोटर्स का आंकड़ा 6 लाख 54 हजार 179 था. कुल मतदाताओं की गिनती 13 लाख 34 हजार 268 थी. पिछले लोकसभा में यहां पर 67.85 फीसदी वोटिंग हुई थी.

2014 का जनादेश

2009 में इस सीट पर एंट्री करने वाली बीजद ने 2014 आते आते इस क्षेत्र में अपनी जड़ें अच्छी तरह जमा ली थी. 2014 में बीजू जनता दल के सिद्धांत महापात्रा को 3 लाख 98 हजार 107 वोट मिले. वह 127720 वोटों से चुनाव जीते. दूसरे नम्बर पर रहे कांग्रेस के चंद्र शेखर साहू को 270387 वोट मिले. इस सीट पर बीजेपी तीसरे नम्बर पर रही. पार्टी कैंडिडेट रामचंद्र पांडा को 158811 वोट मिले.

सांसद का रिपोर्ट कार्ड

सिद्धांत महापात्रा दूसरी बार ब्रह्मपुर सीट से सांसद बने हैं. 52 साल के महापात्रा खेल में काफी दिलचस्पी रखते हैं, वह क्रिकेट और हैंडबॉल खेलते हैं. सिद्धांत रणजी ट्रॉफी खेल चुके है, इसके अलावा वह हैंडबॉल चैंपियनशिप में ओडिशा का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं.

बीजद सांसद 16वीं लोकसभा के दौरान सदन की 321 बैठकों में से 222 दिन मौजूद रहे हैं. संसद में उनके द्वारा कोई सवाल नहीं पूछा गया है. वह लोकसभा की बहसों में हिस्सा ले चुके हैं. सांसद निधि फंड के तहत वह 16.35 करोड़ रुपये विकास के अलग अलग काम पर खर्च कर चुके हैं.

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