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ओडिशा का जाजपुर क्षेत्र ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व का स्थान है. यह वही जगह है जहां धार्मिक ग्रंथों में चर्चित वैतरणी नदी बहती है. मान्यता है कि भागीरथी गंगा जब पितृलोक में बहती है, तब वह वैतरणी कहलाती है. कहा जाता है कि भगवान ब्रह्मा ने वैतरणी नदी के तट पर स्थित एक सरोवर में महायज्ञ किया था, जिस वजह से इस क्षेत्र का नाम 'याजपुर' पड़ा. यही स्थान आजकल 'जाजपुर' के नाम से जाना जाता है. जाजपुर जिले में कई पौराणिक मंदिर हैं जो स्थापत्थ कला का बेशकीमती नमूना हैं. इनमें जगन्नाथ मंदिर और बूढ़ा गणेश मंदिर है.
जाजपुर जिले की सरकारी वेबसाइट के मुताबिक राष्ट्रगीत के रचयिता बंकिम चंद्र चंटर्जी यहां पर 1882 से लेकर 1884 के बीच डिप्टी मजिस्ट्रेट रहे. उस वक्त ओडिशा बंगाल प्रांत का हिस्सा था. रिकॉर्ड के मुताबिक बंकिम चंद्र चटर्जी ने 'देवी चौधरानी' नाम की कहानी यहीं पर लिखी थी. पिछले 20 सालों से यह सीट सीएम नवीन पटनायक की पार्टी बीजेडी का गढ़ रही है.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
जाजपुर लोकसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. इस सीट से अबतक बीजेडी, कांग्रेस और जनता दल के कैंडिडेट चुने गए हैं. 1962 के लोकसभा चुनाव में इस सीट से कांग्रेस के राम चंद्र मल्लिक ने जीत हासिल की. 1967 में यहां से पीएसपी के बी बेहेरा चुनाव जीते. 1971 में कांग्रेस के खाते में यह सीट आई. 1977 में राम चंद्र मल्लिक बीएलडी के टिकट पर चुनाव जीते. आनंदी चरण दास 1980, 84, 89, 91 के लोकसभा चुनाव में लगातार चार बार विजयी हुए. 1996 में जनता दल के आंचल दास को जीत मिली.
1998 में कांग्रेस उम्मीदवार राम चंद्र मल्लिक ने चुनाव जीता. 1999 में इस सीट पर बीजेडी ने एंट्री की और पार्टी कैंडिडेट जगन्नाथ मलिक ने चुनाव जीता. इसके बाद लगातार तीन बार 2004, 09, और 14 में इस सीट से बीजू जनता दल से कैंडिडेट को जीत मिलती रही है. 2014 में पार्टी कैंडिडेट रीता तराई ने सवा तीन लाख वोटों से जीत हासिल की.
सामाजिक ताना-बाना
जाजपुर जिले का गठन 1 अप्रैल 1993 को हुआ था, इससे पहले ये जिला कटक का हिस्सा था. खेती और खनन इस जिले की अर्थव्यवस्था के आधार हैं. हाल ही में इस जिले में औद्योगिक गतिविधियों का भी अच्छा विस्तार हुआ है. जिले के कलिंग नगर इलाके में 4 छोटे स्टील प्लांट हैं. इसके अलावा टाटा और जिंदल स्टील ने भी इस जिले में अपने ऑपरेशन शुरू किए हैं. खरीफ फसलों में धान यहां की मुख्य पैदावार है. धान के रोपाई के सीजन में 85 फीसदी जमीन पर धान की खेती होती है.
जाजपुर जिले में अनुसूचित जाति के लोग ज्यादा तादाद में रहते हैं. इसलिए इस सीट को सुरक्षित घोषित किया गया है. 2011 की जनगणना के मुताबिक इस जिले की जनसंख्या 18 लाख 27 हजार 192 है. यहां पर अनुसूचित जाति के मतदाताओं की संख्या 23.72 प्रतिशत है, जबकि अनुसूचित जनजाति के मतदाताओं की जनसंख्या 8.29 फीसदी है.
2014 के लोकसभा चुनाव मुताबिक जाजपुर सीट पर मतदाताओं की संख्या 13 लाख 3 हजार 733 थी. यहां पर पुरुष वोटर्स की संख्या 6 लाख 96 हजार 385 है. जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 6 लाख 7 हजार 348 है. 2014 में इस सीट पर 75.20 प्रतिशत मतदान हुआ था.
जाजपुर लोकसभा सीट के तहत विधानसभा की 7 सीटें आती हैं. ये सीटें हैं बिंझारपुर, बरी, बड़चणा, धर्मशाला, जाजपुर, कोरेई और सुकिन्दा. 2014 के विधानसभा चुनाव में इन सभी सीटों बीजू जनता दल ने जीत हासिल की थी.
2014 का जनादेश
16वीं लोकसभा के लिए हुए चुनाव के दौरान इस सीट पर बीजेडी कैंडिडेट रीता तराई को बंपर वोट मिले. रीता तराई को 5 लाख 41 हजार 349 वोट मिले. जबकि कांग्रेस के अशोक दास को 2 लाख 21 हजार 78 वोट हासिल हुए. इस सीट पर बीजेपी तीसरे नंबर पर रही. पार्टी कैंडिडेट अमियकांता मल्लिक को 1 लाख 50 हाजर 789 वोट हासिल हुए. जाजपुर लोकसभा सीट पर साल 2014 में 75.20 प्रतिशत मतदान हुआ था.
सांसद का रिपोर्ट कार्ड
जाजपुर सांसद रीता तराई लोकसभा की कुल 321 दिन चली कार्यवाही में 270 दिन सदन में मौजूद रहीं. सदन में उनके द्वारा विभिन्न मुद्दों पर 186 सवाल पूछे गए. उन्होंने सदन के 18 डिबेट्स में शिरकत किया. सांसद निधि फंड की बात करें तो उन्होंने 10.67 करोड़ रुपये विकास के अलग अलग मद पर खर्च किए.
जाजपुर की सांसद और बीजेडी की युवा नेत्री रीता तराई क्षेत्र की लोकप्रिय शख्सियत हैं. ये संसद में उनकी पहली पारी है. दो बच्चों की मां रीता तराई की शिक्षा जाजपुर में ही हुई है. यहां पर उन्होंने इंटरमीडिएट की डिग्री ली है. सांसद बनने से पहले वह 2012 से 14 के बीच जिला परिषद की भी सदस्य रह चुकी हैं. रीता तराई jajpurmp के नाम से फेसबुक पर प्रसिद्ध हैं.