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सिकंदराबाद: जहां कांग्रेस के गढ़ में चली थी मोदी लहर

सिकंदराबाद लोकसभा सीट दूसरे आम चुनावों के समय अस्तित्व में आई थी. यह सीट तबसे ही कांग्रेस का मजबूत गढ़ रही है. यहां पर हुए 15 आम चुनावों और लोकसभा के एक उपचुनाव में से अकेले कांग्रेस 12 बार जीती है. हां, चार बार यहां से भारतीय जनता पार्टी भी जीत चुकी है.

सिकंदराबाद में मोदी लहर सिकंदराबाद में मोदी लहर
भारत सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 31 जनवरी 2019,
  • अपडेटेड 7:39 PM IST

सिकंदराबाद लोकसभा सीट तेलंगाना के हैदराबाद जिले में स्थित है. यह लोकसभा शहरी क्षेत्र में है. सिकंदराबाद का नाम आसफ जाही राजवंश के तीसरे निजाम सिकंदर जाह के नाम पर पड़ा. सिकंदराबाद ब्रिटिशकाल से ही दक्षिण भारत का अहम नगर रहा. इसकी स्थापना 1806 में ब्रिटिश कैंटोनमेंट के रूप में की गई थी. हैदराबाद और सिकंदराबाद ऐतिहासिक और सांस्कृतिक शहर रहे हैं. सिकंदराबाद लोकसभा सीट से पूर्व केंद्रीय मंत्री बंडारू दत्तात्रेय सांसद हैं. वह इस सीट से पहले भी दो बार सांसद चुने जा चुके हैं. फिलहाल वह तीसरी बार लोकसभा में यहां के लोगों के प्रतिनिधि बने हैं.

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राजनीतिक पृष्ठभूमि

सिकंदराबाद लोकसभा सीट दूसरे आम चुनावों के समय अस्तित्व में आई थी. यह सीट तबसे ही कांग्रेस का मजबूत गढ़ रही है. यहां पर हुए 15 आम चुनावों और लोकसभा के एक उपचुनाव में से अकेले कांग्रेस 12 बार जीती है. हां, चार बार यहां से भारतीय जनता पार्टी भी जीत चुकी है. इन दोनों दलों के अलावा यहां से कोई तीसरी पार्टी आज तक लोकसभा चुनाव नहीं जीत सकी है. बस 1971 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस नेता एन. साईकिरन निर्दलीय लड़कर चुनाव जीते थे.

सामाजिक ताना-बाना

सिकंदराबाद में अनुसूचित जाति की आबादी कुल आबादी की 8.32 फीसदी है और अनुसूचित जनजाति की आबादी की आबादी कुल आबादी की 1.11 फीसदी है. सिकंदराबाद लोकसभा सीट के अंतर्गत सात विधान सभा सीटें आती हैं. इसमें सिकंदराबाद, मुशीराबाद, अम्बरपेट, खैराताबाद, जुबली हिल्स, सनथ नगर और नामपल्ली सीटें हैं. इनमें से एक भी सीट अनुसूचित जाति या जनजाति के लिए आरक्षित नहीं है. 2018 में हुए विधानसभा चुनावों के बाद यहां पर सात में से छह सीटों पर टीआरएस को जीत मिली और एकमात्र सीट पर एआईएमआईएम का विधायक बना था. सिकंदराबाद में 10,12,378 पुरुष और 8,81,269 महिला यानी कुल 18,93,647 मतदाता हैं. हालांकि, इस सीट पर वोटर टर्नआउट काफी कम देखने को मिलता है. 2014 में हुए लोकसभा चुनावों में इस सीट के केवल 53 फीसदी मतदाताओं ने ही अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था.

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2014 का जनादेश

2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने बड़े अंतर से यह सीट कांग्रेस से छीनी थी. भाजपा के टिकट पर बंडारू दत्तात्रेय ने कांग्रेस के अंजन कुमार यादव को 2.50 लाख से ज्यादा वोटों से हराया था. दत्तात्रेय को 43.62 फीसदी यानी 4,38,271 वोट मिले थे. वहीं कांग्रेस के अंजन कुमार यादव को 18.27 फीसदी यानी 1,83,536 वोट मिले थे. तीसरे नंबर पर AIMIM के एन. मोहन राव रहे थे. उन्हें 14.5 फीसदी यानी 145,120 वोट मिले थे. चौथे नंबर पर रहे तेलंगाना राष्ट्र समिति के टी. भीष्म को 14.3 फीसदी यानी 143,847 वोट मिले थे. इससे पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के अंजन कुमार यादव ने भाजपा के बंडारू दत्तात्रेय को करीब 1.70 लाख वोटों से मात दी थी.

सांसद का रिपोर्ट कार्ड

सिकंदराबाद लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी के नेता और केंद्रीय मंत्री रहे बंडारू दत्तात्रेय की संसद में उपस्थिति 81 फीसदी रही है. इस मामले में देश भर के सांसदों का राष्ट्रीय औसत 80 फीसदी है तो तेलंगाना के सांसदों की उपस्थिति का औसत 69 फीसदी है. दत्तात्रेय ने इस दौरान सदन में 68 बहसों में हिस्सा लिया. इस मामले में राष्ट्रीय औसत 65.3 बहसों का है और तेलंगाना के सांसदों का औसत 38.2 बहसों का है. चूंकि वह सितंबर 2017 तक सरकार में शामिल रहे, इसलिए सदन में उन्होंने कम सवाल पूछे. दत्तात्रेय ने इस दौरान 12 सवाल पूछे, जबकि इस मामले में राष्ट्रीय औसत 285 सवालों का है और तेलंगाना के सांसदों का औसत 295 सवालों का है. इस दौरान उन्होंने सरकार की ओर से 23 बिल पेश किए तो 3 प्राइवेट मेंबर्स रेजोल्यूशन पेश किए. हां उन्होंने एक भी प्राइवेट मेंबर बिल पेश नहीं किया. बंडारू दत्तात्रेय का अपने संसदीय क्षेत्र में प्रदर्शन भी औसत रहा है. उन्हें अपने निर्वाचन क्षेत्र में विकास कार्यों के लिए संसद निधि में से 10 करोड़ रुपये आवंटित हुए, जो ब्याज समेत मिलाकर 14.20 करोड़ रुपये हो गया. इसमें से उन्होंने 12.42 करोड़ रुपये खर्च किए, जो मूल आवंटित फंड का 122.17 फीसदी बैठता है. इसके बावजूद उनकी सांसद निधि के 1.79 करोड़ रुपये बिना खर्च किए रह गए.

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