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सुंदरगढ़ लोकसभा सीट: ओडिशा का एकमात्र संसदीय क्षेत्र जहां 2014 में खिला था कमल

Sundargarh Lok Sabha constituency आदिवासी बहुल होने की वजह से ये सीट भी अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है. इस जिले की कुल आबादी का लगभग 9 फीसदी अनुसूचित जाति और 51 फीसदी अनुसूचित जनजाति है. सुंदरगढ़ जिले की लगभग 65 फीसदी आबादी गांवों में रहती है जबकि 35 प्रतिशत आबादी का निवास शहरों में है.

फोटो- रॉयटर्स फोटो- रॉयटर्स
पन्ना लाल
  • नई दिल्ली,
  • 04 फरवरी 2019,
  • अपडेटेड 11:20 PM IST

नाम के मुताबिक ही सुंदरगढ़ ओडिशा का एक बेहद खूबसूरत जिला है. प्रकृति की गोद में बसे सुंदरगढ़ जिले में कुदरत की कलाकारी आप निहारते ही रह जाएंगे. यहां के हिल स्टेशन, घुमावदार पहाड़ियां और झरने बरबस ही आपका ध्यान खींच लेंगे. इस जिले में प्रकृति का भी भरपूर तोहफा मिला है. यहां पर लौह अयस्क, लाइमस्टोन और मैगनीज का भंडार है.

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यही वजह है कि इस जिले में स्लीट प्लांट, फर्टिलाइजर प्लांट और सीमेंट की फैक्टरी देखने को मिलती है. हालांकि इस जिले की 50 फीसदी आबादी अभी खेती और इससे जुड़े धंधे कर अपनी रोजी-रोटी का जुगाड़ करती है. इस शहर का इतिहास बताता है कि 1948 तक सुंदरगढ़ गंगपुर रियासत की राजधानी शहर था. लेकिन प्राचीन काल में यह नगर कई शक्तिशाली राजवंशों का केन्द्र रह चुका है. सुंदरगढ़ सीट ओडिशा की एक मात्र वो सीट है जहां 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने जीत हासिल की थी. बीजेपी नेता जुएल ओरांव इस सीट से जीतकर केंद्र में मंत्री बने थे. इस लिहाज से यह सीट काफी अहम है.  

राजनीतिक पृष्ठभूमि

अगर इस सीट  के इतिहास पर नजर डालें तो यहां पर कांग्रेस, बीजेपी और जनता दल का कब्जा रहा है. इस सीट पर आज तक बीजू जनता दल ने जीत हासिल नहीं की है. 1952 में इस सीट पर कांग्रेस ने जीत हासिल की थी. 52 और 57 में गणतंत्र परिषद के कैंडिडेट ने फतह हासिल की. 1967 में स्वतंत्र पार्टी को जीत मिली. 71 में जीत कांग्रेस के खाते में गई. 77 में अन्य सीटों की तरह यहां पर भी जनता पार्टी की लहर थी. 1980, 84 में कांग्रेस ने फिर जीत हासिल की. 1989 के चुनाव में जनता दल सुंदरगढ़ सीट पर अपनी पताका फहराई. 1991 और 1996 में कांग्रेस ने फिर से इस सीट पर जीत हासिल की. बीजेपी ने इस सीट पर अपेक्षाकृत देरी से जगह बनाई. लेकिन 1998 में शुरू हुआ बीजेपी के जीत का सिलसिला  1999,  और 2004  में भी जारी रहा. जुएल उरावं 1998 से लेकर 2004 तक लगातार जीतते रहे. हालांकि 2009 में उन्हें हार मिली. कांग्रेस के हेमानंद विश्वाल ने उन्हें शिकस्त दी. हालांकि जुएल उरांव मात्र लगभग साढ़े 11 हजार वोटों के अंतर से हारे थे.

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2014 का जनादेश

2014 में भी इस सीट पर कांटे की टक्कर रही और बीजेपी के जुएल उरांव मात्र 18,829 से चुनाव जीते. चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक इस सीट पर जुएल उरांव को 3 लाख 40 हजार 508 वोट मिले थे. जबकि मशहूर हॉकी खिलाड़ी और बीजेडी कैंडिडेट दिलीप कुमार तिर्की को 3 लाख 21 हजार 679 वोट मिले थे. कांग्रेस ने भी इस सीट पर अपनी अच्छी खासी उपस्थिति दर्ज कराई पार्टी कैंडिडेट और पूर्व सांसद हेमानंद विश्वाल को 2 लाख 69 हजार 335 वोट मिले. 2014 में इस सीट पर 73.1 प्रतिशत की बंपर वोटिंग हुई थी.

सामाजिक ताना-बाना

सुंदरगढ़ लोकसभा सीट के तहत विधानसभा की 7 सीटें आती हैं.  ये सीटें हैं- सुंदरगढ़, तलसारा, राजगांगपुर, बिरमित्रापुर, राउरकेला, रघुनाथपाली और बोनाई. 2014 के विधानसभा में इन सीटों का प्रतिनिधित्व काफी रोचक रहा. सुंदरगढ़ और तलसारा विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने जीत हासिल की, तो  बिरमित्रापुर सीट पर समता क्रांति दल के उम्मीदवार को जीत मिली. रघुनाथपाली और राजगांगपुर सीट बीजू जनता दल के खाते में गया, वहीं राउरकेला सीट पर बीजेपी ने अपनी परचम फहराया. बोनाई सीट पर सीपीएम के कैंडिडेट ने जीत हासिल की.  

चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक 2014 में इस सीट पर 7 लाख 18 हजार 689 पुरुष मतदाता थे. जबकि महिला मतादाताओं की संख्या 6 लाख 91 हजार 843 थी. इस सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 14 लाख 10 हजार 532 है. सरकारी वेबसाइट sundergarh.nic के मुताबिक सुंदरगढ़ जिले की आबादी 20 लाख 80 हजार 664 है. जनसंख्या के लिहाज से यह ओडिशा का पांचवां सबसे बड़ा जिला है.

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आदिवासी बहुल होने की वजह से ये सीट भी अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है. इस जिले की कुल आबादी का लगभग 9 फीसदी अनुसूचित जाति और 51 फीसदी अनुसूचित जनजाति है. सुंदरगढ़ जिले की लगभग 65 फीसदी आबादी गांवों में रहती है जबकि 35 प्रतिशत आबादी का निवास शहरों में है. धान सुंदरगढ़ जिले की मुख्य खेती है. खरीफ फसलों की सीजन में यहां के 75 फीसदी जमीन धान की फसल से लहलहाते हैं.

राउरकेला स्टील प्लांट इसी संसदीय क्षेत्र में आता है. इस प्लांट की वजह से स्थानीय आबादी को रोजगार के अच्छे मौके मिलते हैं. जर्मनी के सहयोग से स्थापित हुआ ये कारखाना भारत में स्टील इंडस्ट्री का जाना-माना केंद्र है.

सांसद का रिपोर्ट कार्ड

केन्द्रीय मंत्री जुएल उरांव सुंदरगढ़ सीट से चौथी बार सांसद बने हैं. लिहाजा इस सीट पर उनका अच्छा खासा दबदबा है. 2014 का चुनाव जीतने के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने इन्हें मंत्रीपद की जिम्मेदारी दी और जनजातीय मामलों के मंत्रालय की जिम्मेदारी थी. जुएल उरांव भारत सरकार में पूर्व कैबिनेट मंत्री भी रह चुके हैं. वह भारतीय जनता पार्टी के उपाध्यक्ष भी हैं. पार्टी नेतृत्व ने उन्हें ओड़िशा में भाजपा का अध्यक्ष भी बनाया है.

57 साल के जुएल उरांव ने इंजीनियरिंग की शिक्षा ली है. उन्होंने राउरकेला से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया है. इसके अलावा में ट्रेड यूनियन की राजनीति में भी सक्रिय रहे हैं. 8 मार्च 1987 को इन्होंने झिंगिया उरांव से शादी की.  जुएल उरांव की दो बेटियां हैं. जुएल उरांव ट्विटर पर भी सक्रिय हैं. यहां पर @jualoram के नाम से वह राजनीतिक, सामाजिक मुद्दों पर ट्वीट करते हैं. जुएल उरांव ने संसद से मिलने वाली एमपीलैड फंड के तहत 18.17 करोड़ रुपये विकास के कार्यों पर खर्च किए हैं.

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