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वलसाड सीट को काफी लकी माना जाता है. इस सीट लेकर चर्चा है, यहां से सत्ता का रास्ता तय होता है. अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित इस सीट पर जिस पार्टी को जीत मिलती है, वही केंद्र में सरकार बनाती है. पिछले कई चुनावों में ऐसा देखने को मिला है. हालांकि, पहले यह सीट बुलसर के नाम से जानी जाती थी.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
1957 से 1967 के लोकसभा चुनाव तक यहां लगातार कांग्रेस को जीत मिलती रही. इसके बाद मोरारजी देसाई वाली कांग्रेस ने 1971 में यहां से चुनाव जीता. 1977 में जनता पार्टी को इस सीट पर जीत मिली. 1980 व 1984 में इंदिरा गांधी वाली कांग्रेस ने बाजी मारी. हालांकि, 1989 में फिर बाजी पलटी और जनता दल के अरुण भाई पटेल ने चुनाव जीता. इसके बाद 1991 में कांग्रेस में जीती.
भारतीय जनता पार्टी ने यहां जबरदस्त वापसी करते हुए लगातार तीन चुनाव जीते. 1996, 1998 और 1999 में बीजेपी के टिकट पर मणिभाई चौधरी लगातार सांसद निर्वाचित हुए. 2004 व 2009 में कांग्रेस के किशन भाई पटेल लगातार दो बार जीते. जबकि 2014 की मोदी लहर में वह नहीं जीत सके और बीजेपी के टिकट पर लड़े के.सी पटेल ने उन्हें शिकस्त दी.
1996 में बीजेपी ने इस सीट पर पहली बार जीत दर्ज की और केंद्र में पार्टी के वरिष्ठ नेता अटल बिहारी वाजपेयी को सरकार चलाने का अवसर मिला. हालांकि, यह सरकार महज 13 दिन ही चल पाई. इसके बाद 1998 में फिर ऐसे सियासी हालात बने कि बीजेपी ने केंद्र की सत्ता का नेतृत्व किया. 1999 से 2004 तक अटल बिहारी वाजपेयी ने मजबूती से अपना पूरा कार्यकाल किया. दिलचस्प आंकड़ा ये है कि इन तीनों ही चुनाव में बीजेपी को वलसाड सीट से जीत मिली थी. इसके बाद 2004 में कांग्रेस जीती तो केंद्र में यूपीए की सरकार बनी. 2009 में कांग्रेस सरकार की सरकार रिपीट होने को लेकर ज्यादा आश्वस्तता नहीं थी, लेकिन फिर भी मनमोहन सिंह ने 5 साल सरकार चलाई और इस चुनाव में भी वलसाड सीट से कांग्रेस को जीत मिली. 2014 में यह सीट बीजेपी के खाते में गई तो केंद्र में बीजेपी की वापसी हो गई.
सामाजिक ताना-बाना
2011 की जनगणना के मुताबिक, वलसाड लोकसभा क्षेत्र की आबादी 23,00,449 है. इसमें 70.69% आबादी ग्रामीण और 29.31% आबादी शहरी है. अनुसूचित जाति की आबादी 1.84 प्रतिशत और 62.69 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति की है. 2018 की वोटर लिस्ट के मुताबिक, यहां 16,24,322 वोटर हैं. करीब 6 फीसदी यहां मुस्लिम आबादी है.
इस लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत डांग, वलसाड, उमरगांव, वांसडा, पर्डी, धरमपुर, कपराडा विधानसभा सीट आती हैं. 2017 के विधानसभा चुनाव में धरमपुर से बीजेपी, वलसाड से बीजेपी, पर्डी से बीजेपी, कपराडा से कांग्रेस, उमरगांव से बीजेपी, डांग से कांग्रेस और वांसडा से कांग्रेस को जीत मिली थी.
2014 चुनाव का जनादेश
के. सी पटेल, बीजेपी- 617,772 वोट (55.0%)
किशनभाई पटेल, कांग्रेस- 409,768 (36.5%)
2014 चुनाव का वोटिंग पैटर्न
कुल मतदाता- 15,12,061
पुरुष मतदाता- 7,75,073
महिला मतदाता- 7,36,988
मतदान- 11,22,203 (74.2%)
सांसद का रिपोर्ट कार्ड
के.सी पटेल पेशे से डॉक्टर हैं. वह 1995 में पहली बार विधायक बने थे. इस दौरान वह गुजरात सरकार में मंत्री भी रहे. इसके बाद वह 2014 में सांसद बने. 69 साल के के.सी पटेल की लोकसभा में उपस्थिती की बात की जाए तो उनकी मौजूदगी 81 फीसदी रही है. बहस के मामले में उनका प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा है. उन्होंने महज 1 बार संसद की बहस में हिस्सा लिया. सवाल पूछने के मामले में उनका प्रदर्शन बिल्कुल खरा रहा और उन्होंने एक भी सवाल नहीं पूछा.
सांसद निधि से खर्च के मामले में उनका प्रदर्शन अच्छा रहा है. उनकी निधि से जारी 26.35 करोड़ रुपये का वह लगभग 88 प्रतिशत विकास कार्यों पर खर्च करने में कामयाब रहे हैं. संपत्ति की बात की जाए तो एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक, उनकी कुल संपत्ति 13 करोड़ रूपये से ज्यादा की है. इसमें 1 करोड़ 40 लाख रुपये से ज्यादी की चल संपत्ति और 11 करोड़ 71 लाख रूपये से ज्यादा की अचल संपत्ति है.