Advertisement

अमेठी में राहुल के खिलाफ पासवान से क्यों प्रचार करा रही है BJP?

अमेठी-रायबरेली सीट पर पासी समुदाय के मतदाता किंगमेकर की भूमिका में है, जो कांग्रेस का परंपरागत वोटर माना जाता है. ऐसे में बीजेपी ने इन दोनों सीटों पर पासी समुदाय को साधने के लिए बीजेपी के सहयोगी लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष राम विलास पासवान का तुरुप के पत्ते के तौर पर इस्तेमाल किया है.

अमेठी में स्मृति ईरानी के पक्ष में प्रचार करते रामविलास पासवान अमेठी में स्मृति ईरानी के पक्ष में प्रचार करते रामविलास पासवान
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली,
  • 02 मई 2019,
  • अपडेटेड 1:57 PM IST

अमेठी और रायबरेली लोकसभा सीट की सियासी जंग को फतह करने के लिए बीजेपी हर संभव कदम उठा रही है. अमेठी में बीजेपी प्रत्याशी स्मृति ईरानी और रायबरेली में बीजेपी के दिनेश प्रताप सिंह के पक्ष में पार्टी नेताओं के साथ-साथ सहयोगी दल के नेता भी चुनाव प्रचार कर रहे हैं. अमेठी-रायबरेली सीट पर पासी समुदाय के मतदाता किंगमेकर की भूमिका में है, जो कांग्रेस का परंपरागत वोटर माना जाता है. ऐसे में बीजेपी ने इन दोनों सीटों पर पासी समुदाय को साधने के लिए बीजेपी के सहयोगी लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष राम विलास पासवान का तुरुप के पत्ते के तौर पर इस्तेमाल किया है. अब देखना होगा कि पासवान की कोशिश कांग्रेस के दुर्ग में कमल खिला पाएगी?

Advertisement

अमेठी में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ बीजेपी से स्मृति ईरानी चुनावी मैदान में हैं. बीजेपी ने राहुल के खिलाफ जबरदस्त घेराबंदी कर रखा है. इस कड़ी में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने रामविलास पासवान को अमेठी और रायबरेली पहुंचने और वहां बीजेपी की स्मृति ईरानी और दिनेश सिंह के लिए प्रचार करने को कहा. इसके बाद 28 अप्रैल को पासवान ने अमेठी संसदीय क्षेत्र के पासी बहुल इलाके परसदेपुर के रहीमगंज चौराहे पर जनसभा को संबोधित करते हुए गांधी परिवोर को दलित विरोधी बताया.

पासवान ने कहा कि दलित उत्थान के लिए जितना काम मोदी ने किया है. उतना काम किसी भी सरकार ने नहीं किया है. उन्होंने कहा कि मोदी ने डॉ. अंबेडकर को सम्मान दिया है. एससीएसटी एक्ट बनाया और वो लोग कहते हैं कि मोदी दलित विरोधी हैं. उनको क्या पता कि कौन किसका विरोध कर रहा है. हम सबका साथ, सबका विकास में साथ चल रहे है. मोदी ने दलित को राष्ट्रपति बनाया, ये आज तक किसी ने नहीं किया, उसके बाद भी कहते हैं कि मोदी दलित विरोधी हैं.

Advertisement

पासवान अमेठी के बाद रायबरेली संसदीय सीट के महराजगंज कस्बे के बबुरिहा मैदान में बीजेपी प्रत्याशी दिनेश प्रताप सिंह के पक्ष जनसभा को संबोधित करना था. पासवान यहां जनसभा को संबोधित किए बगैर ही लखनऊ की ओर चले गए.

इस पर बीजेपी नेताओं ने तर्क दिया कि हेलीकॉप्टर को उतराने लिए सिंग्नल नहीं मिले, जिसके चलते लैंडिंग नहीं हो सकी. और पासवान जनसभा को संबोधित नहीं कर सके. वहीं दूसरी ओर विपक्षी दलों का कहना है कि जनसभा में भीड़ जुटी ही नहीं थी, जिसे पासवान ने ऊपर से देख लिया था. इसे चलते उन्होंने अपने हेलीकॉप्टर की लैंडिंग नहीं करायी.

दरअसल अमेठी और रायबरेली संसदीय सीट पर पासी समुदाय के किंगमेकर की भूमिका में है. इन दोनों सीट पर हार-जीत तय करने में पासी समुदाय के मतदाताओं की अहम भूमिका रहती है. आजादी के बाद से इन दोनों सीट पर पासी समुदाय के लोक लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को वोट करते हैं और विधानसभा चुनाव में उनकी पसंद कोई दूसरी पार्टी बन जाती है. कांग्रेस के इसी परंपरागत वोट को बीजेपी अपने पाले में लाने के लिए पासवान को ट्रंप कार्ड के रूप में इस्तेमाल किया है.

रायबरेली-अमेठी की सियासत को करीब से देखने वाले वरिष्ठ पत्रकार फिरोज नकवी कहते हैं रामविलास पासवान पहली बार अमेठी और रायबरेली में प्रचार करने के लिए नहीं उतरे हैं. वो इससे पहले कांग्रेस के पक्ष में और विरोध में दोनों में रैली कर चुके हैं. लेकिन इस इलाके के पासी समुदाय का दिल जीतने में कामयाब नहीं हो सके थे. उन्होंने कहा कि रामविलास पासवान दुसाध जाति से आते हैं. यही वजह है कि अवध के पासी समुदाय के लोग उन्हें कभी स्वीकार नहीं किया है और नहीं उनसे कनेक्ट हो सका.

Advertisement

फिरोज नकवी कहते हैं कि पासवान जब यूपीए का हिस्सा थे तो सोनिया गांधी और राहुल गांधी के लिए वोट मांगने आए थे, लेकिन जो पासी समुदाय के लोग बसपा से जुड़े थे वो वहीं रहे कांग्रेस के साथ नहीं आए. ऐसे में बीजेपी के लिए उनकी कोशिश रंग लाएगी यह कहना मुश्किल है.

हालांकि अमेठी में राहुल गांधी के खिलाफ बीजेपी के लिए पासवान के द्वारा वोट मांगने से कांग्रेस के साथ उनके रिश्ते बिगड़ जाने का खतरा भी राजनीतिक पंडित मान रहे हैं. अमेठी में प्रचार के बाद रामविलास पासवान के लिए चुनाव बाद  किसी राजनीतिक परिस्थिति में कांग्रेस के खेमे में जाना मुश्किल हो सकता है. लेकिन फिरोज नकवी इस बात से सहमत नहीं है. वह कहते हैं कि राजीव गांधी के खिलाफ पहला चुनाव शरद यादव लड़े थे और आज उनके साथ हैं. इसी तरह से इंदिरा गांधी के खिलाफ चिकमंगलूर में इंदिरा गांधी के खिलाफ चुनावी ताल ठोकने वाले बाद में उन्हीं के कैबिनेट में मंत्री थे.

हालांकि स्मृति ईरानी ने 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद अमेठी में सक्रिय हैं और उन्होंने पासी समुदाय को साधने के लिए कई कदम उठाए हैं. इस कड़ी में उन्होंने जगदीशपुर से विधायक सुरेश पासी को काफी आगे बढ़ाया और योगी सरकार में मंत्री बनवाने में अहम भूमिका निभाई है. इसका नतीजा यह हुआ कि अमेठी में बीजेपी के कई विधायक स्मृति ईरानी से नाराज माने जा रहे हैं.

Advertisement

वरिष्ठ पत्रकार फिरोज नकवी कहते हैं कि राजनीति में गणित से ज्यादा केमिस्ट्री काम आती है. जिस प्रकार केमिस्ट्री में जब दो चीजें आपस में मिलती है तीसरी चीज भी बन जाती है. इसी तरह से जब एक जाति दूसरी जाति से मिलती है तो तीसरी जाति के लोग छिटकते भी हैं. ऐसे में अगर बीजेपी पासी समुदाय को जोड़ने में कामयाब होती है तो राजपूत या ब्राह्मण के छिटकने की संभावना बढ़ जाएगी. अब यह बात तो 23 मई को ही पता चल सकेगा.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement