Advertisement

बठिंडा लोकसभा: 2014 में हरसिमरत को 19 हजार वोट से मिली थी जीत, अब राह आसान नहीं?

पंजाब के अंदर बठिंडा लोकसभा क्षेत्र है. बठिंडा में इस बार कड़ी टक्कर होने की उम्मीद है. क्योंकि 2014 में अकाली दल की नेता हरसिमरत कौर बादल यहां से बहुत कम अंतर से कांग्रेसी उम्मीदवार को हराया था. 2019 में एक तरह से हरसिमरत कौर बादल का बठिंडा से चुनाव लड़ना तय है.

हरसिमरत कौर बादल (Photo: File) हरसिमरत कौर बादल (Photo: File)
अमित कुमार दुबे
  • नई दिल्ली,
  • 27 फरवरी 2019,
  • अपडेटेड 6:00 PM IST

पंजाब के अंदर बठिंडा लोकसभा क्षेत्र है. बठिंडा में इस बार कड़ी टक्कर होने की उम्मीद है. क्योंकि 2014 में अकाली दल की नेता हरसिमरत कौर बादल यहां से बहुत कम अंतर से कांग्रेसी उम्मीदवार को हराया था. 2019 में एक तरह से हरसिमरत कौर बादल का बठिंडा से चुनाव लड़ना तय है. लेकिन अभी तक अभी यह स्पष्ट नहीं है कि हरसिमरत के मुकाबले कांग्रेस किसे मैदान में उतारेगी. वैसे कांग्रेस के कई विधायक रेस में हैं. खबर है कि कांग्रेस वहां हरसिमरत के खिलाफ मजबूत उमीदवार की तलाश में जुटी है. वहीं आम आदमी पार्टी भी ताल ठोक रही है.

Advertisement

2014 का जनादेश

16वीं लोकसभा में बठिंडा से शिरोमणि अकाली दल की नेता हरसिमरत कौर बादल ने 19,395 वोटों से जीत हासिल की थी. उन्होंने कांग्रेस के मनप्रीत सिंह बादल को हराया था. इस चुनाव हरसिमरत कौर को 43.73 फीसदी वोट शेयर के साथ 5,14,727 वोट मिला था, जबकि कांग्रेस के मनप्रीत को 42.09 फीसदी वोट के साथ कुल 4,95,332 वोट पड़े थे. तीसरे नंबर पर आम आदमी पार्टी के जसराज सिंह लोंगिया रहे थे, जिन्हें 87,901 मत प्राप्त हुआ था.

बठिंडा में 2009 में हुए लोकसभा चुनाव में हरसिमरत कौर बादल ने 1,20,948 मतों से जीत हासिल की थी. 2009 में हरसिमत कौर ने कांग्रेसी उम्मीदवार रानिंदर सिंह को हराया था. जहां तक बठिंडा लोकसभा की बात करें तो इस सीट 1952 से अब तक 18 बार चुनाव हुए हैं, जिसमें 6 बार कांग्रेस को जीत मिली है, जबकि 1996 से 2014 के बीच में केवल एक बार 1999 में कम्यूनिस्ट पार्टी और इंडिया के उम्मीदवार चतिन सिंह समौन को जीत मिली थी. 1952 में यहां पहला लोकसभा चुनाव हुआ था, जिसमें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सरदार हुकुम सिंह विजयी रहे थे.

Advertisement

 

सामाजिक ताना-बाना

बठिंडा लोकसभा के अंदर 2014 के चुनाव में कुल 13,36,790 वोटर्स थे, जिसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 7,03,949 और महिला मतदाताओं की संख्या 6,32,841 है. लोकसभा चुनाव के दौरान बठिंडा के अंदर कुल 1302 पोलिंग स्टेशन बनाए गए थे. 2014 के लोकसभा चुनाव में बठिंडा शहरी से हरसिमरत कौर बादल को कम वोट मिले थे. लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों और मानसा के वोटरों ने बादल को हारने से बचा लिया था.

कांग्रेस को बठिंडा सीट पर 1951, 1957, 1980 और 1991 से जीत मिली. बाकी 1962, 1977, 1984 में यह सीट अकाली दल, 1967 में अकाली दल (संत गुट), 1971 में कम्युनिस्ट पार्टी, 1989 में शिरोमणि अकाली दल (मान), 1996, 1998, 2004, 2009 में शिरोमणि अकाली दल के पास गई.  

बठिंडा लोकसभा के दायरे में 9 विधानसभा क्षेत्र आते हैं. जिनमें लांबी, भुचो मंडी (सुरक्षित), बठिंडा शहरी, बठिंडा ग्रामीण (सुरक्षित), तलवंडी साबो, मौर, मानसा, सरदूलगढ़, बुधलाड़ा (सुरक्षित) सीट हैं.

सांसद का रिपोर्ट कार्ड

52 साल की हरसिमरत कौर बादल टेक्सटाइल डिजाइनिंग में ग्रेजुएट हैं. 16वीं लोकसभा के दौरान संसद में 10 डिबेट में इन्होंने हिस्सा लिया. अकाली सांसद ने 90.78 फीसदी सांसद निधि कोष का इस्तेमाल अपने क्षेत्र के विकास के लिए किया है.

बठिंडा का इतिहास

बठिंडा पंजाब का बहुत पुराना और मशहूर शहर है, यह मालवा इलाके में है. बठिंडा के जंगलों में कहा जाता है कि गुरु गोविंद सिंह जी ने चुमक्का नामन ताकतों को ललकारा था और उनसे जंग की थी. यहां का 'किला मुबारक' खास है. इसके अलावा यहां बाहिका किला, बठिंडा झील, लाखी का जंगल, रोज गार्डन काफी फेमस हैं. बठिंडा झील पर्यटकों की पसंदीदा जगहों में से एक है, जहां पर्यटक बोटिंग और वाटर स्कूटर का मजा लेने आते हैं. भारत का सबसे बड़ा अनाज बाज़ार बठिंडा में ही है.

Advertisement

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement