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कहीं मुश्किल वक्त में तो नहीं पूरी हुई गिरिराज सिंह की ये मुराद

आखिरकार बिहार बीजेपी के फायर ब्रांड नेता गिरिराज सिंह को अपनी पुरानी सीट नवादा छोड़कर बेगूसराय चुनाव लड़ने के लिए जाना पड़ा. हालांकि यह बात पुरानी हो गई है, इस सीट पर 29 अप्रैल को चौथे चरण में वोटिंग है. गिरिराज सिंह बेगूसराय सीट पर जीत दर्ज करने के लिए जी-जान से जुटे हैं

बीजेपी नेता गिरिराज सिंह बीजेपी नेता गिरिराज सिंह
पंकज सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 26 अप्रैल 2019,
  • अपडेटेड 3:45 PM IST

ना- ना करते हुए भी आखिरकार बिहार बीजेपी के फायर ब्रांड नेता गिरिराज सिंह को अपनी पुरानी सीट नवादा छोड़कर बेगूसराय चुनाव लड़ने के लिए जाना पड़ा. हालांकि यह बात पुरानी हो गई है, इस सीट पर 29 अप्रैल को चौथे चरण में वोटिंग है. गिरिराज सिंह बेगूसराय सीट पर जीत दर्ज करने के लिए जी-जान से जुटे हैं. इस सीट पर सबकी निगाहें हैं, क्योंकि गिरिराज सिंह का मुकाबला जेएनयू के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष और सीपीआई कैंडिडेट कन्हैया कुमार और आरजेडी के तनवीर हसन से है.

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इस बार बेगूसराय में केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह का मुकाबला रोमांचक और कठिन माना जा रहा है. भूमिहार बहुल इस सीट से जेएनयू के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष और सीपीआई कैंडिडेट कन्हैया कुमार मैदान में हैं तो वहीं राष्ट्रीय जनता दल के तनवीर हसन भी चुनावी मैदान में हैं. तनवीर हसन बहुत ही कम वोटों से पिछला चुनाव हार गए थे.

2014 का लोकसभा चुनाव गिरीराज सिंह नवादा सीट से लड़े थे और जीत भी हासिल की थी. बिहार में बीजेपी का एनडीए के साथी दलों के साथ तालमेल होने के बाद नवादा सीट लोक जन शक्ति पार्टी के खाते में चली गई और बीजेपी नेतृत्व ने गिरिराज सिंह को अपेक्षाकृत कठिन सीट बेगूसराय भेज दिया.

बेगूसराय के इतिहास में भूमिहार किस कदर छाये रहे हैं इसका एक छोटा सा उदाहरण है कि पिछले 10 में से 9 बार लोकसभा में वहां से एक भूमिहार ही सांसद चुना गया. कन्हैया की एंट्री इस बार लड़ाई रोचक हो गई है क्योंकि कन्हैया और गिरिराज सिंह दोनों एक ही जाति से ताल्लुक रखते हैं. अगर कन्हैया भूमिहारों का वोट काटने में कामयाब रहे तो इसका सीधा फायदा आरजेडी उम्मीदवार तनवीर हसन को मिलेगा.

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गिरिराज सिंह को भी पता है कि इस बार वह त्रिकोणीय लड़ाई में फंसे हैं लेकिन यदि वह सीट जीतने में कामयाब रहते हैं तो उनका पार्टी मे कद और भी बढ़ जाएगा. शुरू में तो भले ही गिरिराज सिंह इस सीट पर आने से हिचक रहे थे लेकिन मैदान में उतरने के बाद वह लगातार चुनाव प्रचार कर रहे हैं . गिरिराज सिंह का कहना है कि उनकी नाराजगी न तो बेगूसराय से है और न ही यहां की जनता से. उन्होंने कहा, "मैं 1996 से बेगूसराय से चुनाव लड़ना चाहता हूं, 2014 के चुनाव में मुझे कहा गया था कि भोला सिंह अपना अंतिम चुनाव बेगूसराय से लड़ना चाहते हैं. अब मैं इस सीट से चुनावी मैदान में हूं.

बिहार के लखीसराय जिले के बड़हिया में जन्मे गिरिराज सिंह पहली बार 2002 में बिहार विधान परिषद के सदस्य चुने गए. साल 2008 से 2010 के बीच वह नीतीश सरकार में कई विभागों में मंत्री रहे. साल 2014 में पहली बार लोकसभा सांसद के रूप में नवादा सीट से निर्वाचित हुए. साल 2017 में गिरिराज सिंह ने नरेंद्र मोदी सरकार में राज्य मंत्री के रूप में शपथ ली.

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