Advertisement

लोकसभा चुनावः क्या कांग्रेस को अपने गढ़ इनर मणिपुर सीट पर मिलेगी चुनौती?

इनर मणिपुर लोकसभा सीट जीतने के लिए जंग शुरू हो गई है. इससे पहले साल 2014 के लोकसभा चुनाव में यहां से डॉ. थोकचोम मेन्या ने जीत दर्ज की. 10 मार्च को चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है. मणिपुर में दो चरणों में चुनाव कराए जाएंगे. 11 अप्रैल को पहले और 18 अप्रैल को दूसरे चरण के मतदान होंगे. इसके बाद 23 मई 2019 को चुनाव के नतीजे आएंगे.

फाइल फोटो फाइल फोटो
राम कृष्ण
  • नई दिल्ली,
  • 13 मार्च 2019,
  • अपडेटेड 4:47 PM IST

लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. 10 मार्च को चुनाव आयोग ने चुनाव की तारीखों का भी ऐलान कर दिया है. मणिपुर में दो चरणों में चुनाव कराए जाएंगे. 11 अप्रैल को पहले और 18 अप्रैल को दूसरे चरण के मतदान होंगे. इसके बाद 23 मई 2019 को चुनाव के नतीजे आएंगे.

पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में लोकसभा की 2 सीटें हैं, जिनमें आंतरिक मणिपुर (Inner Manipur) और बाहरी मणिपुर (Outer Manipur) सीट शामिल हैं. मणिपुर की सीमा नागालैंड, मिजोरम, असम और म्यांमार से मिलती हैं. इसे बेहद संवेदनशील सीमावर्ती राज्य माना जाता है. मणिपुर का शाब्दिक अर्थ ‘आभूषणों की भूमि’ है. साल 2014 में इस सीट से डॉ. थोकचोम मेन्या ने जीत दर्ज की.

Advertisement

राजनीतिक पृष्ठभूमि

साल 1951 में इनर मणिपुर लोकसभा सीट अस्तित्व में आई. इसके बाद से यहां पर लगातार चुनाव हो रहे हैं. अब तक इस सीट पर 15 बार लोकसभा चुनाव हो चुके हैं. इसे कांग्रेस का गढ़ माना जाता है. अब तक हुए लोकसभा चुनाव में यहां से कांग्रेस ने 10 बार जीत दर्ज की है. इसके अलावा सीपीआई ने दो बार जीत दर्ज की है.

इस सीट पर मणिपुर स्टेट कांग्रेस पार्टी भी दो बार चुनाव जीत चुकी है. इसके अतिरिक्त एमआरपी पार्टी भी एक बार जीत दर्ज कर चुकी है. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में यहां से डॉ. थोकचोम मेन्या ने जीत दर्ज की.

सामाजिक तानाबाना

पहाड़ियों और घाटियों में बसे मणिपुर में नगा और कूकी जाति की लगभग 60 जनजातियां रहती हैं. यह लोक संगीत और कला में बहुत प्रवीण होते हैं. इस राज्य के लोग मणिपुरी भाषा बोलते हैं. यहां पहाड़ी ढालों पर चाय और घाटियों में धान की खेती की जाती है. आजादी से पहले मणिपुर एक रियासत थी, लेकिन आजादी के बाद यह भारत का एक केंद्रशासित राज्य बन गया.

Advertisement

मणिपुर को 21 जनवरी 1972 को राज्य का दर्जा दे दिया गया, जिसकी राजधानी इंफाल है. मणिपुर में 60 सदस्यीय विधानसभा है. साल 2017 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने 31 सीटों, नागा पीपुल्स फ्रंट ने 4, नेशनल पीपल पार्टी ने 4, लोक जनशक्ति पार्टी ने एक सीट और कांग्रेस ने 19 सीटों पर जीत दर्ज की थी.

इसके अलावा एक सीट पर निर्दलीय को जीत मिली थी. चुनाव के बाद बीजेपी ने सभी दलों के साथ सूबे में सरकार बना ली. अब विपक्ष में सिर्फ कांग्रेस पार्टी है. इनर मणिपुर में विधानसभा की 32 सीटें आती है. इसके अलावा मणिपुर राज्य में राज्यसभा की भी एक सीट है.

साल 2009 के डाटा के मुताबिक यहां कुल 8 लाख 26 हजार 755 वोटर हैं, जिनमें से पुरुष वोटरों की संख्या 3 लाख 91 हजार 642 और महिला वोटरों की संख्या 4 लाख 35 हजार 113 है.

2014 का जनादेश

पिछले लोकसभा चुनाव में मणिपुर सीट से कांग्रेस पार्टी के डॉ. थोकचोम मेन्या ने जीत दर्ज की थी. वो तीसरी बार यहां से सांसद चुने गए हैं. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में उनको दो लाख 92 हजार 102 वोट यानी कुल मतदान का 46 फ़ीसदी वोट मिले थे. डॉ. थोकचोम मेन्या ने अपने प्रतिद्वंदी सीपीआई के मॉयरांग थेम को 94 हजार 674 मतों से करारी हार दी थी. इस चुनाव में मॉयरांग थेम को एक लाख 97 हजार 428 वोट मिले थे.

Advertisement

सांसद का रिपोर्ट कार्ड

इनर मणिपुर लोकसभा सीट से सांसद डॉ. थोकचोम मेन्या का जन्म इंफाल वेस्ट में 12 अक्टूबर 1945 को हुआ था. उनके परिवार में उनकी पत्नी, एक बेटा और एक बेटी हैं. उन्होंने गुवाहाटी यूनिवर्सिटी और उस्मानिया यूनिवर्सिटी से एमएससी, एलएलबी, एमफिल और पीएचडी की डिग्री हासिल की है. वो सांसद के अलावा पेशे से टीचर, वकील, साइंटिस्ट और सामाजिक कार्य करता हैं.

इनर मणिपुर में उनकी लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने इस सीट से अब तक तीन बार जीत दर्ज की है. उन्होंने सांसद निधि से अपने संसदीय क्षेत्र के विकास कार्यों में 22 करोड़ 82 लाख रुपये खर्च किए. वो संसद की कार्यवाहियों में 307 दिन उपस्थित रहे और 70 बहसों में हिस्सा लिया. इस बीच उन्होंने संसद में 172 सवाल पूछे और 4 प्राइवेट मेंबर दिल भी पेश किए.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement