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जालंधर लोकसभा: कांग्रेस के लिए 'सुरक्षित' नहीं यह सीट, 2019 में होगा रोचक मुकाबला

2009 में कांग्रेस के उम्मीदवार मोहिंदर सिंह केपी ने अकाली दल के हंस राज हंस को हराया था. इस सीट पर लगातार 20 साल से कांग्रेस का कब्जा है. 2009 चुनाव से पहले यह सीट सुरक्षित नहीं थी. जालंधर लोकसभा सीट से पू्र्व प्रधानमंत्री इंदर कुमार गुजराल ने दो बार जीत हासिल की थी. पहली बार उन्होंने 1989 और फिर 1998 में यहां से जीत हासिल की थी.

फिलहाल जालंधर सीट पर कांग्रेस का है कब्जा (Photo: PTI) फिलहाल जालंधर सीट पर कांग्रेस का है कब्जा (Photo: PTI)
अमित कुमार दुबे
  • नई दिल्ली,
  • 20 फरवरी 2019,
  • अपडेटेड 3:21 PM IST

लोकसभा चुनाव का सबसे रोचक राजनीतिक मंच जालंधर में तैयार होने वाला है. 2014 में होशियारपुर से लोकसभा चुनाव हार चुके कांग्रेसी उम्मीदवार मोहिंदर सिंह केपी ने अब जालंधर सीट पर अपना दावा ठोंक दिया है. वैसे जालंधर लोकसभा सीट पर कांग्रेस का इतिहास कहता है कि पार्टी ने कभी अपने उम्मीदवार को रिपीट नहीं किया है. इस समय चौधरी संतोख सिंह जालंधर से कांग्रेस के सांसद हैं.

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पूर्व सांसद मोहिंदर सिंह केपी का कहना है कि उन्होंने अपनी इच्छा आलाकमान के सामने जाहिर कर दिया है. जबकि कई मौजूदा और पूर्व विधायक भी जालंधर से टिकट मांग रहे हैं. ड्रग्स मामले में अकाली-बीजेपी सरकार के दौरान मंत्री पद से हाथ धोने वाले सरवन सिंह फिल्लौर ने भी जालंधर से दावा पेश कर दिया है. वह अकाली दल छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए हैं. 6 बार विधायक रहे फिल्लौर को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल चुकी है.

वहीं पवन कुमार टीनू ने पिछला लोकसभा चुनाव भी अकाली दल की टिकट पर लड़ा था. लेकिन कांग्रेस के चौधरी संतोख सिंह से पिछड़ गए थे. अब पार्टी एक बार फिर पवन कुमार टीनू पर दांव लगा सकती है.

2014 का जनादेश

16वीं लोकसभा में जालंधर सुरक्षित सीट से कांग्रेस के संतोख सिंह चौधरी ने अकाली दल के पवन कुमार टीनू को 70,981 वोटों से हराया था. संतोख सिंह को 36.6 फीसदी वोट शेयर के साथ 3,80,479 मत और अकाली दल के टीनू को 29.7 वोट फीसद के साथ कुल 3,09,498 मत प्राप्त हुआ था. जबकि तीसरे नंबर पर 2,54,121 वोट लेकर आम आदमी पार्टी की उम्मीदवार ज्योति मान रही थीं.

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2009 में कांग्रेस के उम्मीदवार मोहिंदर सिंह केपी ने अकाली दल के हंस राज हंस को हराया था. इस सीट पर लगातार 20 साल से कांग्रेस का कब्जा है. 2009 चुनाव से पहले यह सीट सुरक्षित नहीं थी. जालंधर लोकसभा सीट से पू्र्व प्रधानमंत्री इंदर कुमार गुजराल ने दो बार जीत हासिल की थी. पहली बार उन्होंने 1989 और फिर 1998 में यहां से जीत हासिल की थी.

जालंधर लोकसभा सीट पर 1952 से लेकर 17 बार लोकसभा चुनाव और एक बार उपचुनाव हुआ है. जिसमें 13 बार कांग्रेस ने बाजी मारी है. जबकि अकाली दल को दो बार 1977 और 1996 को जीत मिली थी.

सांसद का रिपोर्ट कार्ड

72 साल के कांग्रेस सांसद संतोख सिंह चौधरी ने 16वीं लोकसभा में संसद की कार्यवाही के दौरान 27 परिचर्चा में हिस्सा लिया, जबकि ये सदन के पटल पर दो बार प्राइवेट मेंबर बिल लेकर आए. अपने कार्यकाल के दौरान कांग्रेसी सांसद ने कुल 58 सवाल पूछे. जहां तक अपने क्षेत्र में विकास की बात है तो कांग्रेसी सांसद ने अपने सांसद निधि कोष से करीब 83 फीसदी फंड का इस्तेमाल विकास के लिए किया है.

सामाजिक ताना-बाना

जालंधर लोकसभा के अंदर 9 विधानसभा सीटें आती हैं. जिसमें फिल्लौर (सुरक्षित), नाकोदर, शाहकोट, करतारपुर (सुरक्षित), जालंधर वेस्ट (सुरक्षित), जालंधर सेंट्रल, जालंधर नॉर्थ, जालंधर कैंट और आदमपुर (सुरक्षित) है. 2014 के चुनाव के मुताबिक जालंधर लोकसभा में कुल 13,39,842 वोटर्स हैं, जिसमें 6,87,150 पुरुष और 6,52,692 महिला वोटर्स हैं. पिछली चुनाव में यहां कुल 1764 मतदान केंद्र बनाए गए थे.

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जालंधर का नाम राक्षस के नाम पर रखा गया है, जिसका उल्लेख पुराण और महाभारत में भी है. जबकि श्रीमद्मदेवी भागवत पुराण के मुताबिक शिवजी का एक चौथा पुत्र था जिसका नाम जलंधर था. लेकिन जलंधर शिव का सबसे बड़ा दुश्मन था. जालंधर में आज भी असुरराज जलंधर की पत्नी देवी वृंदा का मंदिर मोहल्ला कोट किशनचंद में स्थित है.

वहीं कुछ मानते हैं कि जालंधर का अर्थ पानी के अंदर होता है और यहां पर सतलुज और 20 नदियों का संगम होता है इसलिए इस जगह का नाम जालंधर रखा गया. महमूद गजनवी ने जालंधर को जमकर लूटा था और मुगल काल में जालंधर व्यास और सतलुज के मध्य बसा प्रमुख प्रशासनिक नगर था. जालंधर एक बड़ा औद्योगिक शहर है, यहां चमड़े और खेल की वस्तुओं का अधिक उत्पादन होता है.

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