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कुरुक्षेत्र: 37 साल में पहली बार खिला कमल, 2014 में नवीन जिंदल की हुई थी हार

भारतीय जनता पार्टी के राजकुमार सैनी ने 2014 में कुरुक्षेत्र से लोकसभा चुनाव लड़ा और उन्होंने कांग्रेस पार्टी से दो बार लगातार सांसद रह चुके उद्योगपति नवीन जिंदल को भारी मतों से हराया.

कुरुक्षेत्र लोकसभा से 2014 में राजकुमार सैनी ने जीत हासिल की (फोटो: फाइल) कुरुक्षेत्र लोकसभा से 2014 में राजकुमार सैनी ने जीत हासिल की (फोटो: फाइल)
अमित कुमार दुबे
  • कुरुक्षेत्र,
  • 11 मार्च 2019,
  • अपडेटेड 12:16 AM IST

कुरुक्षेत्र में महाभारत की लड़ाई हुई थी, तब दो पक्ष आमने-सामने थे. लेकिन अब 2019 के लोकसभा चुनाव में यहां मुकाबला कई पक्षों में होने वाला है. फिलहाल कुरुक्षेत्र का जो सियासी माहौल है, उसे देखकर तो यही कहा जा सकता है कि भिड़ंत दिलचस्प होने वाला है. कुरुक्षेत्र लोकसभा के अंदर दिलचस्प पहलू यह है कि यहां सर्वाधिक जाट मतदाता हैं, लेकिन लंबे समय से इस समुदाय का कोई सांसद नहीं बना है. जबकि 1977 में कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट का गठन हुआ था और 2014 में पहली बार यहां से बीजेपी को जीत मिली.

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2014 का जनादेश

भारतीय जनता पार्टी के राजकुमार सैनी ने 2014 में कुरुक्षेत्र से लोकसभा चुनाव लड़ा और उन्होंने कांग्रेस पार्टी से दो बार लगातार सांसद रह चुके उद्योगपति नवीन जिंदल को भारी मतों से हराया. इस चुनाव में राज कुमार सैनी को करीब 37 फीसदी वोट के साथ 4,18,112 मत मिले थे, जबकि इंडियन लोकदल (INLD) के बलबीर सैनी को 25 फीसदी वोट के साथ कुल 2,88,376 वोट मिले थे, जबकि 2004 और 2009 में कुरुक्षेत्र से सांसद रहे कांग्रेस के नवीन जिंदल को 2,87,722 वोट मिले थे. जिंदल तीसरे नंबर पर रहे थे.

सामाजिक ताना-बाना

लोकसभा चुनाव 2014 के मुताबिक कुरुक्षेत्र में कुल 11,66,684 वोटर्स थे, जिसमें 6,37,997 पुरुष और 5,28,687 महिला मतदाताओं की संख्या थी. चुनाव आयोग के मुताबिक 2014 में कुरुक्षेत्र लोकसभा के अंदर कुल 1263 पोलिंग बूथ बनाए गए थे.

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कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट का गठन 1977 में किया गया था, इससे पहले यह क्षेत्र कैथल लोकसभा में अंदर में आता था. इस सीट पर कांग्रेस को 1984, 1991, 2004 और 2009 में जीत मिली थी. लेकिन बीजेपी का कमल यहां पहली बार मोदी लहर में पिछली बार खिला. जीत भी ऐसी मिली कि यहां से लगातार दो बार सांसद रहे नवीन जिंदल पिछड़कर तीसरे नंबर पर पहुंच गए. लोकसभा क्षेत्र कुरुक्षेत्र के अंदर कुल 9 विधानसभा क्षेत्र हैं. जिसमें लाडवा, शाहाबाद, थानेसर, पिहोवा, रादौर, गुहला, कलायत, कैथल और पुंडरी विधानसभा क्षेत्र आते हैं.

सांसद का रिपोर्ट कार्ड

राज कुमार सैनी ने महज 24 साल की उम्र में 1977 को राजनीति में कदम रख दिया था. राजकुमार सैनी का कहना है सभी जातियों को उनके आबादी के अनुपात से आरक्षण दे देना चाहिए. सैनी पहली बार चुनकर लोकसभा पहुंचे हैं, 65 साल के सैनी ने संसद में 21 डिबेट के दौराना हिस्सा लिया. जबकि अपने क्षेत्रों से जुड़े कुल 45 सवाल पूछे. बीजेपी सांसद ने पिछले करीब 5 साल में अपने सांसद फंड का 85 फीसदी रकम का इस्तेमाल अपने क्षेत्र के विकास में किया है.

कुरुक्षेत्र का इतिहास

धार्मिक मान्यताएं है कि कुरुक्षेत्र में ही महाभारत की लड़ाई हुई थी, और भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश यहीं के ज्योतिसर नामक स्थान पर दिया था. यहां स्थित विशाल तालाब का निर्माण महाकाव्य महाभारत में वर्णित कौरवों और पांडवों के पूर्वज राजा कुरु ने करवाया था. कुरुक्षेत्र नाम 'कुरु के क्षेत्र' का प्रतीक है. कुरुक्षेत्र का ऋग्वेद और यजुर्वेद में अनेक स्थानों पर वर्णन किया गया है, यहां की पौराणिक नदी सरस्वती का भी खास है.

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कुरुक्षेत्र का जिक्र भगवद्गीता के पहले श्लोक में मिलता है, थानेसर नगर राजा हर्ष की राजधानी कुरुक्षेत्र (606-647) था, सन 1011 ई. में इसे महमूद गजनवी ने तबाह कर दिया था. कुरुक्षेत्र जिले करीब 88 फीसदी हिस्से पर खेती की जाती है, और यहां ज्यादातर दो फसलें उगाई जाती हैं. यह क्षेत्र बासमती चावल के उत्पादन के लिए भी प्रसिद्ध है.

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