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होशंगाबाद लोकसभा सीट: क्या बीजेपी को मिलेगी एक और जीत?

होशंगाबाद लोकसभा सीट से मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा सांसद रह चुके हैं. यह सीट बीजेपी का एक मजबूत गढ़ बनती जा रही है. 2009 का चुनाव हारने से पहले उसे यहां पर लगातार 6 चुनावों में जीत मिली थी.

बीजेपी (फोटो- PTI) बीजेपी (फोटो- PTI)
देवांग दुबे गौतम
  • नई दिल्ली,
  • 09 फरवरी 2019,
  • अपडेटेड 12:13 PM IST

सोयाबीन के प्रमुख उत्पादकों में से एक होशंगाबाद जिला भारतीय राजनीति में एक खास महत्व रखता है. यहां की लोकसभा सीट से मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा सांसद रह चुके हैं. यह सीट बीजेपी का एक मजबूत गढ़ बनती जा रही है. 2009 का चुनाव हारने से पहले उसे यहां पर लगातार 6 चुनावों में जीत मिली थी. 2009 का चुनाव कांग्रेस के टिकट पर लड़ने वाले उदय प्रताप यहां के सांसद हैं. उन्होंने 2014 चुनाव से पहले बीजेपी का दामन थाम लिया था.

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सामाजिक ताना-बाना

होशंगाबाद की स्थापना मांडू (मालवा) के द्वितीय राजा सुल्तान हुशंगशाह गौरी द्वारा 15वीं शताब्दी के आरंभ में की गई थी. यह शहर नर्मदा नदी के किनारे स्थित है. होशंगाबाद में प्रतिभूति कागज कारखाना है जिसमें भारतीय रुपया छापने के लिए कागज बनाया जाता है. होशंग शाह के नाम पर होशंगाबाद रखा गया, होशंगाबाद का प्राचीन नाम नर्मदापुरम हैं. यह शहर सोयाबीन के प्रमुख उत्पादकों में से एक है. इस भूमि में कृषि लोगों का प्रमुख व्यवसाय है.

2011 की जनगणना के मुताबिक होशंगाबाद की जनसंख्या 2390546 है. यहां की 74.13 फीसदी आबादी ग्रामीण और 25.87 फीसदी आबादी शहरी क्षेत्र में रहती है. यहां की 16.65 फीसदी जनसंख्या अनुसूचित जाति के लोगों की है और 12.53 फीसदी जनसंख्या अनुसूचित जनजाति की है. चुनाव आयोग के आंकड़े के मुताबिक 2014 के चुनाव में यहां पर 15,68,127 मतदाता थे. इनमें से 7,32,635 महिला मतदाता  और पुरुष 8,35,492 मतदाता थे. 2014 के चुनाव में इस सीट पर 65.76 फीसदी मतदान हुआ था.

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राजनीतिक पृष्ठभूमि

होशंगाबाद लोकसभा सीट पर पहला चुनाव साल 1951 में हुआ. इस चुनाव में कांग्रेस के सैयद अहमद ने निर्दलीय उम्मीदवार रहे एचवी कामथ को हराया था. हालांकि 1952 में यहां पर हुए उपचुनाव में सैयद अहमद को एचवी कामथ के हाथों हार का सामना करना पड़ा. 1957 में कांग्रेस ने यहां पर वापसी की और 1958 के उपचुनाव में भी जीत हासिल की. 1962 में कांग्रेस को एक बार यहां हार का सामना करना पड़ा. 1962 का चुनाव हारने के बाद कांग्रेस 1967 में एक बार फिर वापसी की और दौलत सिंह यहां के सांसद बने.

बीजेपी को इस सीट पर पहली बार जीत 1989 के चुनाव में मिली. सरताज सिंह ने कांग्रेस की ओर से दो बार सांसद रहे रमेश्वर नाखरा को हराया. सरताज सिंह इसके बाद 1991, 1996 और 1998 का भी चुनाव जीते.

1999 में बीजेपी ने राज्य के पूर्व सीएम सुंदरलाल पटवा को टिकट दिया और उन्होंने कांग्रेस के राजकुमार पटेल को करीब 50 हजार वोटों से मात दे दी. 2004 के चुनाव में सरताज को एक बार फिर बीजेपी ने मैदान में उतारा और सरताज सिंह ने अपनी पार्टी को निराश नहीं किया.

उन्होंने कांग्रेस के ओमप्रकाश हजारीलाल को शिकस्त दी. वहीं इसके अगले चुनाव 2009 में कांग्रेस ने उदय प्रताप सिंह को टिकट दिया और उन्होंने बीजेपी के रामलाल सिंह को हरा दिया. 2009 का चुनाव कांग्रेस के टिकट पर लड़ने वाले उदय प्रताप सिंह ने 2014 में बीजेपी के टिकट पर लड़ते हुए जीत हासिल की.

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होशंगाबाद लोकसभा सीट के अंतर्गत विधानसभा की 8 सीटें आती हैं. नरसिंहपुर, सिवनी-मालवा,पिपरिया, तेंदूखेड़ा, होशंगाबाद, उदयपुरा, गाडरवारा, सोहागपुर यहां की विधानसभा सीटें हैं. इनमें से 4 पर बीजेपी और 4 पर कांग्रेस का कब्जा है.

2014 का जनादेश

2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के उदय प्रताप सिंह ने कांग्रेस के देवेंद्र पटेल को हराया. इस चुनाव में उदय प्रताप सिंह को 6,69,128 वोट(64.89 फीसदी) मिले थे. देवेंद्र पटेल को 2,79,168 वोट(27.07 फीसदी) वोट मिले थे. उदय प्रताप को इस चुनाव में 3,89,960 वोटों से जीत मिली.

वहीं 2009 के चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर लड़ते हुए उदय प्रताप ने बीजेपी के रामपाल सिंह को हराया. उदय प्रताप को 3,39,496 वोट (47.73 फीसदी) मिले थे. रामपाल सिंह को 3,20,251(45.03 फीसदी) वोट मिले थे.

चुनाव आयोग के 2014 के आंकड़े के मुताबिक यहां पर 15,68,127 मतदाता हैं. इनमें से पुरूष 8,35,492 मतदाता हैं और 7,32,635 महिला मतदाता हैं. 2014 के चुनाव में इस सीट पर 65.76 फीसदी मतदान हुआ था.

सांसद का रिपोर्ट कार्ड

55 साल के उदय प्रताप दूसरी बार होशंगाबाद सीट से जीतकर संसद पहुंचे हैं. इससे पहले 2009 के चुनाव में वह कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े थे और जीत हासिल किए थे. समाससेवी और किसान उदय प्रताप 2014 के चुनावों से पहले अपने समर्थकों के साथ बीजेपी में शामिल हो गए थे.

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उदय प्रताप की संसद में उपस्थिति 90 फीसदी रही. उन्होंने 45 बहस में हिस्सा लिया.इस दैरान उन्होंने 244 सवाल भी संसद में किए.  उदय प्रताप को उनके निर्वाचन क्षेत्र में विकास कार्यों के लिए 22.50 करोड़ रुपये आवंटित हुए थे. जो कि ब्याज की रकम मिलाकर 22.93 करोड़ हो गई थी. इसमें से उन्होंने 18.18 यानी मूल आवंटित फंड का 79.03 फीसदी खर्च किया. उनका करीब 4.75 करोड़ रुपये का फंड बिना खर्च किए रह गया.

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