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मंडला लोकसभा सीट: फगन सिंह कुलस्ते के सहारे 'कमल', क्या इस बार भी कराएंगे बेड़ा पार

मध्य प्रदेश की मंडला लोकसभा सीट अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवार के लिए आरक्षित है. यह सीट कभी कांग्रेस का गढ़ हुआ करती थी. 2009 के चुनाव को छोड़ दें तो पिछले कुछ चुनावों से यह सीट बीजेपी के ही कब्जे में रही है.

फगन सिंह कुलस्ते ( फोटो- PTI) फगन सिंह कुलस्ते ( फोटो- PTI)
देवांग दुबे गौतम
  • नई दिल्ली,
  • 08 फरवरी 2019,
  • अपडेटेड 12:07 PM IST

मध्य प्रदेश की मंडला लोकसभा सीट अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवार के लिए आरक्षित है. यह सीट कभी कांग्रेस का गढ़ हुआ करती थी. 2009 के चुनाव को छोड़ दें तो पिछले कुछ चुनावों से यह सीट बीजेपी के ही कब्जे में रही है. बीजेपी को जितनी बार भी इस सीट पर जीत मिली वो पूर्व केंद्रीय मंत्री फगन सिंह कुलस्ते के सहारे ही मिली है.

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मंडला सीट उनके दबदबे वाली सीट है. हाल के चुनाव में उन्हें सिर्फ एक बार साल 2009 में हार मिली है. कुलस्ते यहां से पांच बार सांसद रह चुके हैं. 2014 में उन्होंने कांग्रेस के ओमकार सिंह को हराया था.

राजनीतिक पृष्ठभूमि

मंडला लोकसभा सीट पर साल 1957 में पहली बार चुनाव हुआ. कांग्रेस के मंगरुबाबू उईके ने यहां पर जीत हासिल की थी. इसके बाद से वह यहां पर 1962,1967 और 1971 के चुनाव में भी जीत हासिल कर संसद तक पहुंचे.

1977 के चुनाव में उनको हार का सामना करना पड़ा और कांग्रेस के हाथ से यह सीट चली गई. भारतीय लोकदल पहली बार इस सीट पर जीतने में कामयाब रही. 1980 के चुनाव में कांग्रेस ने एक बार फिर इस सीट पर वापसी की और 1991 तक लगातार यहां पर जीत हासिल की.

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इसके बाद 1996 से 2004 तक यहां पर सिर्फ और सिर्फ फगन सिंह कुलस्ते का जादू चला और लगातार यहां से सांसद चुने गए. हालांकि 2009 के चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा. लेकिन एक चुनाव हारने के बाद 2014 में मोदी लहर में उन्होंने एक बार फिर वापसी की और यहां से एक बार फिर सांसद बने. मंडला लोकसभा सीट पर बीजेपी को 5 चुनावों में जीत मिली है. और पांचों ही बार फगन सिंह कुलस्ते के सहारे बीजेपी को यहां पर जीत नसीब हुई है.

वहीं कांग्रेस को इस सीट पर सबसे ज्यादा 9 चुनावों में जीत मिली है. मंडला लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत विधानसभा की 8 सीटें आती हैं. शाहपुरा, निवास, लखनादौन, डिंडोरी, मंडला, गोटेगांव, बिछिया, केवलारी यहां की विधानसभा सीटें हैं. इन 8 सीटों में से 6 पर कांग्रेस और 2 पर बीजेपी का कब्जा है.

2014 का जनादेश

2014 के लोकसभा चुनाव में फगन सिंह कुलस्ते ने कांग्रेस के ओमकार सिंह को हराया था. इस चुनाव में कुलस्ते को 5,85,720 वोट(48.07 फीसदी) मिले थे तो वहीं ओमकार सिंह को 4,75,521 वोट (39 फीसदी) वोट मिले थे.

2009 के चुनाव की बात करें तो इस बार फगन सिंह कुलस्ते को हार का सामना करना पड़ा था. कांग्रेस के बासोरी सिंह ने कुलस्ते को शिकस्त दी थी. बासोरी सिंह को 3,91,113 वोट(45.5 फीसदी) मिले थे. वहीं कुलस्ते को 3,26,080 वोट(37.94 फीसदी) वोट मिले थे.

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सामाजिक ताना-बाना

मध्य प्रदेश का मंडला जिला आदिवासी बहुल इलाका है. इस इलाके के लोग कृषि पर सबसे ज्यादा निर्भर रहते हैं. 2011 की जनगणना के मुताबिक मंडला की जनसंख्या 2758336 है. यहां की 91.3 फीसदी आबाजी ग्रामीण क्षेत्र और 8.7 फीसदी आबादी शहरी क्षेत्र में रहती है. मंडला में अनुसूचित जनजाति के लोगों की आबादी अच्छी खासी है.

यहां 52.3 फीसदी आबादी अनुसूचित जनजाति के लोगों की है और 7.67 फीसदी आबादी अनुसूचित जाति के लोगों की है. चुनाव आयोग के आंकड़े के मुताबिक 2014 में इस सीट पर 18,24,424 मतदाता थे. इसमें से  8,94,893 महिला मतदाता और 9,25,971 पुरुष मतदाता थे.2014 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर 66.79 फीसदी मतदान हुआ था.

सांसद का रिपोर्ट कार्ड

59 साल के फगन सिंह कुलस्ते की गिनती प्रदेश बीजेपी के बड़े नेताओं में होती है. 2014 का चुनाव जीतकर वह पांचवी बार सांसद बने. एमए, बीएड और एलएलबी की पढ़ाई कर चुके कुलस्ते केंद्र की मोदी सरकार में स्वास्थ्य राज्यमंत्री रह चुके हैं. इसके अलावा साल 1999 में वाजपेयी सरकार में भी वह मंत्री रह चुके हैं. कुलस्ते की संसद में उपस्थिति 85 फीसदी रही. इस दौरान उन्होंने 110 सवाल भी संसद में किए.

उन्होंने 17 बहस में हिस्सा लिया. कुलस्ते संसद में 3 प्राइवेट मेंबर बिल भी लाए. फगन सिंह कुलस्ते को उनके निर्वाचन क्षेत्र में विकास कार्यों के लिए 17.5 करोड़ रुपये आवंटित हुए थे. जो कि ब्याज की रकम मिलाकर 17.84 करोड़ हो गई थी. इसमें से उन्होंने 16.11 यानी मूल आवंटित फंड का 92.04 फीसदी खर्च किया. उनका करीब 1.73 करोड़ रुपये का फंड बिना खर्च किए रह गया.

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