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पश्चिम बंगाल की दार्जिलिंग लोकसभा सीट पर 16 प्रत्याशियों का भाग्य दांव पर है. दूसरे चरण की वोटिंग गुरुवार को हुई जिसमें भारी संख्या में लोगों ने मताधिकार का प्रयोग किया. लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी ने मौजूदा सांसद सुरेंद्रजीत सिंह अहलूवालिया का टिकट काटकर राजू विष्ट को अपना उम्मीदवार बनाया है जिन्हें टीएमसी के अमर सिंह रॉय से चुनौती मिल रही है. कांग्रेस ने शंकर मालाकार पर दांव खेला है तो सीपीएम, समन पाठक के भरोसे इस सीट को जीतने का प्रयास कर रही है. इसके अलावा बहुजन समाज पार्टी, इंडियन डेमोक्रेटिक रिपब्लिकन फ्रंट, गोरखा राष्ट्रीय कांग्रेस, राष्ट्रीय जनसचेतन पार्टी, ऑल इंडिया जन आंदोलन पार्टी, आमार बंगाली के साथ चार निर्दलीय उम्मीदवार भी मैदान में हैं.
लोकसभा वोटिंग अपडेट्स
- लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण के तहत गुरुवार को 11 राज्यों और एक संघ शासित प्रदेश में मतदान कराया गया. 12 राज्यों में 95 संसदीय सीटों पर 69.04 फीसदी मतदान हुआ. बंगाल में 80.72% मतदान हुआ.
- लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण के तहत गुरुवार को 11 राज्यों और एक संघ शासित प्रदेश में मतदान कराया गया. 12 राज्यों में 95 संसदीय सीटों पर 66.21 फीसदी मतदान हुआ. अंतिम अपडेशन होने तक बंगाल में 76.42% मतदान हो गया था.
- दार्जिलिंग संसदीय सीट में भी भारी वोटिंग के आसार, 3 बजे तक 63.14% मतदान. राज्य में अब तक 65.43% वोटिंग.
- दार्जिलिंग संसदीय सीट पर 11 बजे तक 30.12 % मतदान. पूरे बंगाल में इस समय तक 33.45 फीसदी मतदान.
- लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण के तहत आज गुरुवार को पश्चिम बंगाल में 3 लोकसभा सीटों पर मतदान हो रहा है. सुबह 9 बजे तक दार्जिलिंग संसदीय सीट पर 16.14 फीसदी मतदान हो चुका था. ओवरऑल बंगाल में 9 बजे तक 16.78 फीसदी मतदान हो चुका है.
प्रचार के दौरान ऐसा रहा माहौल
19 मार्च को इस सीट पर नॉमिनेशन भरने के बाद से इलाके में राजनीतिक दलों का प्रचार शुरू हो गया था. अपने प्रत्याशियों को जिताने के लिए राजनीतिक दलों के दिग्गजों ने रैली और सभाओं को आयोजन किया. मतदान से 48 घंटे पहले चुनाव प्रचार थमा तो प्रत्याशियों ने घर-घर जाकर संपर्क किया. प्रत्याशियों की मेहनत क्या रंग लाती है, ये तो 23 मई को पता लगेगा.
उम्मीदवारों के प्रोफाइल के बारे में पढ़ें- दार्जिलिंग: बीजेपी के गढ़ को भेदने तृणमूल कांग्रेस लगा रही जोर
देश में 17वीं लोकसभा के लिए 543 लोकसभा सीटों पर सात चरणों में मतदान कराया जा रहा है. इसी कड़ी में पश्चिम बंगाल की 42 में से 3 सीटों पर 18 अप्रैल को दूसरे फेज में मतदान कराया गया. 10 मार्च को लोकसभा चुनाव 2019 की घोषणा हुई थी. 19 मार्च को इस सीट के लिए नोटिफिकेशन निकला, 26 मार्च को नॉमिनेशन की अंतिम तारीख और 27 मार्च को उम्मीदवारों द्वारा दिए गए शपथपत्रों की स्क्रूटनी हुई.
इस लोकसभा सीट के बारे में और जानने के लिए पढ़ें- दार्जिलिंग लोकसभा सीटः बदल गया है समीकरण, BJP पर हैट्रिक लगाने की चुनौती
लोकसभा चुनाव 2014 में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने पश्चिम बंगाल में जिन दो सीटों पर जीत हासिल की थी, उनमें से एक दार्जिलिंग संसदीय क्षेत्र शामिल है. पिछले चुनावों में मोदी लहर और गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (गोजमुमो) के समर्थन से दार्जिलिंग लोकसभा सीट पर बीजेपी की जीत आसान हो गई थी. नागरिकता संशोधन विधेयक 2016 के सहारे पश्चिम बंगाल में अपने लिए रास्ते तलाश रही बीजेपी का अभी दार्जिलिंग लोकसभा सीट पर कब्जा है और सुरेंद्रजीत सिंह अहलूवालिया सांसद है. 2009 के चुनावों में बीजेपी के ही जसवंत सिंह दार्जिलिंग से चुनकर संसद पहुंचे थे.
दार्जिलिंग का संसदीय इतिहास
पर्यटकों की पसंद और चाय के बगानों के लिए जाना जाने वाला दार्जिलिंग संसदीय क्षेत्र 1957 में अस्तित्व में आया है और उस साल हुए चुनावों में यहां कांग्रेस के थिओडोर मानेन जनप्रतिनिधि चुनकर संसद पहुंचे थे. इसके बाद 1962 में हुए अगले लोकसभा चुनावों में थिओडोर मानेन ही कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते. आम तौर पर इस सीट पर कांग्रेस और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के बीच ही मुकाबला रहा है. लेकिन 1967 में हुए चुनावों में स्वतंत्र उम्मीदवार एम. बसु ने जीत हासिल की थी. पांचवीं लोकसभा के लिए 1971 में चुनाव में माकपा के उम्मीदवार रतनलाल ब्राह्मण ने जीत हासिल की. 1977 के चुनावों में माकपा के कृष्ण बहादुर छेत्री सांसद चुने गए जबकि 1980, 1984 के चुनावों में माकपा के ही आनंद पाठक चुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे. नौवीं लोकसभा के लिए 1989 में चुनावों में गोरखा नेशनल लिबरेशन फ्रंट के इंद्रजीत चुनाव जीतने में कामयाब रहे है.
बाद में इंद्रजीत कांग्रेस में शामिल हो गए और 1991 में फिर हुए चुनावों में कांग्रेस की टिकट पर वह दोबारा जीतकर संसद पहुंचे. इसके बाद 1996 के चुनावों में माकपा ने इस सीट पर फिर वापसी की और पार्टी के उम्मीवार आर.बी. राय सांसद चुने गए. 1998 में माकपा के ही आनंद पाठक यहां से संसदीय चुनाव जीते जबकि 1999 में इसी लेफ्ट पार्टी के एस.पी. लेपचा चुनाव जीतने में सफल रहे. 2004 में फिर इस सीट की तस्वीर बदली और कांग्रेस उम्मीदवार दावा हारबुल चुनाव जीते. लेकिन 2009 में यह सीट बीजेपी के खाते में आ गई और मूल रूप से राजस्थान से ताल्लुक रखने वाले जसवंत सिंह यहां से सांसद बने. 2014 में एसएस अहलुवालिया यहां से लोकसभा सदस्य चुने गए.
सामाजिक ताना-बाना
दार्जिलिंग संसदीय क्षेत्र उत्तर दीनाजपुर और दार्जिलिंग जिले के कुछ हिस्से को मिलाकर बना है. जनगणना 2011 के मुताबिक इस संसदीय क्षेत्र की आबादी 2201799 है जिनमें 66.68% लोग गांवों में रहते हैं जबकि 33.32% आबादी शहरी है. इनमें अनुसूचित जाति और अनुसूचिज जनजाति की हिस्सेदारी क्रमशः 17 और 18.99 फीसदी है. मतदाता सूची 2017 के मुताबिक दार्जिलिंग संसदीय क्षेत्र में 1545389 मतदाता हैं जो 1833 मतदान केंद्रों पर वोटिंग करते हैं. 2014 के आम चुनावों में 79.51% मतदान हुआ था जबकि 2009 के चुनावों में यह आंकड़ा 79.51% था. परिसीमन आयोग की 2009 की रिपोर्ट में दार्जिलिंग संसदीय क्षेत्र को सात विधानसभा क्षेत्रों में विभाजित किया गया था. इनमें मतिगारा-नक्सलबाड़ी सीट अनुसूचित जाति जबकि फंसीदेवा सीट अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित है. कलिम्पोंग, दार्जिलिंग, कुर्सियांग, सिलीगुड़ी और चोपरा सीट सामान्य है.
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