
हरसिमरत कौर बादल लोकसभा चुनाव 2019 में पंजाब के बठिंडा से अकाली दल की उम्मीदवार है. साल 2009 से इस संसदीय क्षेत्र से वो लगातार सांसद है. भारत की प्रसिद्ध महिला राजनीतिज्ञों में से एक हरसिमरत मोदी सरकार में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री भी रह चुकी हैं.
निजी जिंदगी
25 जुलाई, 1966 को दिल्ली के एक सिख परिवार में जन्मी हरसिमरत कौर गुड़गांव ट्राइडेंट होटल में निजी ज्वैलरी कारोबार चलाने के साथ ही एक फैशन डिजाइनर भी हैं. उन्होंने दिल्ली के लारेटो कॉन्वेंट स्कूल से पढ़ाई की. साथ ही मैट्रिक्यूलेट और ड्रेस डिजाइन में डिप्लोमा भी किया है. 21 नवंबर 1991 को सुखबीर सिंह बादल के साथ हरसिमरत की शादी हो गई. वहीं इनके दो बेटियां और एक बेटा भी है.
राजनीतिक करियर
पंजाब की राजनीति में सुखबीर सिंह बादल एक बड़ा नाम हैं. हालांकि हरसिमरत की राजनीति की शुरुआत साल 2009 में हुई. साल 2009 में हुए लोकसभा चुनाव में शिरोमणि अकाली दल ने हरसिमरत को बठिंडा से कांग्रेस के उम्मीदवार राहींदर सिंह के खिलाफ चुनावी मैदान में उतारा. इस चुनावी जंग में हरसिमरत को फतह हासिल हुई और उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार को 120960 वोटों से मात दी. अपने पहले भाषण में ही हरसिमरत ने 1984 के सिख विरोधी दंगों के पीड़ितों और उनके परिवारों के बारे में बात की थी. साल 2014 में एक बार फिर हरसिमरत को इसी सीट से चुनावी मैदान में उतारा गया. इस बार उनके सामने कांग्रेस के मनप्रीत सिंह बादल चुनावी मुकाबले में थे. हालांकि दोनों के बीच कांटे का मुकाबले देखा गया लेकिन बाजी हरसिमरत के हाथ लगी और हरसिमरत ने एक बार फिर से जीत हासिल की. इसके साथ ही उन्हें मोदी सरकार में मंत्री पद भी दिया गया.
2014 में वोट शेयर
16वीं लोकसभा में बठिंडा से शिरोमणि अकाली दल की नेता हरसिमरत कौर बादल ने 19,395 वोटों से जीत हासिल की थी. इस चुनाव में हरसिमरत कौर को 43.73 फीसदी वोट शेयर के साथ 5,14,727 वोट मिला था, जबकि कांग्रेस के मनप्रीत को 42.09 फीसदी वोट के साथ कुल 4,95,332 वोट पड़े थे. तीसरे नंबर पर आम आदमी पार्टी के जसराज सिंह लोंगिया रहे थे, जिन्हें 87,901 मत प्राप्त हुआ था.
'नन्ही छां' अभियान
हरसिमरत कौर को पंजाब में घट रहे महिला लिंग अनुपात के खिलाफ और पेड़ों को बचाने के लिए चलाए जा रहे 'नन्ही छां' अभियान के लिए भी पहचान मिल है. इसके तहत राज्य में कन्या भ्रूण हत्या, कैंसर से निपटने, खेती, किसानों की समस्याएं, पर्यावरण संबंधी समस्याएं और लगातार कम हो रहे जंगलों के बारे में लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया गया.
चुनाव की हर ख़बर मिलेगी सीधे आपके इनबॉक्स में. आम चुनाव की ताज़ा खबरों से अपडेट रहने के लिए सब्सक्राइब करें आजतक का इलेक्शन स्पेशल न्यूज़ लेटर