
लोकसभा चुनाव 2014 में संगरूर सीट से आम आदमी पार्टी के भगवंत मान को शानदार जीत मिली थी. भगवंत मान अलग-अलग मुद्दों पर सदन में कविता और शायरी सुनाने को लेकर भी हमेशा चर्चा में रहे. 2019 में फिर AAP इसी सीट से मान को उतारने की तैयारी में है. लेकिन अबकी बार राह आसान नहीं है. कांग्रेस पूरी ताकत के साथ मैदान में डटी है और संगरूर सीट पर कब्जा करना चाहती है. वहीं इस सीट पर अकाली-बीजेपी गठबंधन की नजर भी पर है.
2014 का जनादेश
संगरूर लोकसभा सीट पर कभी भी किसी प्रत्याशी को 5 लाख से ज्यादा वोट नहीं मिले. केवल यह कमाल AAP सांसद भगवंत मान ने 2014 में करके दिखाया. इस सीट पर AAP के भगवंत मान ने अकाली दल के सुखदेव सिंह ढींढसा को 2 लाख से ज्यादा वोटों से शिकस्त दी थी. वोट फीसदी के हिसाब से अगर देखें तो आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार को 48.5 फीसद मत शेयर के साथ 5,33,237 वोट मिले थे, जबकि अकाली दल के उम्मीदवार को 29.2 फीसदी वोट के साथ 3,21,516 मत और कांग्रेस को 16.5 फीसदी मत शेयर के साथ कुल 1,81,410 वोट प्राप्त हुए थे.
इससे पहले 2009 में यहां से कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी. कांग्रेस के विजय इंदर को 38.5 फीसद वोट शेयर के साथ 3,58,670 मत मिला था. जबकि अकाली दल के सुखदेव सिंह ढींढसा को 34.1 फीसदी मत शेयर के साथ कुल 3,17,798 वोट मिला था.
इस लोकसभा सीट के अंदर लहरी डिबरा, सुनम, भदौर, बर्नाला, महल कालन, मलेर कोटला, धुरी और संगरूर समेत 9 विधानसभा सीटें हैं. इन 9 सीटों में से 5 पर आम आदमी पार्टी का कब्जा है, जबकि 3 सीट पर कांग्रेस और 1 पर आकाली दल के उम्मीदवार को जीत मिली है.
सामाजिक ताना-बाना
साल 1951 में इस लोकसभा सीट को बनाया गया था. लोकसभा चुनाव 2014 के मुताबिक यहां कुल मतदाताओं की संख्या 12,51,401 थी, जिसमें 6,60,913 पुरुष और 5,90,488 महिलाएं हैं. हालांकि 2014 में कुल 10,99,467 वोट पड़े थे. इस सीट पर सबसे ज्यादा समय तक अकाली दल का कब्जा रहा, और उसके बाद कांग्रेस के उम्मीदवार जीते. 2014 में यहां 1417 पोलिंग बूथ बनाए गए थे.
मौजूदा वक्त में यहां से सांसद भगवंत मान ही AAP की तरफ से मैदान में उतरेंगे. वहीं अकाली दल के सुखदेव सिंह ढींढसा पार्टी से बगावत कर चुके हैं वो अब भी सुखबीर सिंह बादल से इस्तीफे की मांग पर अड़े हुए हैं. दूसरी तरफ कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री रजींद्र कौर भट्टल इस सीट को लिए दौड़ में हैं.
हालांकि सूबे में कांग्रेस की वापसी को बाद भगवंत मान के लिए चुनौतियां थोड़ी बढ़ गई है, लेकिन 2014 में मान को संगरूर से जितनी बड़ी जीत मिली थी, उसे भेद पाना कांग्रेस या फिर अकाली दम के आसान नहीं है.
सांसद का रिपोर्ट कार्ड
भगवंत मान ने साल 2011 में 'पीपुल्स पार्टी ऑफ पंजाब' से जुड़कर राजनीति में एंट्री कर ली थी, लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले इन्होंने AAP का दामन थाम लिया. भगवंत एक अभिनेता, कॉमेडी किंग और गायक के रूप में मशहूर हैं. 16वीं लोकसभा के दौरान AAP सांसद ने अपने सांसद निधि कोष से 62.34 फीसद रकम का इस्तेमाल विकास के कामों में किया है.