
उत्तराखंड की सभी पांच लोकसभा सीटों पर पहले चरण 11 अप्रैल को वोट डाले जाएंगे. इनमें टिहरी, पौड़ी, हरिद्वार, नैनीताल और अल्मोड़ा सीट शामिल है. उत्तराखंड की सियासत का इतिहास है कि राज्य की सत्ता पर काबिज राजनीतिक दल लोकसभा चुनाव में फेल होते रहे हैं. राज्य की स्थापना से लेकर अब तक हुए लोकसभा चुनाव में वोटिंग पैटर्न इसी तरह का रहा है. ऐसे में देखना होगा कि 2019 के लोकसभा चुनाव में सूबे की जनता क्या इस वोटिंग परंपरा को फिर से दोहराती है या नहीं. प्रदेश की सरकार हर पांच साल पर बदलती रही है.
मौजूदा समय में उत्तराखंड की सत्ता पर बीजेपी काबिज है. इतना ही नहीं प्रदेश की सभी पांच लोकसभा सीटें बीजेपी के पास है. 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के सामने इन सीटों पर अपने वर्चस्व को बरकरार रखने की बड़ी चुनौती है. बीजेपी ने अपने मौजूदा सांसदों में से दो का टिकट काट दिया है. इनमें नैनीताल-उधम सिंह नगर सीट से भगत सिंह कोशियारी और गढ़वाल सीट से सांसद भुवन चंद्र खंडूरी को बीजेपी ने टिकट नहीं दिया है. जबकि बाकी तीन सांसदों पर एक फिर भरोसा जताया है.
उत्तराखंड का नए राज्य के रूप में साल 2000 में गठन हुआ. राज्य बनने के बाद 2002 में विधानसभा चुनाव हुए कांग्रेस सत्ता पर काबिज हुई. उत्तराखंड के गठन के बाद पहला लोकसभा चुनाव 2004 में हुआ. बीजेपी और कांग्रेस पूरे दमखम से चुनावी मैदान में उतरे थे. कांग्रेस और सपा को प्रदेश में एक-एक सीट मिली. जबकि तीन सीट बीजेपी के खाते में गई थी. इस तरह से राज्य की सत्ता पर काबिज कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा था.
प्रदेश में दूसरा लोकसभा चुनाव 2009 में हुआ. इस दौरान प्रदेश की सत्ता पर बीजेपी काबिज थी. और सभी पांचों सीटों पर कांग्रेस को जीत मिली. इस तरह से पांचों लोकसभा सीटों पर बीजेपी को हार का मुंह देखना पड़ा. प्रदेश के इतिहास ने एक बार अपनी परंपरा को बरकरार रखा.
2014 में लोकसभा चुनाव हुए तो राज्य की सत्ता पर कांग्रेस काबिज थी. इन चुनावों में प्रदेश की सभी पांचों लोकसभा सीटें बीजेपी की झोली में गईं और कांग्रेस अपना खाता नहीं खोल पाई. एक बार फिर सूबे के वोटिंग पैटर्न ने अपने इतिहास को दोहराया था. ऐसे में उत्तराखंड की जनता एक बार फिर अपनी परंपरा को बरकरार रखेगी या या फिर लीक से हटकर इतिहास रचेगी, यह देखना मजेदार होगा.