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लोकसभा चुनावः पहले चरण में बंगाल और त्रिपुरा में सबसे ज्यादा वोटिंग, बिहार सबसे पीछे

चुनाव आयोग के मुताबिक पहले चरण में 91 सीटों पर कुल 1,239 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं. आंध्र प्रदेश की 25 लोकसभा सीटों पर 66 प्रतिशत मतदान हुआ. यहां पर लोकसभा के साथ-साथ 175 विधानसभा सीटों पर भी चुनाव कराया गया. वहीं तेलंगाना की सभी 17 लोकसभा सीटों पर 60 प्रतिशत मतदान हुआ.

बंगाल में पहले चरण में 81 फीसदी मतदान हुआ बंगाल में पहले चरण में 81 फीसदी मतदान हुआ
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 12 अप्रैल 2019,
  • अपडेटेड 9:03 AM IST

लोकसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान गुरुवार को कुल मिलाकर शांतिपूर्वक संपन्न हो गया. 20 राज्यों की 91 सीटों के लिए हुए मतदान में सबसे कम बिहार में 50 फीसदी और पश्चिम बंगाल में 81 फीसदी मतदान हुआ. सिर्फ बंगाल और त्रिपुरा ही ऐसे राज्य रहे जहां पर 80 फीसदी से ज्यादा वोटिंग हुई. महज 6 राज्यों में ओवरऑल 70 फीसदी से ज्यादा का मतदान हुआ. हालांकि मतदान के दौरान कई जगहों पर छिटपुट हिंसा की खबरें आईं.

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बंगाल के कूच बिहार लोकसभा सीट पर 81.94% और अलीपुरद्वार लोकसभा सीट पर 81.04 फीसदी मतदान हुआ. जबकि उत्तर प्रदेश के 80 लोकसभा सीटों में से 8 सीटों पर हुए मतदान में 63.69 फीसदी मतदान हुआ. हालांकि बंगाल के अलावा कई राज्य ऐसे रहे जहां पर 2014 की तुलना में इस बार मतदान कम हुआ.

उप चुनाव आयुक्त उमेश सिन्हा ने गुरुवार को मतदान के बाद बताया कि पहले चरण के चुनाव में मतदान का स्तर सामान्य रहा. अंतिम आंकड़े आने तक यह स्तर पिछले चुनाव की तुलना में लगभग बराबर ही होगा. सभी 20 राज्यों की मतदान वाली सीटों पर सामान्य रूप से शांतिपूर्ण मतदान रहा. कुछ इलाकों में हिसा और बाधा पहुंचाने की शिकायतें जरूर मिली जिन्हें उसी समय दूर कर दिया गया.

चुनाव आयोग के मुताबिक पहले चरण में 91 सीटों पर कुल 1,239 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं. आंध्र प्रदेश की 25 लोकसभा सीटों पर 76.69 प्रतिशत मतदान हुआ. यहां पर लोकसभा के साथ-साथ 175 विधानसभा सीटों पर भी चुनाव कराया गया. वहीं तेलंगाना की सभी 17 लोकसभा सीटों पर 60 प्रतिशत मतदान हुआ. जबकि 2014 के लोकसभा चुनाव में संयुक्त आंध्र प्रदेश में 76.64 प्रतिशत मतदान हुआ था.

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पिछली बार से कम मतदान

उत्तराखंड में पिछली बार की तुलना में इस बार मतदान का आंकड़ा कम रहा. राज्य की सभी पांच लोकसभा सीटों पर 57.85 प्रतिशत मतदान हुआ जबकि 2014 में 62.15 प्रतिशत मतदान हुआ था.

पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश की दो लोकसभा सीटों पर 66 प्रतिशत मतदान रहा. राज्य में 2014 में मतदान का स्तर 80 प्रतिशत था. वहीं मेघालय की दो सीटों (शिलांग और तुरा) पर 67.16 प्रतिशत हुआ जबकि पिछली बार 68 प्रतिशत मतदान हुआ था.

पहले चरण के मतदान वाले अन्य प्रमुख राज्यों में उत्तर प्रदेश की आठ लोकसभा सीटों पर 63.69 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. छत्तीसगढ़ की बस्तर सीट पर 56 प्रतिशत मतदान हुआ. पिछले चुनाव में इस सीट पर 69.39 प्रतिशत मतदान हुआ था.

उप चुनाव आयुक्त उमेश सिन्हा ने कहा कि बस्तर इलाके में दंतेवाड़ा और नारायणपुर क्षेत्र में हिंसा और मतदान में बाधा पहुंचाने की कोशिश की गई, लेकिन सुरक्षा बलों ने इन्हें नाकाम कर दिया. दंतेवाड़ा के श्यामगिरि मतदान केंद्र पर 77.7 प्रतिशत मतदान हुआ. इस इलाके में ही मंगलवार को नक्सली हमले में स्थानीय विधायक भीमा मंडावी सहित पांच लोगों की मौत हो गई थी.

जम्मू-कश्मीर की दो लोकसभा सीटों बारामूला और जम्मू पर मतदान शांतिपूर्ण रहा. दोनों सीटों पर 57 फीसदी वोट डाले गए.

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महाराष्ट्र की 48 लोकसभा सीटों में से सात सीटों पर गुरुवार को कराए गए मतदान में 56 प्रतिशत वोटिंग हुई. राज्य में गढ़चिरौली सीट पर चार मतदान केंद्रों पर मतदानकर्मियों के नहीं पहुंच पाने के कारण मतदान स्थगित करना पड़ा.

ओडिशा में 68 प्रतिशत मतदान

इसके अलावा ओडिशा की 21 में से चार लोकसभा सीटों पर 68 प्रतिशत मतदान हुआ. चुनाव आयोग के मुताबिक एक-एक सीट वाले राज्य मिजोरम में 60 प्रतिशत (2014 में 61.95%), नगालैंड में 78 प्रतिशत (2014 में 87.91%), सिक्किम में 69 प्रतिशत (2014 में 83.64%) और लक्षदीप में 66 प्रतिशत (2014 में 86%) मतदान रहा. खास बात यह रही कि कई राज्यों में पिछले चुनाव की तुलना में मतदान का स्तर कम रहा.

इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) में गड़बड़ी के बारे में चुनाव आयोग की ओर से कहा गया कि सभी 91 सीटों पर मतदान के दौरान तकनीकी बाधाओं के कारण 1.7% ईवीएम को बदलना पड़ा. जबकि 1.04% कंट्रोल यूनिट और 1.61% वीवीपेट मशीनें बदली गईं. मतदान के दौरान गड़बड़ी से जुड़ी कई राजनीतिक दलों की शिकायतों पर चुनाव आयोग आज शुक्रवार को 11 बजे समीक्षा करेगा. इस दौरान सभी राजनीतिक दलों को अपना पक्ष रखने का मौका दिया जाएगा.

उमेश सिन्हा ने बताया कि मतदान के दौरान ईवीएम को क्षतिग्रस्त करने के कुल 15 मामले सामने आए जिसमें छह आंध्र प्रदेश और एक-एक बिहार और पश्चिम बंगाल में रहा. इनमें आयोग ने कानूनी कार्रवाई की है.

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