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सचिन पायलट के गढ़ टोंक-सवाईमाधोपुर में कांग्रेस का पलड़ा भारी

पहली बार विधानसभा चुनाव लड़े कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने टोंक विधानसभा क्षेत्र को चुना. यह क्षेत्र गुर्जर और मीणा बहुल क्षेत्र है जिसमें हाल में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 8 विधानसभा में से 6 सीटों पर जीत का परचम लहराया है.

सचिन पायलट, उप-मुख्यमंत्री, राजस्थान (फाइल फोटो-पीटीआई) सचिन पायलट, उप-मुख्यमंत्री, राजस्थान (फाइल फोटो-पीटीआई)
विवेक पाठक
  • नई दिल्ली,
  • 01 मार्च 2019,
  • अपडेटेड 12:15 AM IST

आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर देश में सियासी सरगर्मियां तेज हो गई हैं. सभी राज्यों में नए समीकरण के हिसाब से राजनीतिक गोलबंदी जारी है. ऐसे में राजस्थान भी इससे अछूता नहीं है. लोकसभा चुनाव नजदीक देखते हुए आरक्षण की मांग लेकर गुर्जर आंदोलित हुए तो राज्य की नवगठित कांग्रेस सरकार को भी उनकी मांगें माननी पड़ी. राज्य का टोंक और सवाईमाधोपुर जिला शुरू से ही गुर्जर-मीणा संघर्ष का गवाह रहा है.

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ऐसे में टोंक-सवाईमाधोपुर लोकसभा क्षेत्र की बात की जाए तो यह सीट 2008 के परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई. यह लोकसभा सीट टोंक जिले की 4 विधानसभा और सवाईमाधोपुर जिले की 4 विधानसभा सीट को मिलाकर बनाई गई है. वर्तमान में बीजेपी के सुखबीर सिंह जौनपुरिया यहां के सांसद हैं.

राजनीतिक पृष्ठभूमि

टोंक-सवाई माधोपुर संसदीय सीट का गठन 2008 के नए परिसीमन के बाद टोंक और सवाईमाधोपुर जिले की 4-4 विधानसभा सीटों को मिलाकर किया गया. जैसा कि हम पहले बता चुके हैं कि राजस्थान का यह इलाका दो मार्शल कौम गुर्जर और मीणा के संघर्ष का गवाह रहा है. लिहाजा अस्तित्व में आने के बाद 2009 में हुए पहले चुनाव में इसकी साफ झलख दिखी. जब कांग्रेस के नमो नारायण मीणा और गूर्जर समाज के बड़े नेता कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के बीच मुकाबला देखने को मिला. हालांकि इस चुनाव में कांग्रेस के नमो नारायण मीणा ने जीत दर्ज की.

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लेकिन साल 2014 की मोदी लहर में कांग्रेस इस सीट को बचाने नाकाम रही. टोंक-सवाईमाधोपुर में हुए दूसरे लोकसभा में कांग्रेस ने अपने स्टार प्रचारक और यूपी से सांसद रहे पूर्व क्रिकेटर मोहम्मद अजहरुद्दीन को मैदान में उतारा तो वहीं बीजेपी ने भी चेहरा बदलते हुए गुर्जर उम्मीदवार के तौर पर सुखबीर सिंह जौनपुरिया पर दांव खेला. जौनपुरिया ने अजहरुद्दीन को पटखनी दे दी तो वहीं किरोणी लाल मीणा की एनपीईपी तीसरे स्थान पर रही.

सामाजिक ताना-बाना

टोंक-सावाईमाधोपुर की पहचान ऐतिहासिक दृष्टिकोण से सवाईमाधोपुर के चलते अहम है. सवाईमाधोपुर का इतिहास यहां के रणथम्भौर दुर्ग के ईर्द गिर्द ही घूमता है. तो वहीं रणथम्भौर राष्ट्रीय उद्यान भी इसी क्षेत्र में आता है जो पूरे भारत में अपने बाघों के लिए जाना जाता है. सवाईमाधोपुर की स्थापना जयपुर से महाराजा सवाई माधो सिंह ने की थी. जयपुर राजघराने की राजकुमारी दियाकुमारी सवाईमाधोपुर से विधायक भी रहीं.

साल 2011 की जनसंख्या के मुताबिक यहां की आबादी 27,56,877 जिसका 78.81 प्रतिशत हिस्सा ग्रामीण और 21.19 प्रतिशत हिस्सा शहरी है. जबकि कुल आबादी का 20.56 फीसदी अनुसूचित जाति और 16.83 फीसदी अनुसूचित जनजाति है. टोंक-सवाईमाधोपुर सीट पर मुस्लिम, गुर्जर और मीणा मतदाताओं का प्रभाव ज्यादा है. इसके अलावा एससी, ब्राह्मण, माली और राजपूत समाज का भी अलग-अलग इलाकों में अपना प्रभाव है.

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टोंक सवाईमाधोपुर संसदीय सीट के अंतर्गत सवाईमाधोपुर जिले की गंगापुर, बामनवास, सवाईमाधोपुर, खंडर और टोंक जिले की मालपुरा, निवाई, टोंक और देवली-उनियारा विधानसभा शामिल हैं. हाल में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने यहां की 8 सीटों में से 6 सीट पर जीत का परचम लहराया जबकि गंगापुर सीट पर निर्दलीय और मालपुरा सीट पर बीजेपी की जीत हुई.

2014 का जनादेश

साल 2014 लोकसभा चुनाव में टोंक-सवाईमाधोपुर सीट पर कुल 61 फीसदी मतदान हुआ था और कुल मिलाकर 22 उम्मीदवार मैदान में थे. जिसमें से बीजेपी को 52.6 फीसदी और कांग्रेस को 39.6 फीसदी वोट मिले. बीजेपी से सुखबीर सिंह जौनपुरिया ने कांग्रेस से मोहम्मद अजहरुद्दीन को 1,35,311 मतों से पराजित किया. इस चुनाव में जौनपुरिया को 5,48,179 और अजहरुद्दीन को 4,12,868 वोट मिले.

 

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