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चौथा चरण: बिहार में गिरिराज-कन्हैया की अग्निपरीक्षा, बाहुबलियों का भी दिखेगा दम

इस चरण में बीजेपी के गिरिराज सिंह, नित्यानंद राय, रालोसपा के उपेंद्र कुशवाहा, जेडीयू के ललन सिंह, सीपीआई के कन्हैया कुमार, आरजेडी के अब्दुल बारी सिद्दीकी और एलजेपी के रामचंद्र पासवान जैसे दिग्गज नेताओं की चुनावी किस्मत का फैसला होगा.

बिहार में अबकी बार कड़ी लड़ाई बिहार में अबकी बार कड़ी लड़ाई
संदीप कुमार सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 24 अप्रैल 2019,
  • अपडेटेड 9:49 AM IST

बिहार में तीन चरणों में 14 लोकसभा सीटों पर चुनाव हो चुका है. 29 अप्रैल को चौथे चरण में 5 सीटों पर वोट डाले जाएंगे. इस चरण में बिहार की 5 सीटों दरभंगा, उजियारपुर, समस्तीपुर, बेगूसराय और मुंगेर में वोट डाले जाएंगे. ये सीटें मिथिला और मध्य बिहार के क्षेत्रों में आती हैं. इस चरण में एनडीए, महागठबंधन और अन्य दलों के दिग्गजों की चुनावी किस्मत का फैसला वोटर करेंगे. 5 सीटों के लिए कुल 66 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं. 2014 में इन पांचों सीटों पर एनडीए के उम्मीदवार जीते थे लेकिन इस बार महागठबंधन से कड़ी चुनौती मिलती दिख रही है.

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इस चरण में बीजेपी के गिरिराज सिंह, नित्यानंद राय, रालोसपा के उपेंद्र कुशवाहा, जेडीयू के ललन सिंह, सीपीआई के कन्हैया कुमार, आरजेडी के अब्दुल बारी सिद्दीकी और एलजेपी के रामचंद्र पासवान जैसे दिग्गज नेताओं की चुनावी किस्मत का फैसला होगा. 2014 के लोकसभा चुनाव में इन सीटों पर अच्छी वोटिंग हुई थी. उजियारपुर में 60.2 %, दरभंगा में 55.4, समस्तीपुर में 57.3, मुंगेर में 53.1 और बेगूसराय में 60.6 प्रतिशत वोटिंग हुई थी. इस बार दिग्गजों के अलावा कई सीटों पर बाहुबलियों के दम की भी परीक्षा है.

किस सीट का क्या है समीकरण?

दरभंगा

दरभंगा मिथिला संस्कृति का प्रमुख शहर और ऐतिहासिक स्थान है. 2014 में यहां से बीजेपी के कीर्ति आजाद जीते थे लेकिन अब वे कांग्रेस में हैं और झारखंड के धनबाद से चुनावी मैदान में हैं. 2019 के रण में महागठबंधन की ओर से आरजेडी के दिग्गज अब्दुल बारी सिद्दीकी मैदान में हैं तो उनको चुनौती दे रहे हैं बीजेपी प्रत्याशी गोपालजी ठाकुर. आरजेडी के अब्दुल बारी सिद्दीकी पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं और बिहार सरकार में मंत्री रह चुके हैं.

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लेकिन लोकसभा के लिए पहली बार उतरे हैं. उन्हें महागठबंधन के साथी दलों कांग्रेस, वीआईपी पार्टी, रालोसपा और हम के समर्थन का फायदा हो सकता है. लेकिन उन्हें आरजेडी के ही नेता और पूर्व सांसद अली अशरफ फातमी के विरोध का सामना भी करना पड़ रहा है. जो अब निर्दलीय मैदान में उतर चुके हैं. दूसरी ओर पूर्व विधायक गोपालजी ठाकुर को उतारकर बीजेपी इस सीट को अपने खाते में करने की कोशिश कर रही है.

दरभंगा सीट पर आपातकाल से पहले कांग्रेस का दबदबा था. 1952 से 1971 तक हुए सभी चुनाव कांग्रेस ने जीते थे. 1977 में यहां से सुरेंद्र झा भारतीय लोक दल के टिकट पर जीते. 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सहानुभूति लहर में कांग्रेस के हरि नाथ मिश्रा यहां से चुनाव जीते. 1989 में जनता दल के शकीउल रहमान, 1991 में अली अशरफ फातमी जीते. 1999 में कीर्ति आजाद ने यहां से बीजेपी को पहली जीत दिलाई. 2009 और 2014 में भी वे सांसद बने. तीनों बार कीर्ति आजाद ने अली अशरफ फातमी को हराया.

दरभंगा सीट पर ब्राह्मण, यादव और मुस्लिमों का वर्चस्व माना जाता है. दरभंगा लोकसभा क्षेत्र के तहत 6 विधानसभा सीटें आती हैं- गौरा बौरम, बेनीपुर, अलीनगर, दरभंगा ग्रामीण, दरभंगा और बहादुरपुर. 2015 के विधानसभा चुनाव में इनमें से 3 सीट आरजेडी, 2 जेडीयू और एक सीट बीजेपी ने जीती.

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उजियारपुर

उजियारपुर सीट इस बार दो दिग्गजों के मैदान में उतरने से चर्चा में है. यहां से बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय के सामने हैं रालोसपा के मुखिया उपेंद्र कुशवाहा. उपेंद्र कुशवाहा काराकाट सीट से भी चुनाव लड़ रहे हैं. पिछली बार वे एनडीए में थे. नित्यानंद राय को जेडीयू के साथ का भी फायदा हो सकता है. सीपीएम के अजय राय भी यहां से मैदान में हैं.

उजियारपुर से 2014 में बीजेपी के नित्यानंद राय ने आरजेडी के आलोक कुमार मेहता को 60 हजार वोटों से हराया था. जेडीयू की अश्वमेघ देवी तीसरे स्थान पर रही थीं. नित्यानंद राय को इस बार जेडीयू के समर्थन का फायदा हो सकता है. इस इलाके में कुशवाहा वोटों के साथ-साथ यादव वोटों की ताकत अच्छी खासी है.

समस्तीपुर

समस्तीपुर से एलजेपी प्रमुख रामविलास पासवान के भाई रामचंद्र पासवान फिर मैदान में हैं. 2014 में भी वे ही यहां से जीते थे. कांग्रेस ने रामचंद्र पासवान को चुनौती देने के लिए फिर अशोक राम को उतारा है. 2014 के चुनाव में अशोक राम सिर्फ 6872 वोटों से हारे थे. यह सीट अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व है.

2014 के चुनाव में रामचंद्र पासवान को 2,70,401 वोट मिले थे जबकि अशोक कुमार को 2,63,529. 2009 के चुनाव में यहां से जेडीयू के महेश्वर हजारी जीते थे. उन्होंने रामचंद्र पासवान को हराया था. इससे पहले 2004 के चुनाव में आरजेडी के आलोक कुमार मेहता ने जेडीयू प्रत्याशी रामचंद्र सिंह को हराया था.

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1972 में दरभंगा से अलग होकर ये सीट बनी थी. इस संसदीय क्षेत्र का बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर से खास नाता रहा है. वे 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर यहां से चुनाव जीते थे. 1980 में यहां से जनता पार्टी (एस), 1984 में कांग्रेस, 1989-1991-1996 में जनता दल जीती. जबकि 1998 में आरजेडी, 1999 में जेडीयू, 2004 में आरजेडी, 2009 में जेडीयू इस सीट से जीती. जनता दल-यू के महेश्वर हजारी 2009 में इस सीट से सांसद बने. उसके बाद यह सीट एलजेपी के नाम हो गई और रामचंद्र पासवान सांसद चुने गए.

बेगूसराय

बेगूसराय लोकसभा सीट का चुनाव इस बार देशभर में चर्चा का केंद्र बना हुआ है. यहां से बीजेपी ने गिरिराज सिंह को, महागठबंधन ने तनवीर हसन को और सीपीआई ने कन्हैया कुमार को उतारा है. मुकाबला त्रिकोणीय है. गिरिराज सिंह नवादा की जगह इस बार बेगूसराय से चुनाव मैदान में हैं तो कन्हैया यहां से सियासी डेब्यू कर रहे हैं. दोनों ही भूमिहार जाति से आते हैं. इस सीट पर भूमिहार, यादव और मुसलमान मतदाताओं की अच्छी-खासी तादाद है.

2009 में यहां से जेडीयू उम्मीदवार ने सीपीआई के दिग्गज नेता शत्रुघ्न प्रसाद सिंह को हराया था, जबकि 2014 के आम चुनाव में बीजेपी के भोला सिंह इस सीट से विजयी रहे थे. भोला सिंह ने तनवीर हसन को 58,000 वोटों से हराया था.

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मुंगेर

मुंगेर लोकसभा सीट इस बार हॉट सीट बनी हुई है. यहां से बाहुबली नेता अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी और जेडीयू के ललन सिंह के बीच मुकाबला हो रहा है. मुंगेर लोकसभा सीट से 19 प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं. बाहुबली अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी महागठबंधन के टिकट पर लड़ रही हैं. वहीं एनडीए ने जेडीयू के राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह को उतारा है. वे बिहार सरकार में मंत्री हैं. ललन सिंह नीतीश कुमार के करीबी हैं. अनंत सिंह के खेमे की घेरेबंदी के लिए उन्होंने विवेक पहलवान और बाहुबली सूरजभान के चचेरे भाई ललन सिंह को अपने पाले में किया है. बाहुबली अनंत सिंह भी कभी नीतीश कुमार के करीबी हुआ करते थे लेकिन बाद में संबंधों में खटास आ गई और अब उनकी पत्नी कांग्रेस के टिकट पर मैदान में हैं. 2014 में यहां से बाहुबली सूरजभान की पत्नी वीणा देवी एलजेपी के टिकट पर जीती थीं. वीणा देवी ने ललन सिंह को 1,09,064 वोटों से शिकस्त दी थी.

चौथे चरण का चुनाव ये तय करेगा कि जमीन पर बीजेपी-जेडीयू की जुगलबंदी कितना रंग दिखाती है क्योंकि पांचों सीटें उन्हीं की दांव पर हैं.

जानें, बिहार की 40 लोकसभा सीटों में कब कहां है चुनाव-

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पहला चरण - 11 अप्रैल- औरंगाबाद, गया, नवादा और जमुई.

दूसरा चरण - 18 अप्रैल- किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका.

तीसरा चरण - 23 अप्रैल- झंझारपुर, सुपौल, अररिया, मधेपुरा और खगड़िया.

चौथा चरण - 29 अप्रैल- दरभंगा, उजियारपुर, समस्तीपुर, बेगूसराय और मुंगेर.

पांचवां चरण - 6 मई- सीतामढ़ी, मधुबनी, मुजफ्फरपुर, सारण और हाजीपुर.

छठा चरण - 12 मई- वाल्मीकिनगर, पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, शिवहर, वैशाली, गोपालगंज, सीवान और महाराजगंज.

सातवां चरण - 19 मई- पटना साहिब ,नालंदा, पाटलिपुत्र, आरा, बक्सर, सासाराम, जहानाबाद, काराकाट.

मतगणना - 23 मई 2019.

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