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कटिहार लोकसभा सीट: तारिक अनवर फिर बनेंगे किंग या एनडीए की एकजुटता पड़ेगी भारी?

कटिहार लोकसभा क्षेत्र की आबादी 1,272,769 है. 1973 में पूर्णिया जिले से अलग होकर कटिहार अलग जिला बना. 2006 में पंचायती राज मंत्रालय द्वारा कटिहार जिले को राज्य के अतिपिछड़े जिले की लिस्ट में रखा गया था.

कटिहार के सांसद तारिक अनवर कटिहार के सांसद तारिक अनवर
संदीप कुमार सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 11 फरवरी 2019,
  • अपडेटेड 4:34 PM IST

कटिहार बिहार का जिला है जो पश्चिम बंगाल की सीमा पर स्थित है. पहले यह पूर्णिया जिले का एक हिस्सा था. इसका इतिहास बहुत ही समृद्ध रहा है. मुगल शासन के अधीन इस जिले की स्थापना सरकार तेजपुर ने की थी. 13वीं शताब्दी के आरम्भ में यहां पर मोहम्मद्दीन शासकों ने राज किया. यहां का सबसे निकटतम हवाई अड्डा बागडोगड़ा (सिलीगुड़ी के निकट) है. कटिहार रेलवे स्‍टेशन रेलमार्ग द्वारा भारत के कई प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है. पूर्वोतर के राज्‍यों में आवागमन का प्रमुख रेल मार्ग बरौनी-कटिहार-गुवाहाटी ही है. और मुख्य पांच अलग-अलग रेल रुटों में ट्रेनों का आवागमन यही से होता है.

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कटिहार लोकसभा क्षेत्र की आबादी 1,272,769 है. 1973 में पूर्णिया जिले से अलग होकर कटिहार अलग जिला बना. 2006 में पंचायती राज मंत्रालय द्वारा कटिहार जिले को राज्य के अतिपिछड़े जिले की लिस्ट में रखा गया था.

राजनीतिक पृष्ठभूमि

कटिहार क्षेत्र तारिक अनवर का गढ़ माना जाता है. यहां से वे 5 बार सांसद रह चुके हैं. बीजेपी के निखिल कुमार चौधरी भी यहां से तीन बार चुनाव जीत चुके हैं. अतीत पर गौर करें तो 1957 के चुनाव में इस सीट से कांग्रेस के अवधेश कुमार सिंह जीते थे. 1958 में उपचुनाव हुए जिसमें कांग्रेस के बी. विश्वास के हाथ जीत लगी. 1962 में यहां से प्रजा सोशलिस्ट पार्टी की प्रिया गुप्ता ने चुनाव जीता था. 1967 में कांग्रेस के टिकट पर यहां से सीताराम केसरी चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे. 1977 में जनता पार्टी के युवराज ने यहां से चुनाव जीता.

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1980 में कांग्रेस के तारिक अनवर ने यहां से चुनाव जीता. 1984 में भी तारिक अनवर के हाथ सफलता लगी. लेकिन 1989 में जनता दल के युवराज ने चुनाव जीता. 1991 में जनता दल ने यहां से मोहम्मद सुनूस सलीम को उतारा जिन्होंने तारिक अनवर को शिकस्त दी. लेकिन इसके बाद 1996 और 1998 के चुनाव में तारिक अनवर ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीतकर संसद पहुंचे.

25 मई 1999 को तारिक अनवर ने सोनिया गांधी के विदेशी मूल का विरोध करते हुए कांग्रेस छोड़ दिया और शरद पवार और पी. सांगमा के साथ मिलकर एनसीपी यानी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का गठन किया. 1999 में तारिक अनवर एनसीपी के टिकट पर कटिहार से चुनाव मैदान में उतरे. लेकिन बीजेपी के निखिल चौधरी के हाथों शिकस्त झेलनी पड़ी. 2004 और 2009 के चुनाव में भी यहां से निखिल चौधरी जीतकर संसद पहुंचे. लेकिन 2014 के मोदी लहर के बावजूद एनसीपी नेता तारिक अनवर जीतने में कामयाब रहे. उन्होंने निखिल चौधरी को शिकस्त दी.

इस सीट का समीकरण

कटिहार संसदीय क्षेत्र में वोटरों की कुल संख्या 1,272,769 है. इनमें से 675,944 पुरुष मतदाता हैं जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 596,825 है.

विधानसभा सीटों का समीकरण

कटिहार संसदीय क्षेत्र के तहत विधानसभा की 6 सीटें आती हैं- कटिहार, कदवा, बलरामपुर, प्राणपुर, मनिहारी और बरारी. 2015 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव में इन 5 सीटों में से 2 बीजेपी, 2 कांग्रेस, एक आरजेडी और एक सीट CPI(ML)(L) ने जीती थी.

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2014 चुनाव का जनादेश

16वीं लोकसभा के लिए 2014 में हुए चुनाव में कटिहार सीट से एनसीपी के वरिष्ठ नेता तारिक अनवर जीतकर लोकसभा पहुंचे थे. उनको 4,31,292  वोट मिले. दूसरे नंबर पर रहे बीजेपी के निखिल कुमार चौधरी को 3,16,552 वोट मिले. जेडीयू के राम प्रकाश महतो को 1,00,765 वोट मिले. जबकि जेएमएम के बालेश्वर मरांडी को 33,593 वोट मिले. इससे पहले निखिल कुमार चौधरी ने तारिक अनवर को 14,015 वोटों से हराया.

सांसद का रिपोर्ट कार्ड

तारिक अनवर का जन्म 16 जनवरी 1951 को बिहार के पटना में हुआ था. तारिक अनवर ने अपने राजनीतिक करियर को बहुत कम ही आयु में शुरू कर दिया था. वह 1976 से 1981 तक बिहार प्रदेश युवा कांग्रेस (आई) के अध्यक्ष थे. वह 1982 से 1985 तक भारतीय युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी थे. वह 1988 से 1989 तक बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष थे. कांग्रेस छोड़ने के बाद वे एनसीपी के महासचिव बने. यूपीए सरकार में वे मंत्री भी थे. कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सीताराम केसरी के वे बेहद करीबी माने जाते थे.

तारिक अनवर ने एनसीपी के साथ लंबी पारी खेली. इसके पहले वे कांग्रेस में भी लंबे समय से रहे. सांसद के अलावा वे केंद्र में कई मंत्रालयों का भी जिम्मा संभाल चुके हैं. साल 2018 में राफेल पर मोदी सरकार के समर्थन में शरद पवार के बयान देने से भड़ककर उन्होंने एनसीपी छोड़ दी और फिर कांग्रेस के साथ आ गए. संसदीय कार्यवाही में तारिक अनवर काफी सक्रिय रहते हैं. वे कई संसदीय समितियों में भी रहे हैं. 16वीं लोकसभा के दौरान उन्होंने 38 बहसों में हिस्सा लिया. उन्होंने विभिन्न मुद्दों से जुड़े 120 सवाल सदन के पटल पर पूछे.

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