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बिहार में 15 साल बाद आमने-सामने की लड़ाई, जानें समीकरण और वोट शेयर में कौन किसपर भारी?

बिहार में लोकसभा चुनाव की सियासी चर्चा चाय की दुकानों से लेकर घर की दहलीज तक आम है. इस बार जब देश लोकसभा चुनाव 2019 में उतर चुका है तो बिहार फिर सियासत की एक अलग तस्वीर पेश कर रहा है. एनडीए बनाम महागठबंधन की लकीर बिहार में जितनी साफ तौर पर उभर कर सामने आई है.

नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव
संदीप कुमार सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 01 अप्रैल 2019,
  • अपडेटेड 8:01 AM IST

जयप्रकाश नारायण (जेपी) की कर्मभूमि बिहार को देश की सियासी प्रयोगशाला ऐसे ही नहीं कहा जाता. बिहार में सियासी चर्चा चाय की दुकानों से लेकर घर की दहलीज तक आम है. इस बार जब देश लोकसभा चुनाव 2019 में उतर चुका है तो बिहार फिर सियासत की एक अलग तस्वीर पेश कर रहा है. एनडीए बनाम महागठबंधन की लकीर बिहार में जितनी साफ तौर पर उभर कर सामने आई है उतनी शायद ही देश के किसी और राज्य में दिख रही हो. यहां तक कि देश के सबसे बड़े राज्य यूपी में भी त्रिकोणीय मुकाबला है जबकि बिहार में इस बार मुकाबला द्विपक्षीय और आमने-सामने का होने जा रहा है.

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इस बार सीधी टक्कर एनडीए बनाम महागठबंधन है. 2019 चुनाव के लिए राज्य के तमाम दल दोनों में से किसी न किसी खेमे में शामिल हो चुके हैं. एनडीए में जहां बीजेपी, नीतीश कुमार की जेडीयू और रामविलास पासवान की एलजेपी शामिल हैं तो वहीं मुकाबले के लिए महागठबंधन में आरजेडी, कांग्रेस के अलावा उपेंद्र कुशवाहा की रालोसपा, जीतनराम मांझी की हम और मुकेश सहनी की वीआईपी पार्टी एकजुट होकर उतरे हैं. राज्य की सियासत में आमने-सामने के मुकाबले वाली ऐसी तस्वीर 15 साल बाद देखने को मिल रही है. इससे पहले 2004 में ऐसा मुकाबला हुआ था.

15 साल पहले सीधे मुकाबले में कैसी रही थी तस्वीर?

इससे पहले 2004 के लोकसभा चुनाव में बिहार में सीधे मुकाबले की स्थिति बनी थी. जब केंद्र की अटल सरकार को चुनौती देने के लिए आरजेडी, कांग्रेस, एलजेपी, राकांपा और माकपा ने हाथ मिलाया था. मुकाबले के लिए बीजेपी और जेडीयू का गठबंधन सामने था. तब लालू प्रसाद यादव की पार्टी आरजेडी को 22, कांग्रेस को 3 और एलजेपी को 4 सीटें मिली थीं. इस गठबंधन को बिहार की 40 में से 29 सीटों पर जीत मिली थी. जबकि 43.35 प्रतिशत वोट शेयर. दूसरी ओर बीजेपी-जेडीयू को 11 सीटें मिली थीं और वोट शेयर 36.93 फीसदी था.

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2009 में सियासी पाले बदले और खेल भी बदला

बिहार की सियासत में पाले बदलते हैं तो वोटों का गणित भी बदल जाता है. 2009 के चुनाव में नीतीश कुमार तो एनडीए के पाले में रहे लेकिन कांग्रेस और आरजेडी में बात नहीं बनी. तब लालू प्रसाद की आरजेडी और रामविलास पासवान की एलजेपी साथ मिलकर चुनाव में उतरे तो कांग्रेस अकेले. इस चुनाव में बीजेपी-जेडीयू को 32 सीटें मिली थीं. जबकि वोट शेयर 37.97 फीसदी रहा था. वहीं आरजेडी को 4 सीटें मिलीं और 19.30 प्रतिशत वोट. एलजेपी खाता भी नहीं खोल सकी. जबकि अकेले चुनाव में उतरी कांग्रेस 2 सीट ही जीत सकी. कांग्रेस को 10.26 फीसदी वोट मिले. दो सीटें अन्य के खाते में गईं थीं.

2014 में बिखराव का फायदा भाजपा को मिला

2014 के लोकसभा चुनाव में बिहार की सियासी तस्वीर एकदम अलग थी. बीजेपी मोदी लहर पर सवार होकर उतरी तो मोदी के खिलाफ एनडीए का साथ छोड़कर नीतीश कुमार की जेडीयू अलग से मैदान में थी. जबकि आरजेडी और कांग्रेस साथ कदमताल कर रहे थे. मोदी लहर के बूते एनडीए ने बिहार की 40 में से 31 सीटें जीत ली. बीजेपी को 22, रामविलास पासवान की लोजपा को 6, आरएलएसपी को 3 सीटें मिलीं. जेडीयू को सिर्फ 2 सीटें मिलीं. वहीं आरजेडी को 4 और कांग्रेस को 2 और एनसीपी को बस 1 सीट पर जीत हासिल हुई.

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वोट शेयर की बात करें तो 2014 में एनडीए को 38.8 फीसदी और नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू को 15.80 प्रतिशत वोट मिले. जबकि राष्ट्रीय जनता दल को 6.4 फीसदी, एनसीपी को 1.2 फीसदी और कांग्रेस को 8.4 फीसदी वोट हासिल हुए थे.

कौन कितने पानी में?

इस बार यानी 2019 के लोकसभा चुनाव में लड़ाई सीधी है. एनडीए और महागठबंधन आमने-सामने हैं. एक तरफ नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार की जोड़ी का कमाल देखना है तो दूसरी ओर राहुल गांधी की अगुवाई वाली कांग्रेस और तेजस्वी यादव की अगुवाई वाले आरजेडी के महागठबंधन से मुकाबला है. पहली बार लालू यादव बिहार की सियासी तस्वीर से बाहर हैं और रांची में चारा घोटाले के केस में सजा काट रहे हैं. लेकिन, रांची के रिम्स अस्पताल से ही वे महागठबंधन के लिए रणनीति बनाने और सियासी गोटियां सेट करने में बेटे तेजस्वी के लिए पर्दे के पीछे से चाणक्य की भूमिका में हैं.

मुद्दों की लड़ाई में कौन किसपर भारी?

लोकसभा के चुनाव वैसे तो राष्ट्रीय मुद्दों पर होते हैं लेकिन बिहार में क्षेत्रीय फैक्टर भी कम प्रभावी नहीं हैं. एनडीए जहां मोदी-नीतीश के चेहरे, विकास के काम, एयरस्ट्राइक से उपजी राष्ट्रवाद की भावना और विपक्ष के काल में हुए घोटालों को मुद्दा बना रहा है तो वहीं महागठबंधन नीतीश सरकार में बढ़े अपराध, सृजन घोटाला, दलितों और मुस्लिमों के मुद्दे, राहुल-तेजस्वी के युवा एजेंडे के भरोसे जीत की उम्मीद लगाए हुए है.

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 जानें, बिहार की 40 लोकसभा सीटों में कब कहां है चुनाव-

पहला चरण- 11 अप्रैल- औरंगाबाद, गया, नवादा और जमुई.

दूसरा चरण- 18 अप्रैल- किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका.

तीसरा चरण- 23 अप्रैल- झंझारपुर, सुपौल, अररिया, मधेपुरा और खगड़िया.

चौथा चरण- 29 अप्रैल- दरभंगा, उजियारपुर, समस्तीपुर, बेगूसराय और मुंगेर.

पांचवां चरण- 6 मई- सीतामढ़ी, मधुबनी, मुजफ्फरपुर, सारण और हाजीपुर.

छठा चरण- 12 मई- वाल्मीकिनगर, पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, शिवहर, वैशाली, गोपालगंज, सीवान और महाराजगंज.

सातवां चरण- 19 मई- पटना साहिब ,नालंदा, पाटलिपुत्र, आरा, बक्सर, सासाराम, जहानाबाद, काराकाट.

मतगणना- 23 मई 2019.

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